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मारे गए Ex MLA की विधवा ने कहा, प्रभुनाथ सिंह को मिले फांसी

राजद के बाहुबली प्रभुनाथ सिंह को हजारीबाग की अदालत ने पूर्व विधायक अशोक की हत्‍या को दोषी करार दिया है। उनकी विधवा ने प्रभुनाथ के लिए फांसी की सजा की मांग की है।

By Amit AlokEdited By: Published: Thu, 18 May 2017 07:45 PM (IST)Updated: Thu, 18 May 2017 11:41 PM (IST)
मारे गए Ex MLA की विधवा ने कहा, प्रभुनाथ सिंह को मिले फांसी
मारे गए Ex MLA की विधवा ने कहा, प्रभुनाथ सिंह को मिले फांसी

पटना [राज्य ब्यूरो]। राजद के बाहुबली व पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद के करीबी पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह को पूर्व विधायक अशोक सिंह की हत्‍या का दोषी पाया गया है। मृतक अशोक सिंह की पत्नी चांदनी सिंह ने अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि 'हमारे देश में कानून की चक्की भले ही धीमी चलती हो, लेकिन यह पीसती बहुत महीन है।' चांदनी सिंह ने प्रभुनाथ सिंह के लिए फांसी की सजा की मांग की है।

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हजारीबाग की निचली अदालत द्वारा मशरक के पूर्व विधायक अशोक सिंह हत्याकांड में राजद के वरिष्ठ नेता व पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह को दोषी ठहराए जाने के बाद चांदनी सिंह ने कहा कि इस मामले में राजद विधायक केदार सिंह और रितेश मुखिया को अदालत द्वारा बरी किए जाने के फैसले को वे पटना हाईकोर्ट में चुनौती देंगी। इन दोनों को अदालत से बरी किए जाने से वह कतई संतुष्ट नहीं हैं।

हजारीबाग की अदालत का फैसला आने के बाद चांदनी सिंह ने कहा कि उन्‍होंने पति के हत्यारों को सजा दिलाने के लिए पिछले 22 साल तक अकेले संघर्ष किया है। वह भी वैसे राजनेता के खिलाफ, जिसका पूरे बिहार में आतंक रहा है। अपने 22 साल के संघर्ष की कहानी बयां करने के दौरान कई बार उनकी आंखें भर आईं।

वे सवाल करती हैं, आखिर मेरे पति की गलती क्या थी? क्या उनकी यही गलती थी कि उन्होंने वर्ष 1995 के बिहार विधानसभा चुनाव में बिहार पीपुल्स पार्टी के उम्मीदवार प्रभुनाथ सिंह को भारी मतों से शिकस्त दी थी? कहती हैं कि पिछले 22 वर्षों के दौरान मुझे और मेरे बच्चों को न केवल धमकाया गया, बल्कि केस मैनेज करने के लिए कई तरह के प्रलोभन भी दिए गए। लेकिन मैं नहीं झुकी।

चांदनी सिंह ने बताया, जब मेरे पति को नृशंस तरीके से मौत के घाट उतारा गया था तब मेरी शादी के महज पांच साल बीते थे। मेरे दोनों बेटे काफी छोटे थे। बड़े बेटे की उम्र तब साढ़े तीन साल और छोटे बेटे की महज ढाई साल थी।
हजारीबाग स्थानांतरित कराया था केस
अशोक सिंह की विधवा ने कहा कि मुझे पता था कि बिहार की निचली अदालत में न्याय मिलना आसान नहीं है। मैंने वर्ष 1996 में पटना हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर इस केस को हजारीबाग स्थानांतरित करने की मांग की थी, जिसे पटना हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया। तभी से मेरा एक पांव हजारीबाग और दूसरा पटना में रहता था।

उन्‍होंने कहा, अदालत द्वारा प्रभुनाथ सिंह और उनके दो अन्य सहयोगियों को इस हत्याकांड में दोषी ठहराए जाने के बाद आज मेरे दिल को संतोष मिला है। मुझे पूरी उम्मीद है कि अदालत प्रभुनाथ सिंह जैसे अपराधी को फांसी की सजा सुनाएगी। सजा 23 मई को सुनाई जानी है।

कई रिश्तेदारों व समर्थकों की हो चुकी है हत्या
चांदनी सिंह बताती हैं कि उनके पति व मशरख विधानसभा क्षेत्र से तत्कालीन जनता दल विधायक अशोक सिंह प्रभुनाथ सिंह के कोई अकेले शिकार नहीं थे। प्रभुनाथ सिंह ने अशोक सिंह के कई लोगों को मौत के घाट उतरवाया है। लेकिन, मेरे पति प्रभुनाथ सिंह के आतंक के आगे कभी झुके नहीं। वे अपने क्षेत्र के लोगों को प्रभुनाथ के आतंक का सामना करने की प्रेरणा देते रहे। जिसका परिणाम हुआ कि 3 जुलाई, 1995 की शाम 7.20 बजे पटना के 5 स्ट्रैंड रोड स्थित सरकारी आवास में ही बम से उड़ाकर उनकी नृशंस हत्या कर दी गई।

चांदनी सिंह कहती हैं कि प्रभुनाथ सिंह ने उनके आधा दर्जन निकटतम रिश्तेदारों व समर्थकों को भी इसी तरह मौत के घाट उतारा था। राजू सिंह, मनोकामना सिंह और छपरा के आर्म्‍स डीलर अजय सिंह की हत्या कराई थी। लेकिन, हत्या के इन मामलों ने अदालत में इसलिए दम तोड़ दिया क्योंकि प्रभुनाथ सिंह ने फरियादी से लेकर गवाहों तक को मैनेज कर लिया।

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यही कारण था कि मैंने हाइकोर्ट से इस मामले की सुनवाई किसी ऐसी अदालत में कराने की गुहार लगाई, जहां प्रभुनाथ सिंह का प्रभाव न हो। चांदनी सिंह बताती हैं कि मेरे पति की हत्या के बाद भी छपरा में राजनीतिक हत्याओं का खेल जारी रहा। 

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