मंत्री मदन सहनी ने यह क्या कहा कि विपक्ष उनकी बर्खास्तगी पर अड़ा, खेद जाहिर करने पर भी माना
संपूर्ण विपक्ष सदन के बीचोबीच डटा रहा। स्पीकर की लाख कोशिशों के बाद भी नहीं माने। सत्ता पक्ष के मुख्य सचेतक तक ने भरोसा दिलाया आगे से कोई मंत्री किसी सदस्य के सम्मान को ठेस पहुंचाने वाली टिप्पणी नहीं करेंगे। मगर विपक्ष उनकी बर्खास्तगी पर अड़ा रहा।
पटना, राज्य ब्यूरो । समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी की टिप्पणी से आहत विपक्षी सदस्यों ने बुधवार (24 फरवरी) को विधानसभा की कार्यवाही ठप कर दी। विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने सदस्यों को समझाने की बहुत कोशिश की। उनकी पहल पर संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने खेद जाहिर किया। सत्तारूढ़ दल के मुख्य सचेतक श्रवण कुमार ने सदन को भरोसा दिया कि आगे से कोई मंत्री किसी सदस्य के सम्मान को ठेस पहुंचाने लायक टिप्पणी नहीं करेंगे। विपक्ष अड़ गया कि उसे मदन सहनी की बर्खास्तगी से कम कुछ नहीं चाहिए। नतीजा यह निकला कि प्रश्नोत्तर काल में शुरू हुआ हंगामा दूसरी पाली में भी जारी रहा। दोनों पाली में सभाध्यक्ष ने दो बार सदन की कार्यवाही स्थगित की। तीसरी बार भी हंगामा जारी रहा तो कार्यवाही गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी गई। इस प्रकरण के चलते विधानसभा की कार्यवाही करीब ढाई घंटे बाधित हुई।
मदन सहनी ने क्या कह दिया
प्रश्नोत्तर काल में भाकपा माले के सदस्य महबूब आलम, सुदामा प्रसाद और राजद के छोटेलाल राय सहित अन्य सदस्यों के सवाल का जवाब समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी दे रहे थे। यह वृद्धावस्था पेंशन के भुगतान से जुड़ा था। सहनी ने चलते-चलते टिप्पणी कर दी कि सीधे बैंक में जाने से पहले नकद भुगतान होता था तो उसी पैसे से इन लोगों (भाकपा माले) का काम चलता था। बस, इसके बाद माले, राजद, कांग्रेस और भाकपा-माकपा के सदस्य शोर शराबा करने लगे। मामला कुछ आगे बढ़ता विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही दो बजे दिन तक के लिए स्थगित कर दी।
दूसरी पाली में क्या हुआ
विधानसभा की दूसरी पाली दो बजे दिन में शुरू हुई। अध्यक्ष के आसन पर बैठते ही राजद, कांग्रेस, भाकपा माले, भाकपा और माकपा के सदस्य बेल में आ गए। वे मंत्री मदन सहनी को बर्खास्त करने की मांग कर रहे थे। नारा भी लगा रहे थे- हिटलरशाही नहीं चली तो तानाशाही नहीं चलेगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी जगह पर बैठे थे। विधानसभा अध्यक्ष ने अपने कक्ष में हुई सर्वदलीय बैठक का ब्यौरा दिया। कहा कि मामला सुलझ गया है। हम भरोसा दिला रहे हैं कि आगे से ऐसी घटना की पुनरावृति नहीं होगी। हर किसी को सुधार का अवसर मिलना चाहिए। लेकिन, विपक्षी सदस्य बर्खास्तगी की मांग पर डटे रहे। उन्होंने कहा कि सदस्य पक्ष के हों या विपक्ष के, सदन में सबकी गरिमा का सम्मान होता है।
संसदीय कार्यमंत्री ने खेद जाहिर किया
संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने प्रतिकूल टिप्पणी के लिए मंत्री की ओर से खेद व्यक्त किया। उनका कहना था कि किसी की गरिमा को ठेस लगे, ऐसी टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। भविष्य में भी इसका ख्याल रखा जाएगा। मुख्य सचेतक श्रवण कुमार ने कहा कि कभी-कभी सदन में तीखी टिप्पणी हो जाती है। यह सत्ता पक्ष और विपक्ष से भी होती है। आज भी विपक्षी सदस्यों ने सीट पर बैठे-बैठे मंत्री के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की। यह सब चल ही रहा था कि भाजपा के हरिभूषण ठाकुर बचौल सहित कुछ अन्य विधायक शोर शराबा करने लगे। इसे देखकर विपक्षी सदस्यों का शोर शराबा और तेज हो गया। विपक्ष ने आखिरी मांग यह रखी कि कम से मंत्री खेद व्यक्त कर दें। विस अध्यक्ष विजय सिन्हा का कहना था कि जब सरकार की ओर से खेद जाहिर कर दिया है तो इसके लिए मंत्री को बाध्य करना जरूरी नहीं है। हंगामा बंद न होने पर उन्होंने सदन की कार्यवाही गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी। भाकपा माले के सत्यदेव राम कह रहे थे कि हमारे किसी सदस्य पर आज तक भ्रष्टाचार और व्यक्तिगत स्तर पर संपत्ति अर्जन का कभी आरोप नहीं लगा। मंत्री की टिप्पणी आहत करने वाली है।