Move to Jagran APP

क्‍या पार्टी पर भी होगा पारस का कब्जा, चिराग ने रीना पासवान को लोजपा अध्‍यक्ष बनाने का दिया प्रस्‍ताव

लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान और पशुपति पारस के बीच समझौता नहीं हुआ तो पार्टी पर कब्जे को लेकर दोनों के बीच एक और लड़ाई होगी। संभव है कि इसमें भी पारस की जीत हो। हालांकि चिराग पासवान ने भी डैमेज कंट्रोल शुरु कर दिया है।

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Tue, 15 Jun 2021 07:25 AM (IST)Updated: Tue, 15 Jun 2021 07:41 AM (IST)
रीना पासवान, चिराग और राम विलास पासवान की फाइल फोटो।

पटना, राज्य ब्यूरो। लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान और पशुपति पारस के बीच समझौता नहीं हुआ तो पार्टी पर कब्जे को लेकर दोनों के बीच एक और लड़ाई होगी। संभव है कि इसमें भी पारस की जीत हो। राष्ट्रीय अध्यक्ष का चयन पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के बहुमत सदस्यों से होता है। इसी प्रक्रिया से पांच नवंबर, 2019 को चिराग अध्यक्ष बने थे। उनका चयन सर्वसम्मति से हुआ था। चिराग से पहले 19 साल तक रामविलास पासवान लोजपा (लोक जनशक्ति पार्टी) के अध्यक्ष थे। उन्होंने ही चिराग के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की घोषणा की थी।

loksabha election banner

पारस राजी हुए तो सलट जाएगा विवाद

लोजपा जैसी पार्टी में संगठन के पदाधिकारियों का चयन चुनाव के आधार पर नहीं होता है। अध्यक्ष सहित कार्यकारिणी की पूरी सूची एक साथ जारी होती है। सभी सदस्य हाथ उठाकर सहमति दे देते हैं। चिराग ने अपनी मां रीना पासवान को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव दिया है। पारस इस पर राजी हो जाते हैं तो आसानी से अध्यक्ष का विवाद सलट जाएगा। चुनाव की नौबत आई तो पारस इसमें भी बाजी मार लेंगे। उनके केंद्र में मंत्री बनने की संभावना जाहिर की जा रही है। कार्यकारिणी के सदस्य भविष्य से अधिक वर्तमान पर नजर रखते हैं। इसलिए मंत्री बनने के बाद कार्यकारिणी के बहुमत सदस्य पारस का पक्ष लेंगे।

बिहार में नहीं है परेशानी : लोजपा की बिहार इकाई पारस के साथ रहेगी। प्रदेश अध्यक्ष प्रिंस राज पांच सांसदों के उस समूह में शामिल हैं, जिसने पारस को संसदीय दल का नेता माना है। पार्टी की राज्य कार्यकारिणी और जिला इकाइयां प्रिंस का साथ दे सकती हैं, लेकिन अधिक संभावना यह है कि पार्टी में विभाजन की नौबत ही न आए। दोनों पक्ष रीना पासवान के नाम पर राजी हो जाएं।

चिराग के पास अब ये हैं रास्ते

* लोजपा में अपने कद को बचाए रखने के लिए चिराग पासवान चाचा पशुपति कुमार पारस को मना लें तो पार्टी में उनका सम्मान बरकरार रह सकता है।

* चिराग पांच सांसदों में दो सांसद को भी अपने साथ ले आएं तो बाजी पलट जाएगी।

* यदि पारस जिद पर अड़े रहे और चिराग का मान-मनौव्वल को ठुकरा दिया तो चिराग को समर्पण के सिवा कोई रास्ता नहीं बचेगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.