सेनारी नरसंहार मामले में सुप्रीम कोर्ट के दो दिग्गज वकील लड़ेंगे बिहार सरकार का मुकदमा
बिहार के सेनारी नरसंहार मामले में सुप्रीम कोर्ट में बिहार सरकार का मुकदमा देश के दो दिग्गज वकील लड़ेंगे। विधि विभाग के सचिव पीसी चौधरी ने इस संबंध में गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखा है।
राज्य ब्यूरो, पटना: सेनारी नरसंहार मामले में सुप्रीम कोर्ट में बिहार सरकार का मुकदमा देश के दो दिग्गज वकील लड़ेंगे। विधि विभाग के सचिव पीसी चौधरी ने इस संबंध में गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि सेनारी हत्याकांड से संबंधित सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी मामले में दो वरीय अधिवक्ता की सेवा ली जानी है।
इस शर्त के साथ सेवा लेने की सहमति
बिहार के महाधिवक्ता ललित किशोर से विचार-विमर्श के बाद इस मामले में राज्य सरकार ने वरिष्ठ वकील के रूप में वेणुगोपाल अटार्नी जनरल आफ इंडिया और तुषार मेहता सालीसिटर जनरल आफ इंडिया की सेवा लेगी। विधि विभाग के सचिव ने यह भी स्पष्ट किया है कि सरकार ने इस शर्त के साथ सेवा लेने की सहमति प्रदान की है कि दोनों वरिष्ठ वकीलों के शुल्क का भुगतान गृह और वित्त विभाग की सहमति से अपने स्तर से यानी विधि विभाग करेगा।
बात दें कि पटना हाई कोर्ट के निर्णय के खिलाफ बिहार सरकार के महाधिवक्ता ललित किशोर ने 24 मई को ही सुप्रीम कोर्ट जाने की सिफारिश की थी। ऐसे में बिहार सरकार इस केस में दो दिग्गज वकीलों की सेवा लेने जा रही है। गौरतलब है कि पटना हाई कोर्ट ने 22 मई को निचली अदालत से दोषी ठहराए गए 15 आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया था। साथ ही सभी को तुरंत जेल से रिहा करने का आदेश दिया था। 18 मार्च, 1999 को वर्तमान अरवल जिले (तत्कालीन जहानाबाद) के करपी थाना के सेनारी गांव में 34 लोगों की निर्मम हत्या कर दी गई थी। आरोप प्रतिबंधित एमसीसी उग्रवादियों पर लगा था। इसी मामले में पटना हाई कोर्ट की दो सदस्यीय खंडपीठ के जज अश्वनी कुमार सिंह और जज अरविंद श्रीवास्ताव ने सेनारी नरसंहार कांड की सुनवाई के बाद फैसला दिया था।
11 आरोपितों को सुनाई थी फांसी की सजा
अहम यह है कि निचली अदालत ने 15 नवंबर, 2016 को नरसंहार कांड के 11 आरोपितों को फांसी की सजा और अन्य को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। सजा पाए आरोपियों ने निचली अदालत के फैसले को पटना हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि सरकारी पक्ष यानी अभियोजन पक्ष इस कांड के आरोपितों पर लगे आरोप को साबित करने में असफल है। सनद रहे कि तत्कालीन जहानाबाद और वर्तमान में अरवर जिला के सेनारी गांव में 18 मार्च, 1999 की देर शाम नक्सलियों ने 34 लोगों की नृशंस हत्या कर दी थी।