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उपेंद्र कुशवाहा ने जजों की नियुक्ति में कॉलेजियम व्‍यवस्‍था पर उठाए सवाल, PM मोदी से कहा- इसे हटाइए

Upendra Kushwaha News जेडीयू नेता व पूर्व मंत्री उपेंद्र कुशवाहा जजों की नियुक्ति में कॉलेजियम व्‍यवस्‍था के खिलाफ रहे हैं। उन्‍होंने इसपर फिर सवाल उठाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित ट्वीट किया है। कुशवाहा ने प्रधानमंत्री से इस व्‍यवस्‍था को हटाने की मांग की है।

By Amit AlokEdited By: Published: Tue, 08 Jun 2021 04:50 PM (IST)Updated: Tue, 08 Jun 2021 04:51 PM (IST)
उपेंद्र कुशवाहा ने जजों की नियुक्ति में कॉलेजियम व्‍यवस्‍था पर उठाए सवाल, PM मोदी से कहा- इसे हटाइए
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं जेडीयू नेता व पूर्व मंत्री उपेंद्र कुशवाहा। फाइल तस्‍वीरें।

पटना, एएनआइ/ ऑनलाइन डेस्‍क। Upendra Kushwaha News जनता दल यूनाइटेड (JDU) नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) सुप्रीम कोर्ट (SC) व हाईकोर्ट (HC) में जजों की नियुक्ति (Appointment of Judges) की कॉलेजियम व्‍यवस्‍था (Collegium System) पर सवाल खड़े करते रहे हैं। एक बार फिर उन्‍होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को संबोधित अपने ट्वीट में जजों की नियुक्ति में कॉलेजियम सिस्‍टम पर सवाल उठाते हुए इसे बंद करने की मांग रखी है। विदित हो कि कुशवाहा केंद्र सरकार में मंत्री रहने के दौरान भी इस व्‍यवस्‍था के खिलाफ कड़े बयाने दे चुके हैं।

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लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है कॉलेजियम सिस्‍टम

कुशवाहा ने अपने ट्वीट में लिखा है कि कॉलेजियम सिस्‍टम लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है। स्‍वतंत्रता के 74 साल बाद भी इसका लागू रहना समझ से परे है। जजों के चयन के लिए विज्ञापन, आवदन व परीक्षा की प्रकिया अपनाई जानी चाहिए।अपने ट्वीट में कुशवाहा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुलाम भारत की इस परंपरा को समाप्‍त कर सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के दरवाजे सभी के लिए खोलने का आग्रह किया है। उन्‍होंने लिखा है कि वर्तमान व्‍यवस्‍था में जजों के परिवार के लोग बिना खुली प्रतियोगिता परीक्षा के जज बनते रहे हैं।

कॉलेजियम सिस्‍टम के खिलाफ पहले भी देते रहे हैं बयान

यह पहला मौका नहीं है, जब कुशवाहा ने ऐसी मांग रखी है। केंद्र की राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार में मंत्री रहने के दौरान जून 2018 में भी उन्‍होंने कॉलेजियम सिस्टम पर सवाल खड़ा किया था। पटना में हुए एक कार्यक्रम में उन्होंने इसे न्यायपालिका पर धब्बा और लोकतंत्र के खिलाफ बताया था। छह जून 2018 के समाचार एजेंसी एएनआई के ट्वीट अनुसार कुशवाहा ने न्यायपालिका में एक जज द्वारा दूसरे जज की नियुक्ति को अपना उत्तराधिकारी चुनना बताया था।

कुशवाहा ने यह भी कहा था कि लोग आरक्षण का विरोध मेरिट को नजरअंदाज किए जाने की बात कहकर करते हैं, लेकिन वे समझते हैं कि कॉलेजियम व्यवस्था मेरिट को नजरअंदाज कर रही है। उन्‍होंने सवाल करते हुए कहा था कि जब एक चाय वाला प्रधानमंत्री बन सकता है, मछुआरे का बेटा राष्ट्रपति बन सकता है, लेकिन क्‍या एक नौकरानी का बच्चा जज बन सकता है?

जुडिशियरी आयोग के गठन पर दिया था बल

इसके पहले जनवरी 2018 में कुशवाहा ने न्यायपालिका में परिवारवाद की बात कही थी। उन्होंने यह भी कहा था कि न्यायपालिका में दलित, पिछड़ा और महिलाओं की भागीदारी नगण्‍य है। उन्‍होंने न्यायपालिका में चयन प्रक्रिया भारतीय प्रशासनिक सेवा की तरह होने की बात कही थी। साथ ही जुडिशियरी आयोग के गठन पर बल दिया था।


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