पेंटिंग के प्रति नयी पीढ़ी का रुझान बढ़ाना चाहता ये कलाकार, अंडे पर उकेरा बाढ़ पीडि़तों का दर्द
बिहार के युवा चित्रकार गुलु दा कुछ ऐसा करना चाह रहे हैं, जिससे पेंटिंग की कला के प्रति नयी पीढ़ी का रुझान बढ़े। उन्होंने कोसी के बाढ़ पीडि़तों का दर्द अंडे पर उकेरा है।
पूर्णिया [दीपक शरण]। राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने वाले पूर्णिया के ख्यात चित्रकार किशोर कुमार उर्फ गुलु दा ने इस बार कोसी के बाढ़ पीडि़तों का दर्द अंडे पर उकेरा है। पेंटिंग में उन्होंने नदी किनारे अतिक्रमण के कारण आम लोगों की परेशानी और राहत सामग्री के इंतजार में टकटकी लगाए बाढ़ पीडि़तों को दर्शाया है। हाल में गुलु दा ने बिहार दिवस और शहीद दिवस के अवसर पर बिहार के ऐतिहासिक धरोहरों, प्रतीक चिह्नों और विभूतियों को पीपल के पत्ते पर उकेरा था।
विदित हो कि साल 2009 में डॉ. राजेंद्र प्रसाद की 125वीं जयंती पर उनकी जीवनी पर पटना में आयोजित राष्ट्रीय पेंटिंग प्रतियोगिता में उन्हें डॉ. राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रीय चित्रकारी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। टीकापट्टी के स्वतंत्रता आंदोलन की कहानी का चित्रांकण कर उन्होंने कलाकारों का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया था।
गुलु दा का कहना है कि वे अब किसी पहचान या पुरस्कार के लिए चित्रकारी नहीं कर रहे हैं। वे कुछ ऐसा करना चाह रहे हैं, जिससे इस कला के प्रति नयी पीढ़ी का रुझान बढ़े। साथ ही चित्रकारी के माध्यम से कलाकार अपने आसपास के धरोहर या अनछुए पहलुओं से वाकिफ हो सकें। उन्हें सिक्किम सरकार ने 2008 से 2010 तक लगातार तीन साल वार्षिक उत्सव में बतौर अतिथि कलाकार आमंत्रित किया था।