बिहार के विश्वविद्यालयों ने नहीं दिया 1048 करोड़ का हिसाब, अब एक्शन की तैयारी में शिक्षा विभाग
बिहार के विश्वविद्यालयों ने करीब 1048 करोड़ रुपये का हिसाब नहीं दिया है। बार-बार पत्र लिखे जाने के बावजूद हिसाब नहीं मिलने को शिक्षा विभाग ने गंभीरता से लिया है। अब सप्ताह भर का समय दिया गया है।
पटना, राज्य ब्यूरो। बिहार के अधिसंख्य विश्वविद्यालयों (Universities of Bihar) में वित्तीय कुप्रबंधन (Financial Mismanagement) चरम पर है। राज्य सरकार के आदेश के बावजूद विश्वविद्यालयों द्वारा 1,048 करोड़ रुपये का हिसाब नहीं दिया जा रहा है। यह राशि किन मदों में खर्च की गई, इसका ब्योरा नहीं मिलने से वित्त विभाग ने भी फटकार लगाई है। शिक्षा विभाग की ओर से कुलसचिवों को पांच चिट्ठी लिखी जा चुकी है, लेकिन हिसाब नहीं मिला। मामले को गंभीरता से लेते हुए शिक्षा विभाग (Bihar Education department) अब वित्तीय अनियमितता के तहत प्राथमिकी दर्ज कराने की तैयारी में है। इस बीच विभागीय सचिव ने वित्त विभाग के प्रविधानों एवं निर्देशों का हवाला देते हुए कुलसचिवों को अंतिम मौका देते हुए चिट्ठी लिखी है। आगाह किया है कि सप्ताह भर में उक्त राशि का हिसाब नहीं दिया तो आगे की कार्रवाई के लिए वे स्वयं जिम्मेदार होंगे।
- शिक्षा विभाग ने मामले को गंभीरता से लिया
- कुलसचिवों को हिसाब देने के लिए दिया आखिरी अवसर
- सप्ताह भर में देना होगा हिसाब
मवि और मिवि विवि ने चार सौ करोड़ का नहीं दिया हिसाब
शिक्षा विभाग के वित्त पदाधिकारी के मुताबिक पिछले वर्षों में आवंटित राशि का बकाया हिसाब के मामले में बोधगया स्थित मगध विश्वविद्यालय (Magadh University) और दरभंगा स्थिति ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय (LN Mithila University) शीर्ष है। दोनों संस्थानों ने चार सौ करोड़ रुपये का हिसाब नहीं दिया है। बीएन मंडल विश्वविद्यालय (मधेपुरा) ने 97 करोड़, तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय ने 67 करोड़ 88 लाख रुपये, बीआरए बिहार विश्वविद्यालय (BRA Bihar University), मुजफ्फरपुर ने 88 करोड़ 46 लाख रुपये, कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय ने 43 करोड़ रुपये, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा ने 64 करोड़ 34 लाख, मुंगेर विश्वविद्यालय ने 23 करोड़ 22 लाख रुपये का हिसाब नहीं दिया है। इसी तरह अन्य विश्वविद्यालयों से हिसाब नहीं मिला है। फिलहाल विश्वविद्यालयों में वित्तीय कुप्रबंधन को लेकर शिक्षा विभाग गंभीर है।