देश व दुनिया में 'गेमचेंजर' बनकर उभर रहे बिहार के युवा, डालते हैं एक नजर...
बिहार बदल रहा है। ये बात अब पुरानी हो गई है। नई बात है कि बिहारी बदल रहे हैं। सिर्फ बिहार को नहीं, देश को। दुनिया को। इस दुनिया को रोज अपनी मेहनत से खूबसूरत और खूबसूरत बना रहे हैं। वे लिखते हैं, तो शब्दों को नया अर्थ मिलता है।
पटना। बिहार बदल रहा है। ये बात अब पुरानी हो गई है। नई बात है कि बिहारी बदल रहे हैं। सिर्फ बिहार को नहीं, देश को। दुनिया को। इस दुनिया को रोज अपनी मेहनत से खूबसूरत और खूबसूरत बना रहे हैं। वे लिखते हैं, तो शब्दों को नया अर्थ मिलता है। वे कहते हैं, तो दुनिया रुककर सुनती है। ये बिहारी जहां हैं, वहीं अपनी खुशबू फैला रहे हैं।
राजनीति का गलियारा हो या साहित्य का चौपाल। फिल्मों के गीत हो या खेल का मैदान। बिहार के युवा 'गेमचेंजर' की तरह उभरे ह। उनकी पहचान अब सिर्फ पाटलिपुत्र, वैशाली, विक्रमशिला या नालंदा से नहीं है। उनकी पहचान वे खुद हैं। उनकी प्रतिभा से है। उनकी सोच से है। वो सोच जो सबसे जुदा है।
गणितज्ञ आनंद
एक युवा जिसने कैम्ब्रिज में पढऩे का सपना देखा। प्रतिभा तो थी मगर गरीबी के कारण ये सपना, सपना ही रह गया। दूसरा कोई होता तो निराश हो जाता, मगर उसका तो नाम ही आनंद था। उसने निश्चय किया कि अब कोई 'आनंद' गरीबी के कारण अपने सपने से दूर नहीं होगा।
करीब 10 साल पहले पटना में 'सुपर-30' की स्थापना की। गरीब मेधावी छात्रों को मुफ्त में इंजीनियरग की पढ़ाई कराई। अब हर साल 25-30 गरीब छात्रों का आइआइटी में पढऩे का सपना पूरा हो रहा है। ये पहल बदलाव बनकर आई। आनंद कुमार को तो प्रसिद्धि मिली है, गरीबों के लिए कई और दरवाजे खुल गए।
आज न सिर्फ पटना में बल्कि भारत और विदेशों में भी 'सुपर-30' की तर्ज पर संस्थाएं चलाई जा रही हैं। ये है- बिहारी युवा। जो तकलीफ में भी दूसरों का भला चाहता है। जो सिर्फ अपनी नहीं सोचता, दुनिया की सोचता है।
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर
अब बात राजनीति की। चाणक्य की धरती पर जन्म लेने वाले आज के 'चाणक्य' की। जिसने आज तक जिसके लिए भी रणनीति बनाई, वो विजयी होकर ही आया। नाम-प्रशांत किशोर। बक्सर के मूल निवासी प्रशांत यूं तो यूनाइटेड नेशन सहित कई संस्थाओं से जुड़कर काम कर चुके हैं, मगर मुकम्मल पहचान राजनीति से ही मिली। चुनाव लड़कर नहीं, चुनाव लड़वाकर।
2014 में हुए लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी की जीत का सेहरा प्रशांत किशोर के माथे पर भी बंधा। चुनावी नारों से लेकर रणनीति तक वे हर मोर्चे पर अपनी बुद्धि लगाते रहे। समय बदला। हालात बदले और सबसे अहम चुनाव बदला तो प्रशांत किशोर जदयू के साथ आ गए। बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की इमेज से लेकर वोट के गणित तक काम किया। नतीजा, फिर वही। जीता कर लौटे।
ये प्रशांत किशोर का ही कमाल था जिसने राजनीतिक दलों और नेताओं को ये बताया कि सोशल मीडिया वोट भी बटोर सकता है। आज ये बदलाव हर चुनाव में साफ दिखाई दे रहा है।
गीतकार राजशेखर
बिहार के विधानसभा चुनाव में ही एक गीत बहुत चर्चा में रहा- 'बिहार में बहार हो, नीतीशे कुमार हो।' ये गीत लिखने वाला शख्स कोई और नहीं मधेपुरा के राजशेखर थे। नीतीश कुमार ने भी इस गीत की प्रशंसा की। शब्दों के 'रंगरेज' राजशेखर फिलहाल मुंबई में रहते हैं और फिल्मों में गीत लिख रहे हैं। 'तनु वेड्स मनु' में लिखे उनके गीत कई पुरस्कार जीत चुके हैं। उनके गीतों को बॉलीवुड का ट्रेंड सेटर माना जा रहा है।
एक्ट्रेस स्वरा भास्कर
फिल्मों की बात चली है, तो बात उस अभिनेत्री की जो कला व कॉमर्शियल सिनेमा की दूरी पाटने में लगी हैं। नाम- स्वरा भास्कर। वैसे स्वरा का ननिहाल पटना में है, मगर वह खुद को बिहारी ही मानती हैं। 'तनु वेड्स मनु'समेत कई फिल्मों में उन्होंने बिहारी लड़की का अभिनय भी किया है।
'प्रेम रतन धन पायो' में सलमान की बहन के किरदार में स्वरा को खूब प्रशंसा मिली है। जल्द ही वह 'नील बटा सन्नाटा' में तो दिखेंगी ही, 'अनारकली आरावाली' में भी सबको चौंकाएंगी।
एक्ट्रेस सोनाक्षी सिन्हा
फिल्मों की बात हो तो सोनाक्षी सिन्हा की चर्चा कैसे नहीं होगी? बॉलीवुड की दबंग गर्ल सोनाक्षी सिन्हा अपने पिता शत्रुघ्न सिन्हा के नक्शे-कदम पर चल सफलता के झंडे गाड़ रही हैं।
एक्ट्रेस नीतू चंद्रा
पटना के नोट्रेडम से पढ़ी नीतू चंद्रा न सिर्फ फिल्म अभिनेत्री हैं, बल्कि अब राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित फिल्म का हिस्सा भी हैं। हाल ही उनके बैनर के तले बनी फिल्म 'मिथिला मखानÓ को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है।
सुपरमॉडल सुप्रिया ऐमन
बात बिहार की कुछ और बेटियों की। दलदली रोड की रहने वाली व बांकीपुर गल्र्स स्कूल से पढ़ी सुप्रिया ऐमन आज देश की सुपरमॉडल है। मिस इंडिया इंटरनेशनल हैं।
रतन राजपूत व दीपाली सहाय
नाम कई हैं। फिर चाहे वह आनंदपुरी की रतन राजपूत हो या पटना वीमेंस कॉलेज की छात्रा रहीं इंडियन आइडल फेम दीपाली सहाय। ये सभी बेटियां आज देश-दुनिया में बिहार का प्रतिनिधित्व कर रही हैं।
साहित्यकार प्रभात रंजन
अब बात साहित्य की। आज के साहित्य की। सबसे पहला नाम प्रभात रंजन का। समस्तीपुर के रहने वाले प्रभात रंजन दिल्ली में पढ़ाते हैं। ब्लॉगर हैं। लेखक हैं। 'जानकीपुल' से चर्चा में आए प्रभात को हाल ही में आई किताब 'कोठागोई' के लिए काफी सराहा गया। फिलहाल वे मनोहर श्याम जोशी की आत्मकथा 'जोशी जी की मनोहर कहानियां' पर काम कर रहे हैं।
साहित्यकार गिरीन्द्र
एक और नाम जो तेजी से युवा साहित्य में दखल दे रहा है, वो गिरीन्द्रनाथ झा का है। पेशे से पत्रकार रहे गिरीन्द्र ने पहले तो दिल्ली की नौकरी छोड़ पूर्णिया आकर खेती-बाड़ी कर सबको चौंकाया और फिर लघु प्रेम कथा (लप्रेक) 'इश्क में शहर होना' लिखकर सुर्खियां बटोरीं।
क्रिकेटर इशान किशन
देश में जिस क्रिकेट को धर्म माना जाता है, उसे भी अपना भविष्य एक 'बिहारीÓ में ही दिख रहा है। पटना के इशान किशन को अंडर-19 विश्व कप में भारत का कप्तान बनाया गया।
शरद व अभिषेक
प्रभावशाली व्यक्तित्व में भी युवा बिहारियों की दखल साफ है, वो भी विश्व स्तर पर। तभी तो फोब्र्स ने 30 साल से कम उम्र के युवा प्रतिभाशालियों में पटना के शरद सागर को स्थान दिया। इसी तरह 19 साल के इंजीनियरिंग छात्र अभिषेक को वल्र्ड यूथ समिट के लिए बुलावा मिला। ये सभी युवा बदलता बिहार ही तो हैं।
सुहर्ष भगत
बिहारियों की बात हो और पढ़ाई-लिखाई का जिक्र न हो, तो बात अधूरी रहेगी। तो जान लीजिए। अभी भी इंजीनियङ्क्षरग से लेकर प्रशासनिक नौकरियों तक में बिहारी झंडा गाड़ रहे हैं। पिछले साल यूपीएससी के रिजल्ट में पहले चार स्थान पर लड़कियां रहीं तो लड़कों में पहला स्थान समस्तीपुर के सुहर्ष भगत ने हासिल किया।
और भी हैं नाम...
नाम कई हैं। चेहरे बदल जाएंगे। क्षेत्र बदल जाएगा मगर सफलता नहीं बदलेगी। यह नया बिहार है। ये नए बिहारी हैं। वे बिहारी, जो आज आगे हैं और जमाना उनके पीछे।