स्पुतनिक वैक्सीन लगवाने के लिए अभी और करना होगा इंतजार, इस वजह से पटना नहीं आ सकी खेप
हिमाचल प्रदेश के कसौली स्थित सेंट्रल ड्रग लैबोरेटरी में रसियन वैक्सीन स्पुतनिक वैक्सीन V की प्रभावशीलता की जांच की जा रही है। वहां से क्लियरेंस मिलने पर पटना में वैक्सीन की एक लाख डोज मंगलवार को लाई जानी थी।
पटना, जागरण संवाददाता। रूसी कोरोना वैक्सीन स्पुतनिक वी (Russian Corona Vaccine Sputnik V) मंगलवार शाम तक पटना नहीं पहुंच सकी। इसका कारण हिमाचल प्रदेश के कसौली स्थित सेंट्रल ड्रग लेबोरेटरी (Central Drug Laboratory) से वैक्सीन को क्लियरेंस नहीं मिलना बताया जा रहा है। बताते चलें कि रूस में निर्मित होने के कारण देश में इसकी प्रभावशीलता की जांच के लिए वैक्सीन को कसौली भेजा गया था।
पटना के दो डिस्ट्रीब्यूटर को मिलनी थी 50-50 हजार डोज
दवा कंपनी डा. रेड्डी लेबोरेटरीज के माध्यम से थोक दवा मंडी गोविंद मित्रा रोड के दो बड़े वैक्सीन ड्रिस्ट्रीब्यूटर केसर और पूरन वैक्सीन को मंगलवार शाम तक 50-50 हजार डोज मिलनी थी। लेकिन अब इंतजार बढ़ गया है। इस कारण स्पुतनिक वैक्सीन लगवाने वालों को मायूसी हुई है। मालूम हो कि सिविल सर्जन कार्यालय से कोरोना टीकाकरण के 11 निजी अस्पतालों को मान्यता दी गई है। इन अस्पतालों में वैक्सीन लगवाने के लिए लोगों को वैक्सीन के मूल्य के अतिरिक्त 150 रुपये सेवा शुल्क चुकाना होगा।
सेंट्रल ड्रग लेबोरेटरी से नहीं मिली क्लियरेंस
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि रूस में निर्मित स्पुतनिक वी वैक्सीन का भारत में क्या प्रभाव होगा यह जानने के लिए टीकाकरण में शामिल करने के पहले इसकी जांच जरूरी है। भारतीय परिप्रेक्ष्य में इसकी प्रभावशीलता व दुष्प्रभाव की जांच मई में शुरू हुई थी। 15 दिन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद इसे जांच के लिए हिमाचल प्रदेश के कसौली स्थित सेंट्रल ड्रग लेबोरेटरी भेजा गया था। डॉ. रेड्डी लेबोरेटरीज को सोमवार की शाम तक सेंट्रल ड्रग लेबोरेटरी से क्लियरेंस मिलने की उम्मीद थी। लेकिन, मंगलवार तक वहां से सर्टिफिकेट नहीं मिल सका। यही कारण है कि जिन राज्यों को वैक्सीन भेजी जानी थी, वहां नहीं पहुंचाई जा सकी।
छोटे जिलों में कैसे पहुंचेगी स्पुतनिक वैक्सीन
स्पुतनिक वी को बड़ी आबादी तक पहुंचाने में सबसे बड़ी बाधा उसे न्यूनतम-18 डिग्री सेल्सियस पर रखने की होगी। सूत्रों के अनुसार, डा. रेड्डी इसके लिए विशेष रेफ्रिजरेटर भी खरीद रही है। कंपनी इसे मुख्य ड्रिस्ट्रीब्यूटर तक तो तापमान सुनिश्चित करते हुए पहुंचा देगी। अस्पतालों के डीप फ्रीजर में भी यह तापमान सुनिश्चित किया जा सकेगा, लेकिन अस्पतालों व जिलों में पहुंचाने की व्यवस्था को परखना बाकी है। प्रदेश में वैक्सीन वैन में कितना न्यूनतम तापमान सुनिश्चित किया जा सकता है, उसकी जांच कर फ्रीजर के कैपेसिटर में बदलाव करना होगा। ऐसे में छोटे जिलों में स्पुतनिक वैक्सीन के पहुंचने पर संशय बना हुआ है।