कालाजार की रोकथाम में विभाग को मिल रही सफलता
पूर्णिया। 2017 की तुलना में वाहक जनित रोग कालाजार के नियंत्रण में विभाग को अच्छी सफलता मिली है।
पूर्णिया। 2017 की तुलना में वाहक जनित रोग कालाजार के नियंत्रण में विभाग को अच्छी सफलता मिली है। विभाग का दावा है कि आने वाले कुछ वर्षो में इस बीमारी पर काफी हद तक काबू पा लिया जाएगा। सिविल सर्जन डॉ. कृष्ण मोहन पूर्वे का कहना है कि कालाजार मादा बालू मक्खी के काटने से होता है। दरअसल विभाग द्वारा सघन सर्विलांस और जागरूकता के कारण 2018 में कालाजार रोगियों की संख्या में कमी लाने में काफी सफलता मिली है।
इस वर्ष 222 कालाजार रोगियों की हुई पहचान
जिले में इस वर्ष 222 कालाजार रोगियों की पहचान हुई है। पिछले साल 318 रोगियों की पहचान हुई थी। दरअसल सर्विलांस टीम द्वारा प्रखंड स्तर पर सघन अभियान चलाने के कारण रोगियों की संख्या में कमी हुई है।
सिंगल डोज से रोग को किया जाता है काबू
अब कालाजार का उपचार सुगम हो गया है। बुखार से पीड़ित रोगियों का टेस्ट भी मौके पर किया जाता है। महज 10 मिनट में रोग की पहचान करना संभव है। रोगी की पहचान होने पर उसको दवा की सिंगल डोज दी जाती है। इससे ही मरीज ठीक हो जाता है। पहले इस बीमारी के इलाज के लिए 28 दिनों तक दवा दी जाती थी।
हॉट स्पॉट चिह्नित कर चलता है अभियान
जिला वाहक जनित रोग नियंत्रण विभाग प्रखंड स्तर पर किसी गांव से पांच या उससे अधिक मरीज मिलने पर उसको हॉट स्पॉट चिह्नित किया गया था। वहां कई माह तक बुखार से पीड़ित सभी मरीजों की जांच होती है। कई टीम गठित कर इलाके में लोगों को जागरूक किया जाता है। गांव के साथ ही आसपास के गांवों में भी फॉगिंग की जाती है। नियमित अंतराल पर वहां जांच अभियान चलता है। इस कारण बीमारी के फैलने की किसी आशंका को पूर्ण रूप से खत्म किया जाता है। इस वर्ष जिले में सात हॉट स्पॉट की पहचान हुई थी जहां व्यापक प्रचार -प्रसार और सर्विलांस किया गया था।
डॉक्टर और एएनएम को भी दिया गया है प्रशिक्षण
कालाजार के रोगी के बचाव के लिए व्यापक अभियान चलाया गया है। इसके अंतर्गत जिले भर के डॉक्टर और एएनएम को प्रशिक्षित किया गया है। जिलास्तर पर एकल खुराक और उपचार प्रबंधन के बारे में विस्तार से डॉक्टर और एएनएम को जानकारी दी गई है। बेहतर प्रबंधन का नतीजा है कि अब कालाजार मरीजों की संख्या में कमी दिख रही है।