उत्तर प्रदेश में टिड्डी दल के पहुंचने के बाद जिले में एहतियातन रणनीति बनी
राजस्थान के रास्ते उत्तर प्रदेश में टिड्डी दल के पहुंचने के मामले पर कृषि विभाग नजर बनाए हुए है।
राजस्थान के रास्ते उत्तर प्रदेश में टिड्डी दल के पहुंचने के मामले पर कृषि विभाग नजर बनाए हुए है। इससे बचाव को ले सरकार ने दिशा निर्देश जारी कर दिया है। हालांकि अभी जिले में टिड्डी दल का आतंक शुरू नहीं हुआ है, लेकिन उत्तर प्रदेश की सीमावर्ती जिला होने के चलते विभाग एहतियातन रणनीति पर कार्य कर रहा है।
डीएओ राधारमण ने बताया कि इसे ले गुरुवार को जिले के कीटनाशक विक्रेताओं के साथ बैठक बुलाई गई है, जिनके साथ मिलकर बचाव की रणनीति पर चर्चा की जाएगी। उन्होंने बताया कि सूचना मिली है कि टिड्डियों का दल यूपी-एमपी के बॉर्डर झांसी तक आ गया है। विभागीय अधिकारी यूपी के अधिकारियों के संपर्क में हैं। जैसे ही टिड्डियों का दल बिहार की सीमा पर पहुंचेगा, बचाव के लिए कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी।
आत्मा के परियाजना निदेशक डॉ. विजय कुमार द्विवेदी ने बताया कि टिड्डी दल दिन के समय सूरज की रोशनी में उड़ता है। शाम के समय झाड़ियों व पेड़ों पर आराम करते हैं ओर अगले दिन फिर अपनी यात्रा शुरू कर देते हैं। इसलिए उन्हें दिन में मारना नामुमकिन है। रात में वे जिस झाड़ी या पेड़ों पर आराम करते हैं, वहीं कीटनाशकों का छिड़काव कर उन्हें मारा जा सकता है। यह है एडवाइजरी:
टिड्डी नियंत्रण के लिए सरकार के दिशा निर्देश के मुताबिक युद्धस्तर पर कार्रवाई शुरू की जाएगी। इसके लिए राज्य स्तर से पंचायत स्तर तक किसानों को जागरूक करते हुए विभिन्न समितियों का गठन किया जाएगा। संभावित क्षेत्रों के लिए कृषि रक्षा रसायन, स्प्रेयर्स व ट्रैक्टर्स आदि की पूर्व से ही व्यवस्था कर ली जाएगी। साथ ही अग्निशमन विभाग की गाड़ियों की व्यवस्था कर जिला प्रशासन से समन्वय स्थापित करने को कहा गया है। इसके अलावा सर्वेक्षण टीम का गठन कर जागरूकता कार्यक्रम चलाते हुए लोगों को मॉक ड्रिल के माध्यम से प्रशिक्षित किया जाएगा। साथ ही मैलाथियान 96 फीसद ईसी, क्लोरपायरीफास 50 फीसद ईसी, क्लोरपायरीफास 20 फीसद ईसी तथा फिप्रोनिल एससी की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता पूर्व में ही सुनिश्चित की जाएगी। बचाव के उपाय:
टिड्डी दल के प्रकोप की दशा में एक साथ इकट्ठा होकर ढोल, नगाड़ों, टीन के डिब्बों, थाली आदि बजाते हुए शोर करने से वे भागते हैं। इसके अलावा डेल्टामेथरिन 2.8 ईसी, मैलाथियान 96 फीसद ईसी, क्लोरपायरीफास 50 फीसद ईसी, क्लोरपायरीफास 20 फीसद ईसी तथा फिप्रोनिल एससी आदि रसायन को पानी में मिलाकर ट्रैक्टर चलित स्प्रे पंप से छिड़काव कर सकते हैं। टिड्डी के आक्रमण के समय यदि कीटनाशक दवा नहीं हो तो ट्रैक्टर चलित पावर स्प्रे द्वारा तेज बौछार से भी इसे भगाया जा सकता है।