लॉकडाउन के बाद पहली बार ओपीडी के समय में बदलाव
पूर्णिया। सदर अस्पताल में आउटडोर के समय में बदलाव किया गया है। अब यह पुराने समयानुसार ह
पूर्णिया। सदर अस्पताल में आउटडोर के समय में बदलाव किया गया है। अब यह पुराने समयानुसार ही संचालित होगा। कोरोना महामारी के कारण पहले आउडडोर सेवा बंद कर दी गई थी और केवल दूरभाष के माध्यम से सेवा दी जा रही है। कुछ समय बाद सीमित सेवा के साथ ही एक पाली में सुबह 8 बजे से 2 बजे तक संचालित हो रही थी। कोरोना के प्रभाव में कमी को देखते हुए आउड डोर सेवा को दोबारा पूर्णत: बहाल करने का निर्देश अस्पताल अधीक्षक डॉ. इंद्रनारायण ने दिया है। अब यह सेवा अपने पुराने समय में ही संचालित की जाएगी। सुबह ओपीडी का समय 8 से 12 तक होगा। दूसरे पाली में 4 बजे से 6 बजे तक आउड डोर की सेवा संचालित होगी। अब जनरल मेडिसीन, महिला रोग विशेषज्ञ, बच्चा रोग विशेषज्ञ, ऑर्थो, चर्म, आंख, ईएनटी आदि चिकित्सक अब ओपीडी सेवा में मौजूद रहेंगे। यहां एक दर्जन से अधिक विभागीय चिकित्सक ओपीडी सेवा में मौजूद रहेंगे। ओपीडी में चिकित्सक देखने के साथ ही दवा वितरण केंद्र से दवा मुहैया कराई जाती है। यह भी अब ओपीडी के समय से ही संचालित किया जाएगा। इसका समय ओपीडी के समय खत्म होने के बाद भी एक घंटा चलता रहेगा। पर्ची काटने का समय एक घंटा पहले खत्म हो जाएगा। इसके साथ ही ओपीडी मरीजों को अगर टेस्ट की दरकार होगी तो वह लैब की सुविधा भी सदर अस्पताल परिसर में ही ले सकते हैं। लैब की सुविधा 24 घंटा उपलब्ध है। इसको 24 घंटा संचालित करने का निर्देश दिया गया है। इसके अलावा एक्सरे की सुविधा भी सदर ओपीडी मरीजों को उपलब्ध है। यह सुविधा सदर अस्पताल के बाहर भारत डिजिटल एक्सरे सेंटर में निशुल्क उपलब्ध है। गौरतलब है सदर अस्पताल में ओपीडी में 700 से 800 मरीज रोजाना चेकअप के लिए लॉकडाउन के पहले पहुंचते थे। सेवाएं सीमित करने के बाद मरीजों की भीड़ 200 से 300 तक थी। अब दोबारा पुराने में समय में ओपीडी सेवा संचालित होने से मरीजों के एक बार फिर से भीड़ होने की उम्मीद है। कोरोना का संकट अभी गया नहीं है इसलिए प्रबंधन ने शारीरिक दूरी और मॉस्क आदि पहनने का दिशानिर्देश ओपीडी परिसर में लगवा दिया है। लोगों को मॉस्क पहन कर ही अंदर प्रवेश की अनुमति दी जाएगी। ओपीडी में भीड़ प्रबंधन सिस्टम अबतक नहीं लग पाया है। नए भवन में ओपीडी का संचालन किया जा रहा है लेकिन भीड़ प्रबंधन सिस्टम नहीं लगने से मरीजों को परेशानी हो सकती है।