पटना के एसडीओ कार्यालय से नीलामी में अजब-गजब खेल, थाने में वाहन ढूंढते फिर रहे खरीदार
पटना में शराबबंदी अधिनियम के तहत जब्त वाहनों की नीलामी में खूब गड़बड़ियां सामने आ रहीं नीलामी के बाद वाहनों के कल-पुर्जे ही नहीं बदले कई बाइक थानों से ही गायब हो गए ऊंची बोली लगाकर खरीदने वाले लोग परेशान
पटना, जागरण संवाददाता। सरकारी विभागों से नीलामी में गाड़ियां खरीदना कई लोगों को बहुत पसंद आता है। ऐसी नीलामी के जरिये कई बार अच्छी गाड़ियां बेहद कम कीमत पर मिल जाती हैं। लेकिन, बिहार की राजधानी पटना में पिछले दिनों नीलामी में वाहन खरीदने वाले कुछ लोगों की कहानी आप जान लीजिएगा तो ऐसा करने से पहले हजार बार सोचिएगा। अनुमंडलाधिकारी कार्यालय पटना सदर में जब्त वाहनों की नीलामी के नाम पर अजब-गजब खेल हुआ है। नीलामी के बाद वाहनों के कल-पुर्जे ही नहीं बदले, कई बाइक तो थानों से गायब ही हो गए। कई ऐसे मामले भी सामने आ रहे हैं, जिसमें कोर्ट से रिलीज हो चुके वाहन की भी बोली लगवा दी गई। मामला पाटलिपुत्र और उत्पाद सहित कई थानों से जुड़ा है। नीलाम किए गए सभी वाहन शराब के धंधे में लगे हुए थे और छापेमारी के दौरान जब्त हुए थे।
खरीदी थी हीरो होंडा स्पलेंडर, मिल रही होंडा शाइन
28 दिसंबर 2020 को हुई नीलामी में हरिओम हिमांशु ने हीरो होंडा स्पलेंडर बीआर 01 -सीडब्ल्यू 6721 के लिए 15 हजार सात सौ रुपये की सबसे ऊंची बोली लगाई। प्रक्रिया पूरी कर उत्पाद थाना पहुंचे तो इस नंबर की स्पलेंडर बाइक नहीं थी। उन्हें बताया गया कि इस नंबर की गाड़ी होंडा शाइन है। शक हुआ तो उन्होंने परिवहन कार्यालय से संपर्क किया। जानकारी मिली कि उक्त नंबर की स्पलेंडर बाइक सड़क पर चल ही है। हरिओम ने बताया कि उन्होंने अपनी राशि वापस करने को आवेदन दिया है। अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है।
हीरो की ग्लैमर बाइक बन गई स्पलेंडर
28 दिसंबर 2020 को ही महेश कुमार भी नीलामी में ठगे गए। उन्होंने बताया कि जिस नंबर की मोटरसाइकिल के लिए उन्होंने बोली लगाई वो उत्पाद थाने से ही गायब है। महेश ने ग्लैमर बाइक (बीआर 01डीसी-4521) के लिए बोली लगाई। प्रक्रिया पूरी कर थाने में पहुंचे तो गाड़ी गायब थी। उन्होंने एसडीओ से शिकायत की तो उत्पाद के निरीक्षक को बुलाया गया। निरीक्षक ने बताया कि गाड़ी का नंबर मिसप्रिंट हो गया था। नंबर में दरअसल डीसी की जगह सीडी होना चाहिए था। इस नंबर की गाड़ी स्पलेंडर निकली। महेश ने बताया कि उन्हें नीलामी से पूर्व गाड़ी देखने ही नहीं दिया गया था। उन्होंने 24 हजार में गाड़ी की बोली लगाई थी। अब राशि वापस लेने के लिए कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं।
पल्सर बाइक लेने पहुंचे तो पता चला कि कब की रिलीज हो गई
वर्ष 2019 में हुई वाहन नीलामी के दौरान संतोष सिंह ने पल्सर बाइक के लिए बोली लगाई थी। वाहन पाटलिपुत्र थाने में रखी बताई गई थी। वाहन लेने थाना गए तो गायब थी। उन्होंने जानकारी हासिल की तब पता चला जिस नंबर की गाड़ी की बोली लगाई गई थी, वो तो पहले ही कोर्ट के आदेश से रिलीज हो चुकी है। हालांकि इनका मामला सेटल हो चुका है।
तीन मजिस्ट्रेट की टीम बनाकर कराई जा रही जांच
पटना सदर के अनुमंडल अधिकारी नीतीन कुमार सिंह ने बताया कि तीन मजिस्ट्रेटों की टीम को नीलामी मामले में थानों पर जाकर भौतिक सत्यापन के लिए जवाबदेही दी गई है। वस्तु स्थिति से अवगत होकर ये अपनी रिपोर्ट देंगे।