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डोलता नहीं अस्पताल का पंखा, मरीजों का आ रहा चक्कर

राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल में मरीजों को सामान्य सुविधा तक मयस्सर नहीं है। आलम यह है कि चिकित्सकीय सुविधाओं की पूछिए मत पंखा और बेड तक मुहैय्या नहीं हो पा रहा है। अस्पताल में बिजली कटने के कारण जेनरेटर से बिजली की आपूर्ति नहीं होती है। घंटों डीजल नहीं रहने के कारण पिछले दिनों बिजली कटी रही।

By JagranEdited By: Published: Thu, 26 May 2022 07:41 PM (IST)Updated: Thu, 26 May 2022 07:41 PM (IST)
डोलता नहीं अस्पताल का पंखा, मरीजों का आ रहा चक्कर
डोलता नहीं अस्पताल का पंखा, मरीजों का आ रहा चक्कर

जागरण संवाददाता, पूर्णिया। राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल में मरीजों को सामान्य सुविधा तक मयस्सर नहीं है। आलम यह है कि चिकित्सकीय सुविधाओं की पूछिए मत पंखा और बेड तक मुहैय्या नहीं हो पा रहा है। अस्पताल में बिजली कटने के कारण जेनरेटर से बिजली की आपूर्ति नहीं होती है। घंटों डीजल नहीं रहने के कारण पिछले दिनों बिजली कटी रही। कभी बिजली रहती है तो पंखा खराब है। सर्जिकल वार्ड, मेडिकल वार्ड, महिला वार्ड में पंखा खराब है। बर्न वार्ड में एएसी तक चलता नहीं है और पंखा भी खराब है। मरीजों को हाथ के पंखे का इस्तेमाल करना पड़ता है। गरमी और पसीने से मरीजों का बुरा हाल है। बर्न वार्ड में मरीजों के दुखद स्थिति को समझा जा सकता है। मेडिकल कालेज अस्पताल में मरीजों की भर्ती दर और ओपीडी में गिरावट दर्ज की जा रही है। आपरेशन में घट गए हैं। संस्थागत प्रसव तक में कमी हुई है। यह अस्पताल में धीरे -धीरे सुविधाओं में हो रही कमी का प्रतिफल है। अब बेहद लाचार और विवशतावश ही जीएमसीएच में लोग दिखाने आते हैं। मनोज मंडल ने बताया कि अस्पताल में दवा और इलाज की बात तो मत दूर है पानी के लिए चक्कर काटने पड़ते हैं। महिला वार्ड के सामने जमा पानी बीमार और संक्रमण का सबब बना हुआ है। अस्पताल प्रबंधन की कुंभकर्णी नींद के कारण मरीजों की नारकीय स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। ओपीडी में दिखने जाओ चिकित्सक मिलते नहीं है। चिकित्सक मिलते हैं तो दवा और जांच का पता नहीं है। आधी - अधूरी इलाज कराने से बेहतर है लोग अब अस्पताल में उपचार के लिए आना ही नहीं चाहते हैं। साफ - सफाई का आलम भी यही है। आउटसोर्स एजेंसी की मनमानी के कारण वार्ड में बिजली कटने पर जेनरेटर सेट से आपूर्ति नहीं होती है। सफाई कर्मियों को समुचित सफाई सामग्री तक एजेंसी द्वारा नहीं दी जाती है। मरीज नारकीय स्थिति में यहां भर्ती है। स्थिति यह है कि चिकित्सक और कर्मी तक अस्पताल में काफी मुश्किल से मिलते हैं। इस स्थिति में वे भी अस्पताल में समय नहीं दे रहे हैं।

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फर्श पर गद्दा भी मिल जाए तो बड़ी बात -:

महिला वार्ड और अन्य वार्ड में बेड की कमी अब मरीजों को जमीन पर लेटने के लिए विवश कर रहा है। मरीज कहते हैं कि अस्पताल में फर्श पर गद्दा भी मिल जाए तो बड़ी बात है। मरीज का कहना है कि चिकित्सक कभी -कभार ही राउंड के लिए आते हैं। दवा मिलती नहीं है। जांच होता नहीं है। पानी तक बाहर से लाकर पीना पड़ता है। वार्ड की साफ -सफाई तक उपलब्ध नहीं है। अब पंखा तक खराब है। मरीज को कहां लेकर जाएं। निजी अस्पतालों की भारी -भरकम चार्ज देने के लिए सक्षम नहीं है। मरीज भगवान भरोसे यहां से ठीक होकर जाते हैं।


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