मर्द के पेट में था दर्द, अॉपरेशन के लिए डॉक्टर ने पेट चीरा, देखकर फटी रह गई आंखें
पूर्णिया जिले में एक 65 वर्षीय पुरुष के पेट में दर्द की शिकायत थी तो डॉक्टर ने जांच के बाद बताया कि हार्निया फंसा हुआ है। जब डॉक्टर ने अॉपरेशन के लिए पेट चीरा तो देखकर होश उड गए।
पूर्णिया, जेएनएन। पूर्णिया में एक 65 वर्षीय पुरुष के पेट में दर्द हुआ तो उन्हें डॉक्टर को दिखाया गया। डॉक्टर ने जांच किया जिससे पता चला कि उसका हार्निया फंसा हुआ है जिसकी वजह से उसका पेट फूला हुआ था और मामला गंभीर था। डॉक्टर ने उसे अस्पताल में भर्ती कर लिया और उसके हार्निया का अॉपरेशन करने के लिए जैसे ही जैसे ही पेट में चीरा लगाया, देखकर उसकी आंखें फटी रह गईं।
उसके पेट में एक पूरी तरह से विकसित गर्भाशय था, जो औरतों में होता है। डॉक्टर सोहेल ने तुरंत स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सना अमरीन से सलाह ली। जिसके बाद अॉपरेशन कर उसका गर्भाशय काटकर पेट से बाहर निकाला गया। डॉक्टर सोहेल ने बताया कि निकाले गए आर्गेन को बायोप्सी जांच के लिए लैब भेज दिया गया है।
डॉॅक्टर सोहेल अहमद ने बताया कि पूर्णिया के रौटा थाना क्षेत्र के एक गांव का रहनेवाला यह रोगी दो दिन पूर्व उनके क्लीनिक में भर्ती हुआ था। उसका पेट फूला हुआ था, जांच में हार्निया फंसे होने की बात सामने आई। लेकिन पेट में एक्टिव गर्भाशय देखकर बहुत हैरानी हुई। स्त्री रोग विशेषज्ञ से मदद लेकर उसकी सर्जरी स्थानीय लाइन बाजार स्थित रेहाना अस्पताल में हुई।
उन्होंने बताया कि यह विरला मामला है। गर्भाशय महिलाओं में होती है लेकिन इस रोगी के पेट में यह बचपन से था, लेकिन पता नहीं चल सका था। डॉक्टर सना ने बताया कि यह केस उनके लिए भी हैरान करनेवाला था।
ऑपरेशन के बाद मरीज का कहना था कि वो अपने को पहले से ज्यादा ठीक महसूस कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें कभी महसूस ही नहीं हुआ कि एेसा भी हो सकता है। ऑपरेशन के बाद उन्हें पता चला कि उनके पेट में बच्चादानी थी। ये समझना मुश्किल है कि जनाना अंग हमारे अंदर कैसे आ गया?
यह एक तरह की बीमारी है
इस बीमारी को पर्सिस्टेंट म्युलरियन डक्ट सिंड्रोम कहते है यह एक रेयर बीमारी है। डॉक्टर सोहेल बताते हैं कि एंटी म्युलरियन हार्मोन सिर्फ पुरुष में ही होता है। इसकी कमी होने पर पुरुषों में फीमेल के ऑर्गन डेवलप हो जाते हैं। हालांकि ऐसा बेहद कम देखने को मिलता है दुनिया में अब तक ऐसे करीब 400 मामले सामने आ चुके हैं। 1939 में पहला केस इंग्लैंड में सामने आया था।