ंपूर्णिया के चिकित्सक ने बंगाल आइएमए से जान जमीन व आवास बचाने में मांगी मदद
इसे पूर्णिया में सक्रिय जमीन ब्रोकरों की सारी हदें पार कर देना नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे की जिस भवन का किराया कोई जमीन मालिक तीस वर्षों से वसूल रहा हो उस भवन को खाली करते ही रात के अंधेरे में उनके द्वारा हथियारों के बल पर कब्जा कर लिया जाता है।
पूर्णिया। इसे पूर्णिया में सक्रिय जमीन ब्रोकरों की सारी हदें पार कर देना नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे की जिस भवन का किराया कोई जमीन मालिक तीस वर्षों से वसूल रहा हो उस भवन को खाली करते ही रात के अंधेरे में उनके द्वारा हथियारों के बल पर कब्जा कर लिया जाता है। यह सब कुछ होता रहा लेकिन सुरक्षा का दंभ भरने वाली पुलिस को इस मामले की भनक तक नहीं लगती। अपनी जान जमीन व आवास बचाने के लिए बंगाल के चिकित्सक को बंगाल के आइएमए से गुहार लगानी पड़ती है। बंगाल के न्यूरो चिकित्सक तथा पूर्णिया के अधिवक्ता एके डे के पुत्र ने आइएमए से अनुरोध किया है कि वे बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिलकर उनकी जान की सुरक्षा तथा बिहार के पूर्णिया स्थित जमीन व आवास बचाने की दिशा में पहल करे।
चिकित्सक के आवास पर कब्जा मामले में पुलिस को जमीन और मकान कब्जा करने की सूचना देने के घंटों बाद पुलिस पहुंची और उसने कार्रवाई के बदले उनके कागजातों को देखकर छोड़ दिया। पुलिस ने रात में तोड़फोड़ कर कब्जा करने वालों से यहां तक पूछना भी मुनासिब नहीं समझा की जब उनके पास जमीन के कागजात सही हैं तो रात के अंधेरे में जमीन पर हरबे हथियार से लैस होकर कब्जा करने का औचित्य क्या है। पुलिस ने सारी हदें पार करते हुए ना केवल कब्जा करने वाले के कागजातों की जांच की और फिर उन्हें छोड़ दिया। गुरूवार को जब इस कब्जा वाले भवन में जेसीबी लगाकर उसे तोड़ा जा रहा था और ट्रैक्टर लगाकर मलवे को हटाया जा रहा था तो पुलिस हरकत में आई और उसने जाकर काम पर रोक लगाया। ए. के डे के जिस भवन और मकान पर कब्जा किया गया वह सहायक खजांची थाना क्षेत्र में 107 के किनारे अवस्थित है। एकेडे के पुत्र राहुल डे ने 28 जुलाई को ही जिले के आला अधिकारियों को आवेदन देकर इस बात की गुहार लगाई थी की उनके आवास एवं जमीन पर दबंगों द्वारा कब्जा किया जा सकता है। लेकिन फिर भी पुलिस नहीं चेती या यों कहे की पुलिस ने इस अवैध कब्जे को रोकने में कोई तत्परता नहीं दिखाई।
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राहुल डे के दादा सतकौड़ी डे ने 20 अक्टूबर 1943 को खरीदी थी यह जमीन
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बताया जाता है कि जिस जमीन पर दबंगों द्वारा कब्जा जमाया गया उस जमीन का डाक्टर राहुल डे के दादा सत कौड़ी डे ने 20 अक्टूबर 1943 को खरीदी थी। इसके बाद 1993 में एके डे के नाम से किए गए निबंधन के आधार पर इस जमीन का दावा किया जा रहा है। जिस जमीन और भवन पर दंबंगों ने 1993 के केवाला के आधार पर कब्जा जमाया है वह जमीन एवं भवन में तीस वर्षों से बिहार राज्य खाद्य निगम का कार्यालय चल रहा था। एक अप्रैल 1975 से इसके एवज में मासिक किराया बिहार राज्य खाद्य निगम द्वारा डे परिवार को खाते में भेजा जाता रहा है। पहले यह किराया अधिवक्ता एकेडे के खाते में आता था लेकिन 2010 में उनकी मौत के बाद यह किराया उनकी पत्नी कृष्णा डे के खाते में जाने लगा। यहां तक की जब बिहार राज्य खाद्य निगम द्वारा कार्यालय खाली करने का पत्र भेजा गया तो एके डे के पुत्र राहुल डे के नाम पत्र भेजा गया।
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निबंधन के बाद कहां सोए रहे 27 वर्षों तक खरीदने वाले
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बताया जाता है की इस जमीन का निबंधन 1993 बताया जा रहा है। सवाल यह उठ रहा है की जमीन का निबंधन होने के बाद जिनके द्वारा इस जमीन का निबंधन कराया गया था वे 27 वर्षों तक कहां सोए रहे। इतने वर्षों तक उनके द्वारा मालिकाना हक का दावा क्यों नहीं किया। हद तो यह है की 27 वर्षो तक बिहार राज्य खाद्य निगम से भी इनके द्वारा किसी तरह का कोई ना तो पत्राचार किया गया और ना किसी तरह का दावा किया गया। 1993 में निबंधित इस जमीन का मोटेशन निबंधन के 17 वर्षों बाद 2010 में क्यों हुआ और 2010 में मोटेशन तब हुआ जब एके डे की मौत हो गयी। मोटेशन होने के दस वर्षों तक भी इस भवन और जमीन पर किसी तरह का मालिकाना हक नहीं जताया गया।
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एके डे के फर्जी हस्ताक्षर से हो सकता है निबंधन
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बताया जाता है की पूर्णिया में जमीन ब्रोकर किस तरह से जमीन के मामले में फर्जी कागजात तैयार करते हैं उससे अंदाजा लगाया जा रहा है की निबंधन के इतने दिनों के बाद भी मालिकाना हक जमीन पर इस कारण नहीं जताया गया क्योंकि एके डे के फर्जी हस्ताक्षर से निबंधन कराया गया है। वैसे ए. के डे के कई कागजातों पर जो हस्ताक्षर के नमूने मिले हैं वह भी निबंधन में किए गए हस्ताक्षर से मेल नहीं खा रहे। वैसे जिसके द्वारा 1993 के केवाला के आधार पर जिस अवनीश कुमार द्वारा जमीन की खरीददारी की गयी है उनका कहना है की कब्जे का आरोप गलत है उन्होंने इस जमीन को खरीदा है। मगर इस जमीन और भवन पर जिस तरीके से कब्जा किया गया है उसने पूर्णिया में पुलिस जमीन ब्रोकर के सक्रिय गठजोड़ का पर्दाफाश कर दिया है। कोट के लिए
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किसी को कानून अपने हाथ में लेने की छूट नहीं दी जाएगी, इस मामले की जांच कर कारर्वाई की जाएगी।
सुरेश चौधरी आइजी पूर्णिया