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गायत्री संस्कृति की जननी और यज्ञ धर्म का पिता : भृगु

पूर्णिया। गायत्रीतीर्थ शांतिकुंज हरिद्वार के तत्वाधान में चार दिवसीय गायत्री महायज्ञ मंगलवार को मं

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Dec 2018 10:34 PM (IST)Updated: Wed, 12 Dec 2018 10:34 PM (IST)
गायत्री संस्कृति की जननी और यज्ञ धर्म का पिता : भृगु
गायत्री संस्कृति की जननी और यज्ञ धर्म का पिता : भृगु

पूर्णिया। गायत्रीतीर्थ शांतिकुंज हरिद्वार के तत्वाधान में चार दिवसीय गायत्री महायज्ञ मंगलवार को मंगल कलश यात्रा के साथ शुरू हुआ। दूसरे दिन बुधवार को प्रथम सत्र में सामूहिक जप, ध्यान, प्रज्ञा योग, व्यायाम, देवपूजन एवं गायत्री महायज्ञ किया गया। द्वितीय सत्र में कार्यकर्ता गोष्ठी, संगीत प्रवचन एवं तृतीय सत्र में संगीत प्रवचन किया गया। इस मौके पर शांति कुंज हरिद्वार के प्रतिनिधि राजकुमार भृगु ने कहा कि गायत्री भारतीय संस्कृति की जननी एवं यज्ञ भारतीय धर्म का पिता है। इन दोनों का समन्वय ही भारतीय तत्व ज्ञान की संगम समन्वय कहा जा सकता है। कहा कि विवेक बुद्धि की प्रतिनिधि गायत्री सदभावों और उत्कृष्ट चिंतन की प्रेरणा देती है। यज्ञ आत्मा संयम और उदार व्यवहार का प्रेरक है। संक्षेप में कहां जाए तो अंतरंग और वहिरंग जीवन को यज्ञीय परम्पराओं को गायत्री यज्ञ कह सकते हैं। आज कर्मकांड के माध्यम से जनमानस को मानवोचित स्तर तक उंचा उठा ले जाने में सहायक सिद्ध हुआ है। कर्मकांड के माध्यम से चेतना के स्तर को उठाया जा सकता है। श्री भृगु ने कहा कि यज्ञ का एक प्रमुख उद्देश्य धार्मिक प्रवृति के लोगों को सत्प्रयोजन के लिए संगठित करना भी है। अपने प्रिय खाद्य पदार्थो एवं मूल्यवान सुगंधित पौष्टिक द्रव्यों को अग्नि एवं वायु के माध्यम से समस्त संसार के कल्याण के लिए यज्ञ द्वारा वितरित किया जाता है। वायु शोधन से सबको आरोग्यवर्धक सांस लेने का अवसर मिलता है। इस मौके पर काफी संख्या में भक्त उपस्थित थे।

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