यूपी चुनाव में बिहार से उठे मसले की रहेगी गूंज, भाजपा का साथ लिए बगैर भी मुद्दा बढ़ेगा आगे
यूपी विधानसभा चुनाव में अभी से जाति आधारित जनगणना की गूंज दिखने लगी। सपा नेता व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने तो यह कह दिया है कि अगर उनकी सरकार बनी तो तीन महीने के अंदर वह अपने संसाधन से जाति आधारित जनगणना कराएंगे।
राज्य ब्यूरो, पटना। भाजपा का साथ लिए बगैर भी जाति आधारित जनगणना का मुद्दा आगे बढ़ेगा। भाजपा ने वैसे बिहार में राज्य सरकार के संसाधन पर जाति आधारित जनगणना को ले असहमति की कोई बात नहीं की है। इस मसले पर सर्वदलीय बैठक में वह अपने प्रतिनिधि को भेजेगा या नहीं यह अभी तय नहीं हो पाया है। भाजपा के स्तर पर प्रतिनिधि का नाम तय नहीं होने की वजह से इस बाबत होने वाली सर्वदलीय बैठक की तारीख तय नहीं हो रही है। जदयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी का कहना है कि नीतीश कुमार आरंभ से ही जाति आधारित जनगणना के समर्थन में रहे हैं। इसलिए वह हर हाल में बिहार में इस दिशा में आगे बढ़ेंगे। बड़े स्तर पर राजनीतिक दलों में इस मुद्दे पर सहमति भी है।
यूपी विधानसभा चुनाव में अभी से जाति आधारित जनगणना की गूंज दिखने लगी। सपा नेता व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने तो यह कह दिया है कि अगर उनकी सरकार बनी तो तीन महीने के अंदर वह अपने संसाधन से जाति आधारित जनगणना कराएंगे। यूपी में बिहार से उठे इस मसले का राजनीतिक निहितार्थ महत्वपूर्ण है। इसे अति पिछड़े वर्ग की गोलबंदी की नजर से भी देखा जा रहा।
यूपी विधानसभा चुनाव के लिए जदयू प्रभारी केसी त्यागी का कहना है कि जाति आधारित जनगणना का मुद्दा पूरी ताकत के साथ हम चुनाव में उठाएंगे। बिहार से उठी यह मांग पूरे देश में चल रही है। यह अलग विषय है कि बिहार में भाजपा की सहमति का अभी इंतजार हो रहा है। इसके अतिरिक्त रोहिणी कमीशन की रिपोर्ट जारी किए जाने का विषय भी जदयू चुनाव में उठाएगा। लंबी अवधि से यह आयोग अति पिछड़़ा वर्ग के लोगों के संबंध में अध्ययन कर रहा है पर लगातार इस आयोग को अवधि विस्तार मिल रहा है। हाल ही में पुन: इस आयोग को छह महीने का अवधि विस्तार दे दिया गया है।