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बिहारः इनकी पहचान न तो कोरोना वॉरियर न फ्रंट लाइन वर्कर के रूप में, काम ऐसा कि पूछिए मत

इनकी चर्चा न तो कोरोना वॉरियर के रूप में होती है और न ही इन्हें फ्रंट लाइन वर्कर का दर्जा प्राप्त है। पर अगर कोरोना को लेकर जागरूकता की बात जहां कहीं भी हो तो इनकी चर्चा प्रमुखता से होनी चाहिए। ये हैं घर का काम करने वालीं मेड।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Mon, 26 Apr 2021 10:46 AM (IST)Updated: Mon, 26 Apr 2021 10:46 AM (IST)
बिहारः इनकी पहचान न तो कोरोना वॉरियर न फ्रंट लाइन वर्कर के रूप में, काम ऐसा कि पूछिए मत
महिलाएं पहचान की मुहताज हों पर इनके काम किसी से कम नहीं। प्रतीकात्मक तस्वीर।

राज्य ब्यूरो, पटना: इनकी चर्चा न तो कोरोना वॉरियर के रूप में होती है और न ही इन्हें फ्रंट लाइन वर्कर का दर्जा प्राप्त है। पर अगर कोरोना को लेकर जागरूकता की बात जहां कहीं भी हो तो इनकी चर्चा प्रमुखता से होनी चाहिए। ये हैैं, हर सुबह घर का काम करने आपके शहर के मुहल्लों और अपार्टमेंट में पहुंचने वाली मेड। वह महिला जो दो से तीन हजार रुपए की मामूली पगार पर आपके घर दूर-दूर से पहुंचती हैैं। घर आकर झाड़ू-पोछा और बर्तन धोने वाली इन महिलाओं में कोरोना को लेकर जागरूकता कमाल की है।

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मास्क को तो निकालतीं ही नहीं

दानापुर के सगुना मोड़ इलाके में बनी नयी कॉलोनियों में आम तौर पर इन महिलाओं की बड़ी तादाद दिखती है जो काफी दूर से ऑटो की सवारी कर पहुंचती है। इसके अलावा राजेंद्र नगर व कंकड़बाग इलाके में काम करने वाली महिलाएं पटना सिटी से फतुहा तक के विभिन्न इलाकों से ट्रेन द्वारा पहुंचतीं हैैं। मास्क को लेकर बहुत ज्यादा पढ़े-लिख्रे लोगों में इतनी जागरूकता नहीं जितना मास्क की महत्ता को ले ये महिलाएं जागरूक हैैं। कई मेड ने बातचीत के क्रम में बताया कि वह घर से जब निकलती हैैं तो मास्क पहनती हैैं और घर लौटने तक उसे नहीं खोलती हैैं। एक दिन में औसतन तीन-चार घरों में काम करना होता है इसलिए जहां भी जाती हैैं तो मास्क में ही काम करती हैैं। अपार्टमेंट है तो पार्किंग में ही हाथ-पैर धोकर ऊपर जाती हैं। बताया कि घर से ही छोटी शीशी में सैनिटाइजर लेकर चलती हैैं। बगैर हाथ में लगाए काम आरंभ नहीं करती। खतरा तो है पर इसका पूरा ध्यान रख रहे कि जिनके यहां काम करे उन्हें किसी तरह की परेशानी में नहीं डालें। 

वैक्सीनेशन को ले खूब हैं जागरूक

इन महिलाओं ने बस दस्तखत करने और हल्का-फुल्का पढ़ लेने तक की ही पढ़ाई की है पर कोरोना काल में वैक्सीनेशन को लेकर इनकी जागरूकता जबर्दस्त है। इनमें कुछ महिलाओं से बातचीत हुई तो कई ने बताया कि उन्होंने टीका लिया हुआ है। अगले टीके की तारीख भी याद कर रखी है। इन्हें यह भी पता कि एक मई से 18 वर्ष के ऊपर के लोगों को भी टीका लगेगा। 


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