पूर्णिया में नए रोस्टर पर होगा निगम का चुनाव, बदल सकता है समीकरण
नगर निगम चुनाव को लेकर जिले में प्रशासनिक कवायद शुरू हो गई है। नगर निगम में इस बार नए रोस्टर के आधार पर चुनाव कराया जाना है। नए सिरे से रोस्टर निर्माण के लिए प्रशासनिक स्तर पर तैयारी चल रही है।
पूर्णिया। नगर निगम चुनाव को लेकर जिले में प्रशासनिक कवायद शुरू हो गई है। नगर निगम में इस बार नए रोस्टर के आधार पर चुनाव कराया जाना है। नए सिरे से रोस्टर निर्माण के लिए प्रशासनिक स्तर पर तैयारी चल रही है। नए रोस्टर के अनुसार वार्डों का समीकरण बदल सकता है। गत साल जो वार्ड आरक्षित थे वे दूसरे कोटे में जा सकते हैं और जो सामान्य थे वे आरक्षित हो सकते हैं। जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह जिलाधिकारी राहुल कुमार ने बताया कि नए रोस्टर का प्रस्ताव नगर एवं आवास विभाग को भेज दिया गया है। अनुमोदन प्राप्त होने के बाद उसे सार्वजनिक किया जाएगा। हर 10 साल बाद होता है रोस्टर का निर्धारण
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राज्य में नगर निगम के नियमानुसार हर 10 साल बाद रोस्टर और परिसीमन का निर्धारण होना है। आगामी चुनाव भी यहां 10 साल बाद हो रहा है, इसलिए नए सिरे से रोस्टर निर्धारण की प्रक्रिया शुरू हो गई है। गत 2010 में नगर निगम में वार्ड आयुक्तों का चुनाव हुआ था, लेकिन उस वक्त नगर परिषद और नगर निगम के निर्धारण को लेकर मामला न्यायालय चला गया जिस कारण चुनाव परिणाम 2011 में घोषित किया गया। उसके बाद नगर निगम का दूसरा चुनाव 2016 में कराया गया। दोनों ही बार 2001 की जनगणना और एक ही रोस्टर के आधार पर चुनाव कराया गया था। लेकिन उक्त रोस्टर निर्धारण को अब 10 साल बीत गए हैं इसलिए नए रोस्टर निर्धारण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। 2011 की जनगणना के आधार पर तैयार होगा रोस्टर
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नगर निगम के अस्तित्व में आने के बाद यहां वार्ड आयुक्तों के चयन के लिए दो चुनाव हो चुके हैं। 2010 और 2016 में हुए चुनाव 2001 की जनगणना के आधार पर कराए गए थे। 2001 की जनगणना को ध्यान में रखकर ही 2010 में चुनाव से पूर्व नए परिसीमन और रोस्टर का निर्धारण किया गया था। इसके आधार पर निगम अंतर्गत 46 वार्डों का परिसीमन तय किया गया और रोस्टर बनाकर आरक्षण का लाभ दिया गया, लेकिन 10 साल बाद 2021 में नगर निगम में चुनाव होने हैं तो एक बार फिर रोस्टर का निर्धारण होना है। हालांकि 10 साल बाद परिसीमन का भी नए सिरे से निर्धारण होना चाहिए लेकिन बताया जा रहा है कि इस बार पुराने परिसीमन के आधार पर ही चुनाव होगा पर रोस्टर नए सिरे से तैयार किए जा रहे हैं, जबकि 2001 में हुई जनगणना की तुलना में 2011 की जनगणना में लगभग 50 हजार से अधिक आबादी की वृद्धि नगर निगम क्षेत्र में हुई है। उस हिसाब से निगम क्षेत्र में वार्डों का विस्तार भी होना चाहिए। जानकारों के अनुसार आबादी के हिसाब से इस बार कम से कम दो और वार्डों का निर्माण निगम क्षेत्र में होना चाहिए। यानि 46 की जगह 48 वार्ड यहां बनाया जाना चाहिए लेकिन मिली जानकारी अनुसार इस बार पुराने 46 वार्डों के लिए ही चुनाव कराए जाएंगे। मेयर और डिप्टी मेयर के वार्ड हो सकते हैं आरक्षित
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नए रोस्टर के आधार पर वर्तमान मेयर एवं डिप्टी मेयर के वार्ड आरक्षित हो सकते हैं। मेयर सविता सिंह का वार्ड नं-3 और डिप्टी मेयर विभा कुमारी का वार्ड नं. 42 पहले जनरल कैटेगरी में था, लेकिन 2011 की जनगणना के अनुसार वार्ड नं-3 जनरल महिला और वार्ड नं. 42 ईबीसी महिला के लिए आरक्षित हो सकता है। मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव को लेकर दोनों ही वार्ड चर्चा में रहे हैं लेकिन इस बार समीकरण बदल सकता है। इसी तरह वार्ड नं. 20, 31, 36 और 38 अनुसूचित जाति एवं 34 और 46 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हो सकते हैं। वहीं ईबीसी के कोटे में 10, 17, 24, 25, 30, 33, 35, 39 एवं 42 नंबर वार्ड जा सकते हैं। जबकि जनरल महिलाओं के लिए 1, 3, 4, 7, 11, 13, 15, 16, 21, 26, 29, 37, 41, 43, 44 वार्ड आरक्षित हो सकते हैं। वहीं जनरल में 2, 5, 6, 8, 9, 12, 14, 18, 19, 22, 23, 27, 28, 32, 40, 45 वार्ड जा सकते हैं।