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एएनएम सरिता की प्रतिबद्धता के कायल हुए डीएम, ट्वीट कर की प्रशंसा

पूर्णिया। एएनएम सरिता बायसी प्रखंड के ग्रामीण इलाके में टीकाकरण कार्य कर रही हैं। एएनएम के प्रतिबद्धता का जिला पदाधिकारी राहुल कुमार भी कायल हैं। उन्होंने नाव से सत्र पहुंचते एएनएम की तस्वीर भी साझा की और संदेश में प्रतिबद्धता की प्रशंसा की है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 27 Jul 2021 11:28 PM (IST)Updated: Tue, 27 Jul 2021 11:28 PM (IST)
एएनएम सरिता की प्रतिबद्धता के कायल हुए डीएम, ट्वीट कर की प्रशंसा
एएनएम सरिता की प्रतिबद्धता के कायल हुए डीएम, ट्वीट कर की प्रशंसा

पूर्णिया। एएनएम सरिता बायसी प्रखंड के ग्रामीण इलाके में टीकाकरण कार्य कर रही हैं।

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एएनएम के प्रतिबद्धता का जिला पदाधिकारी राहुल कुमार भी कायल हैं। उन्होंने नाव से सत्र पहुंचते एएनएम की तस्वीर भी साझा की और संदेश में प्रतिबद्धता की प्रशंसा की है। टीकाकरण की रफ्तार बढ़ने के लिए जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग जतन कर रहा है। सुदूर इलाके तक पहुंचना अब भी काफी मुश्किल कार्य है। मानसून के समय में ऐसे भी कई प्रखंड का सुदूर इलाका जिला मुख्यालय और प्रखंड मुख्यालय तक से कटा रहता है। वहां सड़क मार्ग बाधित रहता है और आबादी तक पहुंचने के लिए नाव ही एक मात्र माध्यम होता है। बायसी भी ऐसे ही प्रखंडों में से आता है जिसके कई सुदूर इलाके तक पहुंचने के लिए नाव ही एक मात्र माध्यम होता है। उस इलाके तक एएनएम अपना कार्य कर रही है। एएनएम सरिता अपने कोविड ड्यूटी के दौरान सत्र स्थल तक पहुंचने के लिए रोजाना नाव का सहारा लेती है। वैक्सीन बॉक्स लेकर सत्र स्थल तक पहुंचती है और लोगों को टीकाकरण करती है। जिला पदाधिकारी राहुल कुमार इस प्रतिबद्धता का ट्यूटर के माध्यम से रेखांकित किया है। राहुल कुमार ने अपने संदेश में कहा कि एएनएम सरिता हजारों प्रतिबद्ध फ्रंटलाइन वर्कर का प्रतिनिधित्व करती हैं जो दुर्गम इलाके में टीकाकरण का कार्य निभा रही हैं। लोग टीकाकरण के लिए तैयार नहीं होते हैं। उन्हें काफी समझाना होता है। कोरोना टीका से सुरक्षा चक्र बनेगा और महामारी से लड़ने के लिए शहरी में प्रतिरोधक क्षमता विकसित होगी। सिविल सर्जन डा. एसके वर्मा ने बताया कि जिले में ऐसे बहुत से क्षेत्र हैं जहां पहुंचना आसान नहीं है। विशेष रूप से बायसी प्रखंड एक बाढ़ प्रभावित क्षेत्र है। विभिन्न क्षेत्रों में बारिश के मौसम में जल भर जाता है। आवागमन बाधित हो जाता है। स्वास्थ्य कर्मियों को नावों का सहारा लेना पड़ता है। बहुत जगह नदी में पैदल ही जाना पड़ता है। स्वास्थ्य कर्मी द्वारा ऐसे जगहों में भी जाकर लोगों को टीका लगाया जा रहा है।


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