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गुलाबबाग बाजार समिति में दुकान हस्तांतरण का भी चल रहा फर्जी खेल

गुलाबबाग बाजार समिति में बनाए गए दस दुकानों के फर्जी आवंटन का मामला अभी सुलझा भी नहीं है की बाजार समिति में बने दुकानों के फर्जी हस्तांतरण का मामला सामने आया है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Jan 2021 11:31 PM (IST)Updated: Mon, 18 Jan 2021 11:31 PM (IST)
गुलाबबाग बाजार समिति में दुकान हस्तांतरण का भी चल रहा फर्जी खेल
गुलाबबाग बाजार समिति में दुकान हस्तांतरण का भी चल रहा फर्जी खेल

पूर्णिया [राजीव कुमार]। गुलाबबाग बाजार समिति में बनाए गए दस दुकानों के फर्जी आवंटन का मामला अभी सुलझा भी नहीं है की बाजार समिति में बने दुकानों के फर्जी हस्तांतरण का मामला सामने आया है। फर्जी ढंग से बाजार समिति के कर्मियों एवं स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत से बाजार समिति में आवंटित दुकान जो अहस्तातंरणीय है उसका फर्जी ढंग से हस्तांरित करने का खेल खेला जा रहा है। इस फर्जीवाड़े की भनक लगने के बाद कृषि विभाग इस मामले में किसी बड़ी कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। जिसमें आधे दर्जन अधिकारियों एवं गुलाबबाग बाजार समिति में पदस्थापित रहने वाले कर्मचारियों पर कार्रवाई की गाज गिरना तय माना जा रहा है। पूर्णिया गुलाबबाग बाजार समिति की स्थापना 1972 में हुई थी। यह बाजार समिति 66 एकड़ में फैला हुआ है तथा इसमें 450 से अधिक दुकान एवं गोदाम बाजार समिति द्वारा लाभुकों को आवंटित किया गया है। जितने दुकानों एवं गोदामों को सरकारी फाइलों में आवंटन दर्ज है उतने ही लोगों ने अवैध ढंग से बाजार समिति के कई हिस्सों का अवैध ढंग से अतिक्रमण कर अपनी दुकानें खड़ी कर ली है। यहां तक की किसानों के लिए बाजार समिति में जो चौताल बनाए गए थे वे सभी अतिक्रमण के शिकार है। इन अवैध कब्जाधारियों से हर माह अवैध ढंग से किराए की भी वसूली की जाती हैे जो सरकारी खाते में ना जाकर सीधे कुछ लोगों के जेबों में पहुंच रही है। गुलाबबाग बाजार समिति के बने लगभग पचास वर्ष होने के बाद भी बाजार समिति के दुकानों के आवंटन के लिए फिर से कोई निविदा नहीं निकाली गयी। गुलाबबाग बाजार समिति की जो दुकानें आवंटित की गयी वह सरकारी नियमानुसार उसका हस्तातंरण किसी को नहीं किया जा सकता है और ना ही उसकी कोई खरीद बिक्री ही की जा सकती है। मगर विगत 20 वर्षों के दौरान यहां काफी तेज गति से आवंटित दुकानों के हस्तातंरण का खेल खेला जा रहा है। इसमें से कई लाभुक जिनके नाम दुकान आवंटित किया गया था वे ‌र्स्वग सिधार चुके हैं लेकिन वह दुकान अब उनके बेटे और रिश्तेदारों के नाम हस्तांतिरत किया जा चुका है। कई लाभुकों ने आवंटित दुकानों को फर्जी ढंग से दूसरे को किराए पर भी दे दिया है। हस्तातंरण के इस फर्जी खेल से सरकार को लाखों रूपए के राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसकी वजह है की आवंटित दुकानों का जो किराया पूर्व में निर्धारित था किराया का भुगतान दुकान हस्तातंरण के बाद उसी आधार पर किया जा रहा है। इसके अलावा जिन लोगों के नाम शुरू में दुकान आवंटित हुआ उन्हीं के परिवार के लोगों के बीच आज आवंटित दुकान कब्जे में हैं।

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आवंटन पंजी में ह्ववाइटनर कह रहा फर्जीवाड़ा का कहानी

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गुलाबबाग बाजार समिति का आवंटन पंजी दुकानों के फर्जी हस्तातंरण की कहानी खुद व खुद कह रहे हैं। इसके अलावा फर्जी दुकान हस्तातंरण में जिस तिथि का स्टांप उपयोग किया गया है वह भी इस मामले में कई सवाल खड़े कर रहे हैं। सवाल है जिस तिथि के स्टांप से दुकानों का आवंटन दिखाया जा रहा है उस तिथि को दुकानों का आवंटन हुआ ही नहीं है। बताया जाता है की इस फर्जीवाड़े के खेल में बाजार समिति के कर्मी से लेकर बाजार समिति के अधिकारी तक शामिल है। अब तक दौ सै से अधिक दुकानों के आंवटन का फर्जी ढंग से हस्तांतरण किया जा चुका है इसके अलावा सौ से अधिक दुकानों को जिनके नाम दुकान आवंटित हुई है उन

लोगों ने किराए पर लगा दिया है। जांच बाद इस मामले में बाजार समिति से जुड़े कई कर्मियों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है।

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पूर्व के जांच में हो चुका है इस मामले का खुलासा

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पूर्णिया के पूर्व जिलाधिकारी पंकज कुमार पाल ने गुलाबबाग बाजार समिति के दुकानों की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच टीम बनाई थी। इस जांच टीम ने भी अपनी जो रिपोर्ट सौंपी थी उसमें कहा गया था कि जांच के दौरान दुकानदारों से आवंटन का कागजात मांगे जाने के बाद बड़ी संख्या में दुकानदार उपलब्ध नहीं करा पाए थे। इसके अलावा फर्जी ढंग से बाजार समिति के चौताल पर अवैध कब्जा किए जाने की बात भी सामने आई थी। बताया जाता है की दुकानों को हस्तांरित करने का खेल दस से पन्द्रह लाख लेकर किया जाता है।

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कोट

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बाजार समिति के द्वारा आवंटित दुकान अहस्तांरणीय है. मगर हाल के वर्षों में इसकी फर्जी ढंग से स्थानांतरण किया जा रहा है. विभाग को लगातार इस बात की शिकायत मिल रही है और इसको लेकर जल्द ही एक जांच टीम का गठन कर इस बात की जांच कराई जाएगी की दुकान किसके नाम आवंटित हुई कब हुई और अभी वर्तमान में किसके नाम हैं इस मामले में दोषी अधिकारी एवं कर्मी शामिल होंगे उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।

एन सरवण कुमार सचिव कृषि विभाग पटना


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