पारा चढ़ने के साथ ही गिरने लगा जलस्तर
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रोहतास। बढ़ती गर्मी के साथ ही जिले में जल संकट गहराने लगा है। भूमिगत जलस्तर गिरने से जिले के दक्षिणी क्षेत्र के चापाकल एक-एक कर बंद होने लगे हैं। जिससे एक बड़े भूभाग में पेयजल की समस्या उत्पन्न हो गई है। जैसे-जैसे पारा चढ़ते जा रहा है, समस्या और विकराल होते जा रही है। हालात ऐसे हो गए हैं कि पहाड़ों पर रहने वाले वनवासियों की आधी आबादी एक बार फिर अपने मवेशियों के साथ मैदानी इलाकों का रुख करने की तैयारी कर चुकी है। मौसम की तल्खी ऐसे ही बढ़ती रही तो आने वाले दिनों में स्थिति और भयावह हो सकती है। तीन वर्ष पूर्व टैंकरों से ढोया गया था पानी :
पेय जल की किल्लत से जूझ रहे पहाड़ी गांवों में पानी पहुंचाने के लिए प्रशासन ने तीन वर्ष पूर्व अप्रैल माह के प्रथम सप्ताह में ही दर्जन भर टैंकरों को लगाया था। लेकिन यह व्यवस्था नाकाफी साबित हुई। नौहट्टा प्रखंड के खैरवा खूर्द, कमाल खैरवा, यदुनाथपुर, तियरा खुर्द, परछा आदि गांवों में प्राय: हर वर्ष पानी की किललत होती है। जिसे याद कर ग्रामीण आज भी परेशान हो जाते हैं। ग्रामीणों की मानें तो हर साल बढ़ती ही जा रही इस समस्या का अब तक कोई स्थाई निदान नहीं होने से संकट गहराता जा रहा है। पशुपालक हताश :
जलस्तर खिसकने से पशुपालक हताश हैं। अभी तो कुछ प्राकृतिक जलस्त्रोतों में पानी बचा भी है, जो कुछ दिनों में समाप्त हो जाएगा। लोगों को पीने के लिए पानी तो मुश्किल से ही सही फिर भी मिल जा रहा है। लेकिन पशुओं को पानी कहां से मिले। चापाकलों के जवाब देने के साथ ही क्षेत्र के प्राकृतिक जलस्त्रोत भी एक-एक कर सूख रहे हैं। चेनारी प्रखंड के उगहनी निवासी लालबाबू पासवान ने बताया कि इस क्षेत्र के लिए गर्मी के मौसम में पानी की समस्या कोई नई बात नहीं है। जब तक कोई स्थाई समाधान नहीं किया जाता, तबतक यही स्थिति रहेगी।