इलाज करने के बदले खुद बीमार है श्रीनगर का पीएचसी
चिकित्सा सेवा का हाल बेहाल है।सुविधाओं का टोटा रहने के कारण आए दिन मरीज को परेशानियों का समाना करना पड़ता है।
पूर्णिया। चिकित्सा सेवा का हाल बेहाल है। श्रीनगर के एक लाख चालीस हजार व अररिया जिले की दो पंचायत फरकिया व बौंसी के मरीज यहां इलाज कराने आते हैं। सुविधाओं का टोटा रहने के कारण आए दिन मरीज को परेशानियों का समाना करना पड़ता है।
यहां पीएचसी व एपीएचसी मिलाकर कुल सात डाक्टर पदस्थापित हैं। इनमें से दो हायर एजुकेशन के लिए छुट्टी पर हैं। दोनों अस्पताल पांच चिकित्सकों के भरोसे ही है। नजराने की वसूली यहां की बड़ी समस्या है। प्रसव कराने आई महिलाओं के स्वजन से रुपयों की मांग की जाती है। मना करने पर उसे सदर अस्पताल रेफर कर दिया जाता है।
गुरुवार को 10.20 बजे श्रीनगर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में अपने कक्ष में डा. विजय कुमार दो मरीजों का इलाज करते हुए देखे गए। वहीं स्वास्थ्य प्रबंधक व एक्स-रे रूम में ताला लगा हुआ था। पर्ची व दवा वितरण काउंटर पर स्वास्थ्य कर्मी मौजूद थे। पैथालॉजी विभाग में एक कर्मी को कोरोना जांच करते हुए देखा गया। वहीं अन्य कर्मियों के बारे में जानकारी ली गई तो एक कर्मी ने बताया कि अभी पल्स पोलियो अभियान के साथ कोरोना की जांच गांव-गांव में की जा रही है। इसके चलते यहां पर कम लोग हैं।
वहीं इलाज कराने आए मरीजों ने बताया कि आज तो चमत्कार हो गया है। 11 बजे आने वाले डाक्टर व कर्मी समय पर कैसे पहुंच गए। साथ ही उन्होंने बताया कि पीएचसी में नर्स काफी मनमानी करती हैं। इस पर अंकुश लगना चाहिए। जिसको लेकर कई बार हंगामा भी हो चुका है। वहीं प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा. अविनाश कुमार ने बताया कि अस्पताल सुचारू रूप से चल रहा है। नर्स की शिकायत पूर्व में मिली थी। उसके बाद से शिकायत नहीं मिला है। शिकायत मिलने के बाद ऐसे कर्मियों के पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
------------------------------------------------------
कसबा पीएचसी में कर्मियों का टोटा
संस, कसबा (पूर्णिया) : सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कसबा न सिर्फ कसबा प्रखंड बल्कि जलालगढ़, अमौर तथा डगरूआ प्रखंड के लोगों को भी स्वस्थ्य सेवाएं प्रदान करता है। तकरीबन डेढ़ लाख की आबादी स्वस्थ्य सेवाओं के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कसबा पर निर्भर है । कोरोना काल से पूर्व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कसबा में औसतन तीन सौ लोग इलाज के लिए आते थे। वर्तमान में इलाज के लिए पहुंचने वाले मरीजों की संख्या घटकर 150 के आसपास हो गई है। चिकित्सकों तथा स्वास्थ्य कर्मियों के कमी के कारण कसबा के लोगों को बेहतर स्वस्थ्य सेवाएं नहीं मिल पा रही है। आबादी के हिसाब से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कसबा में न तो चिकित्सकों की संख्या बढ़ी न कर्मियों की। सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि चिकित्सकों तथा स्वास्थ्य कर्मियों की जितनी निर्धारित संख्या है वो भी पूरी नहीं है।
चिकित्सकों के कुल स्वीकृत पदों की संख्या 13 है, पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कसबा में मात्र 5 चिकित्सक ही पदस्थापित हैं। वही ए ग्रेड नर्सों की कुल स्वीकृत पद कसबा में 16 है पर पांच की ही तैनाती है। 58 एएनएम की जगह कसबा में मात्र 37 कार्यरत हैं।
वहीं, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कसबा में सरकार द्वारा दी जाने वाली दवाइयों में कुछ दवाइयों को छोड़कर बाकी उपलब्ध है। अस्पताल में अपने बच्चे को रेबीज की सुई दिलवाने आई महिला सकिला खातून ने बताया कि उनके बच्चे को कुत्ते ने काट लिया था उसे निशुल्क रेबीज की सुई दी जा रही है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कसबा साफ सफाई के मामले में काफी पिछड़ा है। अस्पताल का परिसर गंदा रहता है। बताते चलें कि अस्पताल में साफ सफाई करने वाली एनजीओ एजेंसी कार्य छोड़ दिया है। स्थानीय सफाई कर्मियों को मास्टर रोल में रखकर अस्पताल की साफ सफाई करवाई जा रही है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कसबा के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अशोक कुमार सिंह ने बताया कि चिकित्सकों तथा कर्मियों कि कमी को लेकर विभाग को कई बार पत्र लिखा जा चुका है ।