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न तो ताराबाड़ी घाट पर पुल बना न ही अनुमंडल अस्पताल

पूर्णिया। करीब छह लाख की आबादी वाले बायसी विधानसभा क्षेत्र पर वर्तमान में राजद का कब्जा है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 06 Oct 2020 06:41 PM (IST)Updated: Tue, 06 Oct 2020 06:41 PM (IST)
न तो ताराबाड़ी घाट पर पुल बना न ही अनुमंडल अस्पताल
न तो ताराबाड़ी घाट पर पुल बना न ही अनुमंडल अस्पताल

पूर्णिया। करीब छह लाख की आबादी वाले बायसी विधानसभा क्षेत्र पर वर्तमान में राजद का कब्जा है। बायसी प्रखंड के 17 पंचायत एवं डगरूआ प्रखंड के 18 पंचायत को मिलाकर बनाया गया है यह विधानसभा क्षेत्र। बायसी विधानसभा यूं तो पूर्णिया जिले का हिस्सा है लेकिन नई परिसीमन में इसका कुछ भाग किशनगंज लोकसभा अंतर्गत आता है। पश्चिम बंगाल का यह सीमावर्ती इलाका महानंदा, कनकई, परमान एवं पनार नदियों से चारों ओर से घिरा है। हर साल बाढ़ और कटाव की मार यहां की जनता झेलने को विवश है। बाढ़ और कटाव से ही जुड़ी है यहां के पिछड़ेपन की कहानी। नदियों पर आजादी के बाद भी पर्याप्त पुल नहीं बनाया जा सका है जिससे आज भी यहां की जनता मुख्यधारा से नहीं जुड़ पाई है। आवागमन की असुविधा, अशिक्षा, स्वास्थ्य जैसी समस्याएं आज भी यहां पूर्व की तरह विराजमान है। बाढ हर साल यहां की बड़ी आबादी को बेघर, भूमिहीन, कंगाल और बेरोजगार बना देती है। हर साल बड़ा भूभाग कट कर नदी में समा जाती है जिससे पलायन और विस्थापन सदियों से यहां की स्थाई समस्या है। नदियों पर नहीं बन पाया है पुल नदियों से घिरे क्षेत्र में आज भी आवागमन सुगम नहीं बन पाया है। यहां के परमान, कनकई, दास जैसी नदियों में न जाने कितना पानी बह गया और बह गए उसके साथ नेताओं के वादे भी लेकिन नही बन पाया तो उन नदियों पर पुल। कनकई नदी पर पुल निर्माण का वादा न जाने कितने जनप्रतिनिधियों ने किया लेकिन आज तक वह अधूरा है। विधानसभा क्षेत्र के पूर्वी भाग के ताराबाड़ी पंचायत में ताराबाड़ी पुल निर्माण का वादा भी नेताओं का पुराना है लेकिन आज तक वह वादा पूरा नहीं हो सका। यहां के लोग आज भी एक अदद पुल के लिए तरस रहे हैं। जबकि उक्त दोनों पुल के बन जाने से विधानसभा का किशनगंज और पश्चिम बंगाल से सीधा संपर्क हो जाएगा। लेकिन जनप्रतिनिधि इसे गंभीरता से नहीं लेते। जाहिर है इस विधानसभा चुनाव में भी यह मुद्दा हावी होगा। डिग्री कॉलेज में नहीं शुरू हुई पढाई क्षेत्र में डिग्री कॉलेज का निर्माण तो पूरा हुआ लेकिन पढ़ाई अभी तक शुरू नहीं हो पाई है। विस क्षेत्र में शिक्षा का स्तर काफी लचर है। क्षेत्र में विद्यालय तो खुले हैं लेकिन न वहां शिक्षक रहते हैं न छात्र आते हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्र होने के कारण साल में छह माह तो यहां के विद्यालय बंद ही रहते हैं खुलते भी है तो वहां शिक्षा व्यवस्था का हाल काफी लचर होता है। इसके बावजूद प्राइमरी से हाई स्कूल की शिक्षा तो बच्चे किसी तरह प्रखंड मुख्यालय तक जाकर पूरा कर लेते हैं लेकिन कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण अधिकांश बच्चे पढ़ने के लिए बाहर नहीं जा पाते हैं। इसलिए अभिभावक यहां डिग्री कॉलेज की मांग करते आ रहे हैं। हालांकि उनकी मांग को देखते हुए यहां डिग्री कॉलेज की स्थापना तो की गई। भवन भी बनाए गए लेकिन आज तक वहां न शिक्षक दिए गए हैं न कॉलेज में पढ़ाई शुरू हो पाई है। पक्की सड़कों का अभाव विधानसभा क्षेत्र में आज भी दर्जनों गांवों में बरसात के समय नाव और आम दिनों में चचरी पुल के सहारे आवागमन होता है। बाढ़ एवं बरसात के समय यहां आवागमन एक तरह से बंद सा हो जाता है। लोग अपने ही इलाके में टापू की तरह घिर कर रह जाते हैं। विधानसभा क्षेत्र में आवागमन एक मुश्किल कार्य है लेकिन हालात यह है कि अब भी कई गांव के लोग पक्की सड़क के लिए तरस रहे हैं। बायसी प्रखंड क्षेत्र के ताराबाड़ी पंचायत के लोगों को आजादी के छह दशक बाद भी एक अदद सड़क निर्माण की मांग पूरी नहीं हो पाई है। गत वर्ष बाढ़ में क्षेत्र की कई सड़कें टूट गई है अथवा जर्जर हो गई हैं। लेकिन आज तक उसकी मरम्मत नहीं हो पाई। इस चुनाव में सड़क का मुद्दा भी प्रमुख होगा जिसका जवाब जनप्रतिनिधियों को देना होगा। बाढ़ एवं कटाव का नहीं हो पाया स्थाई समाधान विधानसभा क्षेत्र के लोग बाढ़ और कटाव की समस्या सदियों से झेल रहे हैं। महानंदा, कनकई परवान एवं पनार आदि नदियों की पेट में आज तक सैकड़ों एकड़ भूमि समा चुकी है। कई स्कूल, धार्मिक स्थल कटाव की भेंट चढ़ चुके हैं। हर साल बाढ़ में प्रशासन लोगों को रेस्क्यू कर ऊंचे स्थानों पर ले जाती है तथा सामुदायिक किचन चलाकर लोगों को भोजन देती है। बाढ़ से बचाव के लिए हर साल स्थाई बचाव कार्य होता है जिस पर लाखों खर्च होने के बावजूद हर साल वह कट जाता है और फिर प्रशासन नई योजनाओं में जुट जाता है। जाहिर है बाढ़ में हर साल करोड़ों का वारा-न्यारा होता है लेकिन आज तक किसी नेताओं ने इस समस्या के लिए स्थाई समाधान की दिशा में कोई पहल नहीं की है। इस चुनाव में भी यह मुद्दा एक बार सबसे बड़ा मुद्दा होगा। नहीं बन पाया अनुमंडल अस्पताल क्षेत्र में स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली का अलाम यह है कि अनुमंडल बनने के 26 वर्ष बाद भी बायसी में अनुमंडल अस्पताल नहीं बन पाया है। जबकि इस पिछड़े और दुरूह आवागमन वाले इलाके के लिए अनुमंडल मुख्यालय में सुविधाओं से लैश अस्पताल जरूरी है। ग्रामीण इलाके में स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल और बुरा है। पंचायत स्तर पर सभी जगहों पर स्वास्थ्य सेंटर नहीं खुल पाए हैं। संसाधनों की घोर कमी है। चिकित्सकों की कमी तो है ही स्वास्थ्य कर्मी भी नहीं रहते। रोगियों की जांच की भी समुचित व्यवस्था नहीं है। अल्ट्रासाउंड ,ईसीजी सहित अन्य जांच का अभाव है यहां तक कि एंबुलेंस भी नहीं है बायसी में। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का भवन इतना जर्जर है कि यहां बैठ कर काम करने में स्वास्थ्य कर्मियों को डर लगता है।

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