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टीकापट्टी से शुरू हुआ था पूर्णिया में आजादी का संघर्ष: प्रो. वीसी

पूर्णिया। पूर्णिया विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में मंगलवार को स्वतंत्रता आदोलन में बिहार की भूमिक

By JagranEdited By: Published: Wed, 11 Dec 2019 12:12 AM (IST)Updated: Wed, 11 Dec 2019 06:10 AM (IST)
टीकापट्टी से शुरू हुआ था पूर्णिया में आजादी का संघर्ष: प्रो. वीसी
टीकापट्टी से शुरू हुआ था पूर्णिया में आजादी का संघर्ष: प्रो. वीसी

पूर्णिया। पूर्णिया विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में मंगलवार को स्वतंत्रता आदोलन में बिहार की भूमिका पर इतिहास विभाग द्वारा राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता प्रति-कुलपति प्रो. राजनाथ यादव ने की।

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उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए प्रोवीसी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में बिहार की भूमिका पर चर्चा करते हुए कहा कि स्वतंत्रता आदोलन में पूर्णिया की भूमिका अहम रही है। पूर्णिया में आजादी का पहला संघर्ष टीकापट्टी से शुरू हुआ था। इतिहास में टीकापट्टी के सूर्यनारायण मंडल व क्रांतिकारी सुमित्रा देवी ने आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी।

स्वागत भाषण इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. दिवाकर मंडल ने किया। उन्होंने सेमिनार के आयोजन के लिए कुलपति प्रो. राजेश सिंह को धन्यवाद देते हुए कहा कि यह पहला मौका है कि यहां इतिहास विभाग द्वारा सेमिनार का आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता आदोलन में बिहार की अहम भूमिका रही है जिसमें पूर्णिया का स्थान महत्वपूर्ण है।

एलएनएमयू दरभंगा विश्वविद्यालय के प्रो. रत्‍‌नेश्वर मिश्रा ने स्वतंत्रता आदोलन में बिहार की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा बंगाल पर अधिकार करने के बाद से स्वतंत्रता आदोलन की शुरुआत होती है। उन्होंने इस दौर में हुए आध्यात्मिक आंदोलन व संन्यासी विद्रोह का जिक्र किया। जो फकीरों का आदोलन था। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में पूर्णिया के योगदान पर भी चर्चा की तथा कहा कि यह एक एतिहासिक स्थल है। यहां क्रांतिकारियों की फौज तैयार होती थी। यहां के लोग उत्प्रवासन और आप्रवासन के प्रभाव में रहते थे।

एमजेएम महिला कॉलेज की पूर्व प्रधानाचार्य प्रो. चंदना झा ने कोल विद्रोह, संथाल विद्रोह का वृहत विश्लेषण किया। बेशक वे आंदोलन असफल रहे किंतु बाद के आदोलन और विद्रोह के लिए ये प्रेरणा स्रोत बने। उन्होंने चंपारण के नील आदोलन के बारे में भी चर्चा की। उन्होंने पूर्णिया के नक्षत्र मालाकार के समाजवादी कार्यों को रेखाकित किया और उनपर शोध करने के लिए छात्रों को प्रेरित किया। धन्यवाद ज्ञापन प्रो. पवन कुमार झा ने किया।

दूसरे सत्र में स्वतंत्रता आदोलन में बिहार की भूमिका, क्षेत्रीय आदोलन में पूर्णिया की भूमिका, कृषकों की भूमिका, महिलाओं की भूमिका, छात्र-छात्रों की भूमिका, प्रेस की भूमिका व क्षेत्रीय घटनाओं पर वक्ताओं, शिक्षक, शोधार्थी एवं छात्र-छात्राओं ने अपने-अपने विचार रखे। सेमिनार में डीन विज्ञान प्रो. बीएन पांडे, डीन मानविकी प्रो. जीके झा, डीन वाणिज्य डॉ. टीनएन झा, सभी विभाग के विभागाध्यक्ष एवं 300 से अधिक छात्र-छात्राएं मौजूद थे। कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ. मदन कुमार झा, डॉ. मनीष कुमार सिंह, डॉ. नेहा रंजन, डॉ. अजय कुमार यादव, विजय कुमार, डॉ. पीसी झा, डॉ. हरेन्द्र कुमार सिंह, मौसमी कुमारी, डॉ. मनोज कुमार, डॉ. प्रमिला कुमारी, साकेत बिहारी की अहम भूमिका रही।


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