किशोरावस्था में बहकावे में की थी चोरी, अब अपराध रोकने को दारोगा बनने की राह पर युवक
जुवेनालन जस्टिस बोर्ड ने एक प्रेरक फैसला सुनाया है। दारोगा की प्राथमिक और मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण एक युवक को किशोरावस्था में चोरी के एकमात्र अपराध से बरी कर भविष्य संवारने का मौका दिया। अब युवक 15 मार्च से पटना में आयोजित शारीरिक दक्षता परीक्षा में शामिल होगा। पढि़ए प्रेरक खबर
बिहारशरीफ, जागरण संवाददाता। किशोर न्याय परिषद के प्रधान न्यायाधीश मानवेन्द्र मिश्रा ने फिर एक प्रेरक फैसला सुनाकर एक युवक को न सिर्फ किशोरावस्था में किए गए अपराध दोष से मुक्त कर दिया बल्कि उसे अपना भविष्य संवारने का मौका भी प्रदान कर दिया है। चोरी के आरोप से दोष मुक्त होने के बाद युवक को पूरी उम्मीद है कि वह बिहार पुलिस में दारोगा बनकर अपराध पर नियंत्रण कर सकेगा। क्योंकि वह दरोगा की प्राथमिक व मुख्य परीक्षा पास कर चुका है।
14 वर्ष की उम्र में की थी चोरी
दरअसल, जब कौशल (काल्पनिक नाम) मैट्रिक का छात्र था, उस वक्त उस पर हिलसा की एक मोबाइल दुकान में चोरी करने का आरोप थाना के अनुसंधान पदाधिकारी ने गठित किया था। चोरी का मामला अज्ञात बदमाशों के विरुद्ध दर्ज हुआ था। लेकिन केस के अनुसंधानकर्ता ने पाया कि मोबाइल दुकान से सिम, चार्जर, कैलकुलेटर, डेटा केबल, रिचार्ज कूपन आदि की चोरी में चार वयस्क अपराधियों के साथ 14 वर्षीय कौशल भी शामिल था। हिलसा के अनुमंडल दंडाधिकारी ने किशोर के मामले को अलग से सुनवाई करने के लिए जिला किशोर न्याय परिषद के समक्ष भेज दिया। जेजेबी में इससे सम्बंधित कांड दर्ज कर विचाराधीन रखा गया।
अब दारोगा बनने की उम्मीद
इधर, बहकावे में किए गए एकमात्र अपराध से उबरकर कौशल ने पढ़ाई जारी रखी। अच्छे अंकों से स्नातक उत्तीर्ण कर सरकारी नौकरी की प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में जुट गया। उसने कड़ी मेहनत की बदौलत बिहार अवर कर्मचारी परिषद द्वारा बिहार पुलिस के लिए आयोजित दारोगा भर्ती की प्रारम्भिक और मुख्य परीक्षा क्रैक कर ली। मुख्य लिखित परीक्षा में सफल हुए अभ्यर्थियों की आगामी 15 मार्च से शारीरिक दक्षता जांच पटना में शुरू होगी, जिसमें कौशल भी शामिल होगा। इसी के मद्देनजर उसने किशोर न्याय परिषद के समक्ष उपस्थित होकर कहा कि 14 साल से कम उम्र में मेरे ऊपर चोरी का एकमात्र आरोप पुलिस के अनुसंधान पदाधिकारी द्वारा लगाया गया है। मैं निर्दोष हूं। वहीं इसके अलावा मुझपर अन्य कोई आरोप नहीं हैं। यदि मुझे दोष मुक्त नहीं किया गया तो मैं दारोगा बनने से वंचित हो सकता हूं। एसपी द्वारा जारी चरित्र प्रमाण पत्र में मेरे ऊपर लगे आरोप का जिक्र कर दिया जाएगा और मुझे दारोगा की नौकरी से अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा।
मानवीय आधार पर दिए फैसले में न्यायाधीश ने यह लिखा
इन सभी बिंदुओं जेजेबी के प्रधान दंडाधिकारी ने मानवीय दृष्टिकोण से विचार किया और कौशल को चोरी के आरोप से दोष मुक्त कर दिया। उन्होंने फैसले में लिखा कि चूंकि किशोर के साथ चार अन्य वयस्क आरोपियों के नाम भी चोरी में शामिल हैं, इसलिए यह संभव है कि उन चारों ने प्रेम शंकर पर दबाव बनाया या भय या लोभ देकर इस घटना में शामिल कराया। उन्होंने फैसले में लिखा कि यह सम्भव है, कौशल का किशोर मन उन चारों के प्रभाव में आकर भटक गया हो। उस एक मात्र घटना के बाद इस पर कभी भी किसी तरह के अपराध में शामिल रहने के आरोप नहीं लगे। अब जब कौशल कड़ी मेहनत कर दारोगा बनने के लिए अंतिम टेस्ट देने वाला है, इसलिए उन्हें भविष्य संवारने का मौका देते हुए दोष मुक्त किया जाता है। जेजेबी ने नालंदा एसपी को फैसले की कॉपी भेजते हुए कहा है कि चूंकि कौशल दोषमुक्त हो चुका है, इसलिए आचरण प्रमाण पत्र जारी करने में उस पर लगे आरोप का जिक्र न हो।