पटना के युवाओं की राय, मुफ्त का पैसा नहीं रोजगार दे सरकार, हम खुद कमा लेंगे
लोकसभा चुनाव को लेकर युवाओं के भी अपने मत हैं। युवाओं का मानना है कि हमें मुफ्त के पैसे की बजाए रोजगार दिया जाए।
पटना, जेएनएन। छज्जूबाग की चाय दुकान में इस समय एक चर्चा आम हो गई, वो है चुनाव। ऑफिस का काम निपटा कर लोग सड़क किनारे बाइक खड़ी करते हैं और चाय की फरमाइश के बाद दुकान के पास ही बने चबूतरे पर बैठ जाते हैं। यहां भी राजनीति की बात छिड़ जाती है। फिर क्या, आसपास के लोग भी खुद को जोड़ लेते हैं। सबके पास अपने-अपने तर्क हैं। खासकर युवाओं की राय कुछ अलग ही है। उनका कहना है कि हमें मुफ्त का पैसा नहीं चाहिए। हमें रोजगार मिले। हम खुद ही कमा लेंगे।
इतने में दुकानदार एक ट्रे में कुल्हड़ में चाय लेकर आता है। वह भी खुद को रोक नहीं पाता। बोलता है कि साहब अभी चुनाव में क्या लग रहा है। ट्रे से चाय उठाते हुए रूपसपुर निवासी शैलेश त्रिवेदी बोलते हैं कि इसमें लगना क्या है, एक ही चेहरा है और उसी से सभी की लड़ाई है। बीते पांच सालों में जितना काम किए हैं, वह कम नहीं रहा। फिर वही सरकार में आ रहे हैं। फुलवारीशरीफ निवासी इमरान ने चाय की चुस्की ली और बोले- भाई साहब पांच साल पहले की लहर आज भी है, बस लोग अभी शांत हैं।
मुफ्त के पैसे से दिमाग होगा खराब
इमरान कहते हैं कि अगर बिना काम के किसी को छह हजार रुपया महीना मिलता रहेगा तो उसका दिमाग गलत दिशा में जाएगा। इसके बदले नौकरी दें तो उसे भी अच्छा लगेगा कि मेहनत करते पैसे कमाए हैं, मुफ्त में पैसे नहीं मिल रहे सरकार से। उनके साथी शुभम कुमार हामी भरते हुए कहते हैं, बिल्कुल सही बात है।
इतनी देर में चाय खत्म हो गई। शैलेश ने दुकानदार को एक-एक कप और चाय का ऑर्डर दिया। उनके मित्र अजीत बहुत देर से बात सुन रहे थे। खुद को रोक नहीं पाए और बोल पड़े। कहते हैं- महागठबंधन अगर सत्ता में आ भी जाए तो कौन होगा प्रधानमंत्री? यह पब्लिक को भी नहीं पता है। बहुत झमेला है उसमें। हमें मजबूत सरकार चाहिए, जिसमें अब तक एक ही चेहरा नजर आ रहा है।
बात यहीं खत्म नहीं हुई, लेकिन दुकानदार को बुलाकर शुभम ने पैसा दिया और सभी उठकर चल दिए। जगह के अभाव में सड़क किनारे खड़े होकर चाय पी रहे किदवईपुरी के सुरेश, ऋषि और मंशा चबूतरे पर बैठ गए। सुरेश काफी देर से चुनावी चर्चा सुन रहे थे। वह कहते हैं कि मोदी सरकार ने डिफेंस के लिए बहुत कुछ किया। बॉर्डर पर जवानों का मनोबल बढ़ाया। सरकार किसकी बनेगी कहना जल्दीबाजी होगी, लेकिन एक बात तो साफ है कि लोगों की जुबान पर अभी एक ही नाम और चेहरा है।