सड़क किनारे कट रही बिदटोली के कटाव विस्थापितों की जिदगी
पूर्णिया। बिदटोली गांव के लोग कई दशकों से कटाव का शिकार होते आ रहे हैं। कटाव पीडि
पूर्णिया। बिदटोली गांव के लोग कई दशकों से कटाव का शिकार होते आ रहे हैं। कटाव पीड़ित विस्थापित लोग गांव से अंझरी की ओर गुजरने वाली प्रधानमंत्री ग्राम सड़क किनारे झोपड़ी बनाकर जीवन काट रहे हैं।
जून माह में जो कोसी नदी लगभग सौ मीटर की दूरी पर थी वह गांव में पहुंच गई और देखते-देखते 29 परिवारों के घर लील लिया। कोसी का कहर अभी जारी है। अधिकारियों एवं नेताओं उन्हें बचाने के लिए सिर्फ खानापूर्ति कर रहे हैं।
जून एवं जुलाई माह से कटाव से बचाने के लिए विभाग द्वारा बांस-बल्ले एवं बोरी में मिट्टी भरकर खानापूर्ति करने का प्रयास किया। इसका फायदा लोगों को कम ठेकेदार को अधिक हुआ और कटाव को रोका नहीं जा सका। कटाव पीड़ितों के समक्ष सबसे बड़ा सवाल यह है कि अब वे कहां बसेंगे? कटाव पीड़ित शनिचर महतो, लूटन महतो, मुनीलाल महतो, जीतन महतो, इंदल, छोटन, जगदीश, बेचन, राजेंद्र, शुला देवी, पांचू, बदरी, छतरी, शंभु, रामस्वरूप, नुनु, गौरी, अंगद, उपेंद्र, परमेश्वर, दिनेश, शैलेश, लालो, अमरदेव, बती देवी, रामबहादूर महतो, मानिक महतो, कपिलदेव महतो एवं दिलीप महतो ने कहा अभी कोई चारा नहीं है। अब वे कहां जाएंगे? फिलहाल सड़क किनारे अपनी झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं।