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बचे तेल से नहीं बनेगा पराठा, 'उसी तेल से' गाड़ियां भरेंगी फर्राटा

श्रवण कुमार पटना। देश के बदलते परिवेश में प्रदूषण और स्वास्थ्य को लेकर कॉरपोरेट सेक्टर भी चिंतित हो उठा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 04 Dec 2019 01:54 AM (IST)Updated: Wed, 04 Dec 2019 01:54 AM (IST)
बचे तेल से नहीं बनेगा पराठा, 'उसी तेल से' गाड़ियां भरेंगी फर्राटा
बचे तेल से नहीं बनेगा पराठा, 'उसी तेल से' गाड़ियां भरेंगी फर्राटा

श्रवण कुमार, पटना। देश के बदलते परिवेश में प्रदूषण और स्वास्थ्य को लेकर कॉरपोरेट सेक्टर भी अपने सामाजिक दायित्वों को लेकर सजग है। इस दिशा में बढ़-चढ़कर भागीदारी निभा रहा है। प्रदूषण पर नियंत्रण के प्रयास के तहत स्ट्रीट वेंडरों को मुफ्त में एलपीजी देने का अभियान प्रारंभ हो चुका है। वहीं अब सड़कों के किनारे चिप्स, समोसा, पकौड़ी, आलू और सत्तू के पराठे, फ्रेंच फ्राई, लिट्टी, कचरी जैसे खाद्य पदार्थ बेचने वाले दुकानदारों की कड़ाही पर भी नजर रखी जाने लगी है।

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एक ही वनस्पति तेल में कई बार इन पदार्थो को छानने वाले दुकानदारों को जागरूक करने का अभियान भी शीघ्र शुरू होने वाला है। उन्हें बताया जाएगा कि वनस्पति तेल का तीन बार से अधिक प्रयोग सेहत के लिए हानिकारक है। इतना ही नहीं, प्रयुक्त तेल को खरीदकर उसका उपयोग बायो-डीजल बनाने के लिए करने की योजना है। यह पहल इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आइओसी) की ओर से की जा रही है। आइओसी पटना के साथ ही देश के सौ प्रमुख शहरों में प्रयुक्त तेल का संग्रहण कर बायो- डीजल बनाने की तैयारी कर रहा है।

: टीपीसी सीमा 25 फीसद से अधिक वाले वनस्पति तेल हैं हानिकारक : फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआइ) ने सुरक्षित खाद्य तेल के व्यापक स्तर पर जो मानक तय किए हैं, उसके अनुसार टोटल पोलर कंपाउंड (टीपीसी) 25 फीसद से आगे रहने वाले तेल का प्रयोग नहीं करना चाहिए। तेल के बार-बार गर्म होने से भौतिक- रासायनिक, पोषण और संवेदी गुणों में परिवर्तन होता है। तलने के दौरान टीपीसी बनते हैं, जिसके विषाक्त होने से ब्लड प्रेशर, अल्जाइमर, एसिडिटी जैसी कई बीमारियां होती हैं।

: इस्तेमाल हुए एक लीटर तेल से 10 लाख लीटर पानी होता दूषित : बड़े होटलों में वनस्पति तेल को इस्तेमाल के बाद या तो नालों में बहा दिया जाता है या फिर स्ट्रीट फूड वेंडरों या ढाबों को सस्ते में बेच दिया जाता है। बहाया गया तेल नालों के माध्यम से किसी न किसी जलस्रोत में जाकर मिल जाता है। वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार एक लीटर तेल मिलने से दस लाख लीटर जल दूषित हो जाता है।

: जागरूक करने को शहर में घूमेंगी दस गाड़ियां : सेहत के प्रति लोगों एवं दुकानदारों को जागरूक करने के लिए आइओसी की कम से कम दस एलपीजी डिलीवरी वैन शहर की सड़कों पर दौड़ेंगी। इन गाड़ियों के माध्यम से उपभोक्ताओं और स्ट्रीट वेंडरों के साथ ही घरों में जागरुकता पैदा की जाएगी।

: इस्तेमाल तेल का नए साल से होगा संग्रह : जागरुकता के बाद आइओसी प्रयुक्त तेल के इस्तेमाल पर रोक के लिए भी अभियान चलाएगा। नए साल से स्ट्रीट वेंडरों और घरों से इस्तेमाल हुए तेल का संग्रह कर उसे रासायनिक प्रक्रिया के बाद बायो-डीजल बनाएगा।

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'खाना बनाने में प्रयुक्त तेल का दोबारा इस्तेमाल नहीं करने के लिए शीघ्र ही जागरुकता अभियान की शुरुआत होने वाली है। जागरुकता के बाद नए साल से इस्तेमाल किए गए खाद्य तेल का प्रयोग रोकने की कवायद होगी। आइओसी इसका संग्रहण कर बायो-डीजल बनाएगा। लक्ष्य है कि आठ साल में यूज्ड ऑयल से इतना बायो-डीजल बना लिया जाए कि बाहर से आयात किए जाने वाले तेल में कम से कम दस फीसद की कमी हो जाए। '

- वीणा कुमारी, मुख्य प्रबंधक, कॉरपोरेट संचार व योजना एवं समन्वय, आइओसी


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