हाईकोर्ट का अनोखा फैसलाः पत्नी की हत्या के आरोपित को घर-घर स्क्रीनिंग की शर्त पर जमानत
पटना हाईकोर्ट ने पत्नी की हत्या के आरोपित को कोरोना जंग में सहायता करने की शर्त पर जमानत दे दी। अब वे 31 दिनों तक डोर-टू-डोर स्क्रीनिंग करेगा।
नालंदा, जेएनएन। कोरोना काल में पटना हाई कोर्ट चर्चा में आ गया है। चर्चा अनोखे फैसले सुनाने को लेकर है। बिहार के नालंदा जिले के एक मामले को लेकर एकबार फिर पटना उच्च न्यायालाय का निर्णय चौंकाने वाला आया है। जिले के बेन थाना क्षेत्र के करजरा गांव निवासी रामवृक्ष मिस्त्री के पुत्र शैलेंद्र मिस्त्री को पत्नी गुडिय़ा देवी की हत्या के आरोप में पटना उच्च न्यायालय ने अनोखी शर्त पर जमानत दे दी है। न्यायालय ने उसेे 31 दिनों तक कोरोना से जंग में साथ को कहा। मालूम हो कि शैलेंद्र की पत्नी का शव ससुराल में मिला था। जिसके बाद लड़की के स्वजनों ने उनपर हत्या का आरोप लगाया था।
सिविल सर्जन ने समझाया, क्या है करना
नालंदा जिले का यह पहला मामला है, जिसमें उच्च न्यायालय ने इस प्रकार का आदेश दिया है। न्यायालय के निर्देश के बाद शैलेंद्र मिस्त्री ने शुक्रवार को सिविल सर्जन से मुलाकात की। सीएस ने उन्हें उनके गृह प्रखंड बेन में ही सर्वे का काम दिया। सिविल सर्जन डॉ राम सिंह ने बताया कि कोर्ट के आदेश के बाद शैलेंद्र को कोरोना को लेकर डोर टू डोर लोगों की स्क्रीनिंग का काम सौंपा गया है।
ससुराल में मृत मिली थी पत्नी
5 किलोमीटर के दायरे में प्रतिदिन कम से कम 20 से 25 घरों में नियमित रूप से घर-घर किए जा रहे सर्वे में हाथ बंटाना है। इसके लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी को शैलेन्द्र को सुरक्षा सामग्री और प्रवासियों की सूची उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है। मालूम हो कि शैलेन्द्र मिस्त्री की पत्नी गुडिय़ा देवी की ससुराल में 11 अप्रैल 2019 को मौत हो गई थी। इस मामले में पति ने पत्नी के आत्महत्या करने की बात कही थी, वहीं ससुराल वालों ने हत्या का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराया था।
बिल्डर को कोरोना जंग में सहायता करने की दी थी सजा
पिछले महीने मई में पटना हाई कोर्ट ने समय पर खरीदार को फ्लैट न देने की जेल में सजा काट रहे बिल्डर खालिद राशिद को पटना हाई कोर्ट ने इस शर्त पर जमानत दी थी कि वह तीन महीने तक कोरोना से जंग लड़ रहे लोगों की मदद करेगा। सिविल सर्जन ने उन्हें जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. एसपी विनायक के साथ लगा दिया था। इसके बाद उनसे फील्ड में भेजकर लिखा-पढ़ी का काम लिया गया।