Bihar Lok Sabha Election Phase 7: पिता की विरासत की जंग लड़ रहीं दो बेटियां, दांव पर लालू की साख
Bihar Lok Sabha Election Phase 7 बिहार में दो दिग्गज राजनेताओं की बेटियां लोकसभा चुनाव के सातवें चरण में पिता की विरासत बचाने की जंग लड़ रहीं हैं। ये हैं मीरा कुमार व मीसा भारती।
पटना [काजल]। कहते हैं कि पिता की विरासत को संभालना बेटों के जिम्मे होता है, बेटियां तो ब्याह के बाद परायी हो जाती हैं। लेकिन बिहार के दो दिग्गज राजनेताओं की बेटियां इस बार लोकसभा चुनाव के सातवें चरण में पिता की विरासत को संभालने और उनकी प्रतिष्ठा को बरकरार रखने की चुनावी जंग लड़ रहीं हैं।
चुनावी मैदान में दो दिग्गज पिताओं की बेटियां
हम बात कर रहे हैं बाबू जगजीवन राम की बेटी और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की बेटी सह राज्यसभा सांसद मीसा भारती की। मीरा कुमार जहां सासाराम सीट से कांग्रेस की उम्मीदवार हैं, वहीं मीसा भारती पाटलिपुत्र सीट से राजद की उम्मीदवार हैं। दोनों बेटियों की जीत-हार पर हर किसी की निगाहें टिकी रहेंगी। पाटलिपुत्र और सासाराम सीट पर अंतिम और सातवें चरण में 19 मई को मतदान हो रहा है।
लालू की मीसा और बाबू जगजीवन राम की मीरा
इस लोकसभा चुनाव में परिवार की प्रतिष्ठा लालू की पारिवारिक विरासत को बचाने की जद्दोजहद कर रहीं बड़ी बेटी मीसा भारती पाटलिपुत्र संसदीय सीट से चुनाव मैदान में हैं और उनका मुकाबला भाजपा सांसद रामकृपाल यादव से है, जो इस सीट पर पिछली बार भी चुनाव जीत चुके हैं।
वहीं सासाराम (सुरक्षित) संसदीय सीट में अपने पिता बाबू जगजीवन राम की पारिवारिक विरासत बचाने के लिए उनकी बेटी और लोकसभा अध्यक्ष पद पर रहीं मीरा कुमार का मुकाबला एनडीए की तरफ से भारतीय जनता पार्टी के छेदी पासवान के बीच है।
बिहार की हॉट सीट है सासाराम, बाबू जगजीवन राम की रही पैठ
सासाराम सीट पर जहां मीरा कुमार के सामने अपने पिता बाबू जगजीवन राम की विरासत बचाने की चुनौती है, तो वहीं बीजेपी प्रत्याशी छेदी पासवान के सामने इस क्षेत्र से चौथी बार जीत दर्ज करने की चुनौती है। बता दें कि सासाराम कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है।
मीरा के पिता जगजीवन राम ने कभी दिग्गज कांग्रेसी लीडर और देश की पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंका था। जगजीवन राम देश के सबसे प्रभावशाली राजनीतिक चेहरों में से एक थे। उनका राजनीतिक प्रभाव चार दशक से ज्यादा वक्त तक रहा।
जगजीवन राम और सासाराम एक-दूसरे के पर्याय रहे हैं। जगजीवन राम यहां से आठ बार विजयी हुए थे। इसके बाद वर्ष 1989 में हुए आम चुनाव में यह सीट जनता दल के हाथ में चली गई, लेकिन 1996 में इस सीट पर भाजपा ने कब्जा जमा लिया।
पिता के बाद बेटी ने संभाली राजनीतिक विरासत
पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी के छेदी पासवान ने कांग्रेस की मीरा कुमार को पराजित कर तीसरी बार जीत दर्ज की थी। उस चुनाव में पासवान को जहां 3,66,087 मत मिले थे, वहीं मीरा कुमार को 3,02,760 मत मिले थे। सासाराम में सवर्ण वर्ग में ब्राह्मण और राजपूत सबसे ज्यादा हैं। लेकिन मतदाताओं की सबसे बड़ी संख्या दलितों की है। दलितों में मीरा कुमार की जाति रविदास पहले नंबर पर और दूसरे नंबर पर छेदी पासवान की जाति पासवान है।
सासाराम लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा सीटें मोहनिया, भभुआ, चौनपुर, चेनारी, सासाराम और करहगर आती हैं। इनमें तीन विधानसभा सीटें रोहतास जिले की, जबकि तीन कैमूर जिले की हैं। इस क्षेत्र का लोकसभा में सबसे ज्यादा प्रतिनिधित्व जगजीवन राम और उनकी पुत्री ने किया है।
लोकसभा में लालू की पारिवारिक विरासत मीसा के जिम्मे
वहीं, लोकसभा चुनाव में लालू की राजनीतिक विरासत को आगे ले जाने की जिम्मेदारी बड़ी बेटी मीसा भारती के कंधों पर है। उनके लिए दोनों भाई तेजस्वी और तेज प्रताप यादव, साथ ही मां राबड़ी देवी जोर-शोर से चुनाव प्रचार कर रहे हैं। राबड़ी पाटलिपुत्र की जनता से झोली फैला-फैलाकर बेटी के लिए वोट मांग रही हैं। लालू यादव अभी चारा घोटाला मामले में जेल में हैं, तो बेटी पिता लालू को याद कर जनता के सामने उनके साथ हुए अन्याय को रख रही हैं।
मीसा की बात करें तो वे न सिर्फ एक राजनेता के तौर पर पहचानी जाती हैं, बल्कि पेशे से वह एक चिकित्सक भी हैं। लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी की सबसे बड़ी बेटी मीसा भारती को बेबाक अंदाज में बयान देने और तमाम मुद्दों पर खुलकर बोलने के लिए भी जाना जाता है। वे अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर काफी एक्टिव रहती हैं।
22 मई 1976 को बिहार के पटना में जन्मी मीसा ने 1999 को कंप्यूटर इंजीनियर शैलेंद्र कुमार से शादी की। दंपती के एक बेटा व दो बेटियां हैं। मीसा भारती एक चिकित्सक के साथ बिहार राज्य से राज्यसभा सांसद हैं।
2014 में राजनीति में एंट्री लेने वाली मीसा भारती ने पाटलिपुत्र की लोकसभा सीट से राजद के बागी नेता राम कृपाल यादव के खिलाफ चुनाव लड़ीं और हार गईं थीं और राजद छोड़ भाजपा में गए रामकृपाल यादव चुनाव जीत गए थे।
अब देखना होगा कि दोनों बेटियां अपने पिता की विरासत को बचाने में कितना कामयाब होती हैं और संसद का सफर तय करती हैं।
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