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बिहार में पूर्व मंत्री की मौत का सच जान चौंक जाएंगे आप, एक अस्‍पताल ने लौटाया तो दूसरे ने इलाज में किया विलंब

Bihar CoronaVirus News बिहार में पूर्व मंत्री मेवालाल चौधरी की कोरोनावायरस संक्रमण से मौत हो गई है। उनके निजी सचिव ने कहा है कि पटना के आइजीआइएमएस ने उन्‍हें भर्ती करने से इनकार किया तो एक निजी अस्‍पताल ने भर्ती करने के बावजूद आइसीयू में बेड देने में विलंब किया।

By Amit AlokEdited By: Published: Tue, 20 Apr 2021 01:42 PM (IST)Updated: Tue, 20 Apr 2021 01:50 PM (IST)
बिहार में पूर्व मंत्री की मौत का सच जान चौंक जाएंगे आप, एक अस्‍पताल ने लौटाया तो दूसरे ने इलाज में किया विलंब
बिहार में पूर्व मंत्री व जेडीयू विधायक मेवालाल चौधरी। फाइल तस्‍वीर।

पटना, ऑनलाइन डेस्‍क/ एजेंसी। बिहार के पूर्व मंत्री (Ex Minister) व जनता दल यूनाइटेड (JDU) विधायक मेवालाल चौधरी (Mewa Lal Chaudhary) का सोमवार को पटना के पारस अस्‍पताल (Paras Hospital) में कोरोनावायरस संक्रमण (CoronaVirus Infection) के कारण निधन हो गया। मेवालाल चौधरी के इलाज के दौरान के अनुभवों को साझा करते हुए उनके निजी सचिव शुभम सिंह (Shubham Singh) ने बिहार की स्‍वास्‍थ्‍य व्‍यवस्‍था (Health System in Bihar) की पोल खोल दी है। उन्‍होंने तंज भरे लहजे में कहा कि मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) उनके निधन को व्‍यक्तिगत क्षति बताते हैं, लेकिन कोई नहीं जानता कि इलाज के दौरान पहले मुंगेर व बाद में पटना में मेवालाल ने क्‍या-क्‍या झेला। सत्‍ताधारी दल का बड़ा नाम रहने के बावजूद उन्‍हें इलाज के लिए दर-दर भटकना पड़ा। सही व समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण वे मौत से जंग हार गए।

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समय पर नहीं मिली कोरोना की आरटीपीसीआर रिेपोर्ट

शुभम सिंह कहते हैं कि मेवालाल चौधरी को बीते कुछ दिनों से बुखार था। कोरोनावायरस संक्रमण की आशंका होने पर उन्‍होंने मुंगेर में आरटीपीसीआर टेस्‍ट कराया, जिसकी रिपोर्ट के लिए उन्‍होंंने तीन दिन तक इंतजार किया। इस बीच 15 अप्रैल को जब उनकी स्थिति बिगड़ी, तब भी उन्‍होंने आरटीपीसीआर रिपोर्ट की मांग की, लेकिन वह नहीं मिली। बाद में यह रिपोर्ट 16 अप्रैल को मिली।

तबीयत बिगड़ी तो 15 अप्रैल को मुंगेर से लाए गए पटना

शुभम सिंह के अनुसार, इसके पहले मेवालाल को सांस लेने में कठिनाई होने पर उन्‍हें 15 अप्रैल को ऑक्‍सीजन सपोर्ट पर पर रखकर पटना लाया गया। रास्ते में उन्हें खांसी का दौरा पड़ा। रास्‍ते में उन्‍हें अदरक चबाने के लिए दिया गया, जाकि खांसी कम हो।

आइजीआइएमएस ने भर्ती करने से कर दिया इनकार

15 अप्रैल की रात 12.30 बजे उन्‍हें पटना के सरकारी आवास पर ऑक्‍सीजन सपोर्ट पर रखा गया। अगली सुबह पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्‍थान (IGIMS) ने रैपिड एंटीजन टेस्‍ट की रिपोर्ट नेगेटिव आने पर भर्ती करने से इनकार कर दिया। वहां मेवालाल ने खुद सांस लेने में परेशानी की स्थिति बताते हुए डॉक्‍टरों से आरटीपीसीआर टेस्‍ट कराने का आग्रह किया, लेकिन डॉक्‍टरों ने कहा कि इसकी रिपोर्ट आने में दो से तीन दिन लग जाएंगे और रिपेार्ट पॉजिटिव आने के पहले वे उन्‍हें भर्ती नहीं कर सकते हैं।

पटना डीएम के कहने पर मिली पारस अस्‍पताल में एंट्री

शुभम सिंह ने बताया कि पूर्व मंत्री ने अपने सभी स्रोतों से सहायता मांगी, लेकिन आइजीआइएमएस में बेड नहीं पा सके। इसके बाद पटना के पारस अस्‍पताल ने भी बेड के अभाव में भर्ती करने से इनकार कर दिया। तब मेवालाल चौधरी ने पटना के जिलाधिकारी (Patna DM) चंद्रशेखर को फोन किया। जिलाधिकारी के कहने पर पारस अस्‍पताल ने बेड दिया।

पारस अस्‍पताल में घंटों बाद मिला आइसीयू में बेड

पारस अस्‍पताल में डॉक्‍टरों ने सीने की सीटी-स्‍कैन कराने पर गंभीर कोरोना संक्रमण पाया। आइसीयू में बेड नहीं रहने के कारण उन्‍हें फिलहाल इमरजेंसी वार्ड में रखकर इलाज शुरू किया गया। घंटों बाद 16 अप्रैल को रात्रि 11 बजे जब तक आइसीयू में बेड मिला, तब तक मेवालाल केवल ऑक्‍सीजन सपोर्ट व सेलाइन पर रखे गए थे। आगे 18 अप्रैल को डॉक्‍टरों ने बताया कि फेफड़े ठीक से काम नहीं कर रहे हैं, इसलिए उन्‍हें वेंटिलेटर पर रखना होगा।

18 अप्रैल की रात वेंटिलेटर पर गए, 19 की सुबह मौत

मेवालाल 18 अप्रैल की रात में वेंटिलेटर पर रखे गए और 19 अप्रैल की सुबह करीब 4.30 बजे उनकी मौत की सूचना दी गई। शुभम सिंह ने सवाल किया है कि जब एक सत्‍ताधारी दल के बड़े विधायक के साथ अस्‍पतालों में ऐसा हो सकता है, तब आम आदमी के साथ क्‍या होगा होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।


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