हिदी आलोचना की प्रमुख थाती है 'उषा हिडोला'
पुस्तक उषा हिडोला हिदी मैथिली की लेखिका एवं पद्मश्री उषा किरण खान की रचनाओं की आलोचनात्मक व्याख्या है
पटना। पुस्तक 'उषा हिडोला' हिदी, मैथिली की लेखिका एवं पद्मश्री उषा किरण खान की रचनाओं पर केंद्रित है। यह बात गोवा की पूर्व राज्यपाल एवं साहित्यकार प्रो. मृदुला सिन्हा ने कही। जेडी वीमेंस कॉलेज में शुक्रवार को पुस्तक विमोचन के मौके पर मृदुला सिन्हा ने कहा कि उषा किरण खान की रचनाधर्मिता लोक की आवाज है। यह पुस्तक लोक की विविध ध्वनियों को आकार प्रदान करती है। पुस्तक के संपादक बधाई के पात्र हैं।
समारोह के दौरान आलोचक प्रो. खगेंद्र ठाकुर ने कहा कि उषा जी मैथिली साहित्य की केवल विदुषी नहीं बल्कि हिदी साहित्य की प्रमुख हस्ताक्षर हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय पासवान ने कहा कि यह पुस्तक हिदी आलोचना की महत्वपूर्ण थाती है। प्रो. हरिकेश सिंह ने कहा कि लेखिका की पूरी रचनाधर्मिता सामाजिक सरोकारों से जुड़ कर आकार लेती है। पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. गुलाबचंद राम जायसवाल ने कहा कि उषा जी की साहित्यिक संवेदना इतिहास से जुड़ती है। मगध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि यह पुस्तक साहित्य और इतिहास के बीच हिडोले के रूप में है। पुस्तक के संपादक डॉ. कुमार वरूण ने कहा कि बिहार के लेखक हमारी धरोहर हैं। समकालीन लेखकों पर लिखना एक जोखिम भरा कार्य है। फिर भी यह एक नैतिक जिम्मेदारी है, जिसे वहन करने की जरूरत है। स्वागत भाषण जेडी वीमेंस कॉलेज की प्राचार्य प्रो. श्यामा राय ने किया। कार्यक्रम का संचालन कुमार विमलेंदु एवं डॉ. अरमान आनंद एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रो. वीणा अमृत ने किया। मौके पर बीबीसी के मणिकांत ठाकुर, ऑल इंडिया रेडियो से सविता पारीक, पूर्व विधायक अनिल कुमार मौजूद थे।