कहीं सेहत ना बिगाड़ दे बाजार में बिक रहे कार्बाइड से पके आम
पूर्णिया। पूर्णिया के बगीचों में अभी आम तो नहीं पके हैं लेकिन बाजार तरह-तरह के आम से पट गया
पूर्णिया। पूर्णिया के बगीचों में अभी आम तो नहीं पके हैं लेकिन बाजार तरह-तरह के आम से पट गया है। इसमें गुलाबखास, मालदह, बंबई, नवरस सहित कई प्रकार के आम हैं। यह आम पूर्णिया और आसपास के क्षेत्र के नहीं बल्कि बंगाल, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, उड़ीसा से मंगाए गए हैं। इस आम को कार्बाइड से पकाकर बाजार में उतारा गया है। सीजन से पहले बाजार में बिक रहे लाल-पीले यह आम खरीदार को तो जरूर आकर्षित करते हैं लेकिन सेहत के लिए काफी नुकसानदायक है। अधिक मुनाफा के चक्कर में दुकानदार कार्बाइड से पके आम बेचकर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। रानीपतरा में आम का बगीचा करने वाले किसान देवन साह बताते हैं कि मई के अंत में मालदह आम बाजार में आना चाहिए। अभी स्थानीय आम नहीं पका है। अभी जो आम बाजार में मालदह आम बिक रहा है उसका वजन 150-200 ग्राम है। वहीं जब सीजन का आम बाजार में आता है तो वह आम 300-500 ग्राम का होता है। खुश्कीबाग के दुकानदार बताते हैं कि प्रतिदिन करीब दो-तीन टन आम बाजार में खपता है। आम का सीजन सीमित समय के लिए होता है। ग्राहक आम का सीजन मानकर इसे खरीद रहे हैं।
इस बाजार में उपलब्ध है आम::
शहर के खुश्कीबाग, लाइन बाजार, गिरिजा चौक, आरएन साह चौक, मधुबनी बाजार, भट्ठा बाजार हाट सहित गली मोहल्ले में ठेले पर आम बेचा जा रहा है।
अप्राकृतिक ढ़ंग से फल को पकाना अवैध:::
खाद्य निरीक्षक जितेंद्र प्रसाद बताते हैं कि फूड सेफ्टी एवं स्टैंडर्ड एक्ट में अप्राकृतिक ढंग से फल को पकाकर व्यापार करना अवैध है। ऐसी स्थिति में छह माह के सजा का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त दो लाख रुपये जुर्माना का भी प्रावधान है।
कार्बाइड से पके आम से उत्पन्न होती है बीमारी::
डॉक्टर बताते हैं कि रसायन से पकाए मुंह में जलन, गले में जकड़न, पेट में दर्द और दस्त जैसी समस्या उत्पन्न होती है। रसायन से पके आम और प्राकृतिक तरीके से पके आम के रंग और स्वाद में भी अंतर होता है। रसायन से पके आम खाने से पहले बचना चाहिए। पानी में कुछ देर तक रखने के बाद ऐसे आम का सेवन करना चाहिए।
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