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बिहार के युवा वैज्ञानिकों ने की खोज, रक्त चंदन के बीज में कैंसर की प्रतिरोधक क्षमता

बिहार के युवाओं ने खोजकर रक्त चंदन के बीज में कैंसर की प्रतिरोधक क्षमता का पता लगाया है। वैज्ञानिक का शोध अमेरिकी जर्नल में प्रकाशित किया जाएगा।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Sun, 30 Aug 2020 08:17 PM (IST)Updated: Mon, 31 Aug 2020 02:41 PM (IST)
बिहार के युवा वैज्ञानिकों ने की खोज, रक्त चंदन के बीज में कैंसर की प्रतिरोधक क्षमता
बिहार के युवा वैज्ञानिकों ने की खोज, रक्त चंदन के बीज में कैंसर की प्रतिरोधक क्षमता

बक्सर, जेएनएन। बिहार के युवा वैज्ञानिकों ने रक्त चंदन में मौजूद प्रतिरोधक क्षमता के बारे में नई खोज कर पूरे सूबे का नाम रोशन किया है। अपनी शोध में वैज्ञानिकों ने पहली बार लाल रक्त चंदन की लकड़ी के बीज में स्तन कैंसर की प्रतिरोधक क्षमता की मौजूदगी का पता लगाया है। बिहारी वैज्ञानिकों का यह शोध अमेरिकी जर्नल सेज जर्नल ऑफ ब्रेस्ट कैंसर: बेसिक एण्ड क्लीनिकल रिर्सच के ताजा अंक में प्रकाशित हुआ है। प्रतिष्ठित जर्नल में शोध का प्रकाशित होना चिकित्सा जगत में बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। 

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तीन सदस्यीय अनुसंधान दल में शामिल महावीर कैंसर संस्थान के डॉ.अरुण कुमार, डॉ.मनोरमा कुमारी एवं अनुग्रह नारायण कालेज, पटना के पीएचडी छात्र विवेक अखौरी द्वारा महावीर कैंसर संस्थान में कई वर्षों तक रक्त चंदन के बीज पर शोध किया गया। शोधकर्ताओं के मुताबिक अध्ययन के दौरान कार्सिनोजेन रासायनिक डीएमबीए को प्रेरित कर चाल्र्स फोस्टर चूहों में स्तन ट्यूमर मॉडल विकसित किया गया। इसके बाद लगातार पांच सप्ताह तक लाल रक्त चंदन के बीज के साथ चूहों का इलाज किया गया। इलाज के बाद ट््यूमर की मात्रा में जबरदस्त कमी पाई गई। शोधकर्ताओ का दावा है कि लाल रक्त चंदन की लकड़ी के बीज के माध्यम से अब तक पूरे विश्व में किया गया पहला अध्ययन है। अनुसंधान दल के लीडर डॉ.अरुण बताते हैं कि स्तन कैंसर होने के कई कारण होते हैं। इनमें वंशानुगत, स्तनपान की कमी और जीवन शैली से जुड़े कारण प्रमुख हैं। यह रोग कितना खतरनाक है, यह आंकड़ों से समझा जा सकता है। वर्ष 2018 में 1 लाख 62 हजार 468 महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर की शिकार हुईं और बीमारी में मृत्युदर लगभग 30 प्रतिशत रही। 

रक्त चंदन का पेड़ देख मिली शोध की प्रेरणा

शोध से जुड़े एक संयोग का जिक्र करते हुए डॉ.अरुण ने बताया कि आर्सेनिक को लेकर वे अपने गृह जिला बक्सर में काम कर रहे हैं। इसी दौरान पानी की जांच के लिए सिमरी प्रखंड के खैरापट्टी निवासी श्रीराम पाण्डेय के घर गए और उनके बगीचे में मौजूद लाल रक्त चंदन के पेड़ और बीज पर उनकी नजर गई। उन्होंने अपने शोधार्थी शिष्य विवेक और सहकर्मी मनोरमा के साथ इस पर अनुसंधान का फैसला लिया। 


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