Move to Jagran APP

नानाजी की सीख हमारे साथ है

मेरे नानाजी किशनदेव झा काफी सरल और सुलझे हुए व्यक्ति थे। उनके जीवन का एक ही मूलमंत्र था ि

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 Sep 2019 11:03 PM (IST)Updated: Fri, 20 Sep 2019 11:03 PM (IST)
नानाजी की सीख हमारे साथ है
नानाजी की सीख हमारे साथ है

मेरे नानाजी किशनदेव झा काफी सरल और सुलझे हुए व्यक्ति थे। उनके जीवन का एक ही मूलमंत्र था कि हम किसी को केवल उपदेश देकर अपनी बातें नहीं मनवा सकते। इसकी बजाय हमें अपने काम के जरिए उन्हें यकीन दिलाना होगा कि यह संभव हो सकता है। मेरे नाना जी अहले सुबह उठ जाते थे, उन्हें देखकर मैं स्वत: उठ जाता था। फिर उनके साथ बैठकर रामचरित्रमानस का पाठ के बाद में व्यायाम करता था। मुझे क्रिकेट खेलने में काफी मन लगता था, लेकिन मेरे परिवार के लोग मेरे क्रिकेट खेलने के समर्थन में नहीं थे। पर मेरे नाना जी मेरे साथ चट्टान की भाति खड़े हो जाते थे और घर के सदस्यों को कहते थे की बच्चे को जिस चीज में मन लगता है करने दो एक ना एक दिन अपना रास्ता खुद बना लेगा। आज मेरे नानाजी मेरे साथ नही है लेकिन हर पल मुझे उनकी कमी महसुस होती है। कभी-कभी जिदंगी के आपाधापी से थक जाता हुं तो नानाजी की काफी याद आती है।

loksabha election banner

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.