फ्लोटिंग रेस्टोरेंट के बाद भागीरथ विहार भी बंद, पटना में सपना हो गया गंगा किनारे खाना Patna News
राजधानी में फ्लोटिंग रेस्टोरेंट के बाद भागीरथ विहार भी अब बंद हो गया है। यहां बैठकर खाते हुए गंगा की लहरें बिल्कुल नजदीक से दिखाई देती थीं।
By Edited By: Published: Tue, 13 Aug 2019 08:00 AM (IST)Updated: Tue, 13 Aug 2019 09:00 AM (IST)
पटना, जेएनएन। बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम के महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स में से एक फ्लोटिंग रेस्टोरेंट के बाद भागीरथ विहार भी अब बंद हो गया है। गाधीघाट पर गंगा के किनारे 75 लाख की लागत से निर्मित भागीरथ विहार का लोकार्पण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2011 में किया था। रेस्टोरेंट में गंगा की तरफ वाला हिस्सा शीशे से कवर किया गया है। यहां बैठकर खाते हुए गंगा की लहरें बिल्कुल नजदीक से दिखाई देती थीं। गांधी घाट पर पर्यटन सुविधाओं के विकास के लिहाज से इसे अहम माना गया था।
कइयों ने देखी लहरों की अठखेलियां
इस रेस्टोरेंट में ताला लटक गया है। इसके पहले गंगा के बीच चलने वाले फ्लोटिंग रेस्तरा का परिचालन बंद हुआ। करीब तीन वर्ष से फ्लोटिंग रेस्तरा गंगा में खड़ा है। एक इंजन फेल होने के बाद इसकी मरम्मत तक नहीं कराई जा सकी। यह रेस्तरा अब कबाड़ बन गया है। चार-पाच बार इसकी मरम्मत के लिए निविदा निकाली गई। लेकिन कोई इसमें अब रूचि ही नहीं लेता है। इस रेस्तरा में बिहार कैबिनेट की बैठक हो चुकी है। विश्व बैंक के अध्यक्ष भ्रमण कर चुके हैं। कई केंद्रीय मंत्री और देशी-विदेशी पर्यटक फ्लोटिंग रेस्तरा से गंगा की लहरों में राष्ट्रीय जलीय जीव गागेय डाल्फिन की अठखेलिया देख चुके हैं। साथ ही बीच गंगा में भोजन और नाश्ता का भी आनंद ले चुके हैं।
लोग इसे पारिवारिक आयोजनों के लिए भी बुक कराते थे। ज्यादा आमदनी के चक्कर में फंसा मामला बताया जा रहा है कि भागीरथ विहार रेस्टोरेंट का कारोबार बेहतर चलता था। अब पर्यटन निगम इस रेस्टोरेंट से आय ज्यादा चाहता है। निगम की ओर से संबंधित ठेकेदार को इस बारे में सूचित किया गया था। दूसरी तरफ ठेकेदार निगम की ओर से पुनर्निर्धारित की गई राशि देने को तैयार नहीं है। उसका कहना है कि ग्राहक नहीं आते हैं। पर्यटन विभाग इसका प्रचार-प्रसार नहीं करता है।
मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव
शहर के महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल गाधीघाट पर मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है। यहा पर प्लास्टिक के डब्बे वाले शौचालय की व्यवस्था की गई है। रेस्टोरेंट के बंद होने के कारण इस शौचालय में पानी की आपूिर्त बंद हो गई है। बदबू से लोग परेशान हैं। मूत्रालय की भी व्यवस्था नहीं है। पहले पानी की व्यवस्था रहती थी तो भी लोग उसमें जाना पसंद नहीं करते थे।
पेयजल के नाम पर एक टंकी
मंदिर के बगल में एक टंकी है। उसमें नल निकला है। पेयजल के नाम पर मात्र यही व्यवस्था है। यहा आने वाले पर्यटक स्थायी शौचालय, मूत्रालय और पेयजल की लगातार माग करते रहे हैं। आज तक व्यवस्था नहीं हो पायी है।
वाहन पार्किंग की नहीं हो सकी व्यवस्था
गाधी घाट ऐसा पर्यटन स्थल है, जहा वाहन पार्किंग की व्यवस्था नहीं है। कई बार वाहन पार्किंग के लिए स्थल चिह्नित करने की बात हुई है, लेकिन परिणाम नहीं निकल पाया।
गंगा महाआरती लोगों को करती है आकर्षित
गाधीघाट पर प्रत्येक शनिवार और रविवार को गंगा महाआरती का आयोजन होता है। पाच पंडित 51 दीपों से मा गंगे के जयघोष के साथ आरती करते हैं। इस विहंगम दृश्य को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है।
कइयों ने देखी लहरों की अठखेलियां
इस रेस्टोरेंट में ताला लटक गया है। इसके पहले गंगा के बीच चलने वाले फ्लोटिंग रेस्तरा का परिचालन बंद हुआ। करीब तीन वर्ष से फ्लोटिंग रेस्तरा गंगा में खड़ा है। एक इंजन फेल होने के बाद इसकी मरम्मत तक नहीं कराई जा सकी। यह रेस्तरा अब कबाड़ बन गया है। चार-पाच बार इसकी मरम्मत के लिए निविदा निकाली गई। लेकिन कोई इसमें अब रूचि ही नहीं लेता है। इस रेस्तरा में बिहार कैबिनेट की बैठक हो चुकी है। विश्व बैंक के अध्यक्ष भ्रमण कर चुके हैं। कई केंद्रीय मंत्री और देशी-विदेशी पर्यटक फ्लोटिंग रेस्तरा से गंगा की लहरों में राष्ट्रीय जलीय जीव गागेय डाल्फिन की अठखेलिया देख चुके हैं। साथ ही बीच गंगा में भोजन और नाश्ता का भी आनंद ले चुके हैं।
लोग इसे पारिवारिक आयोजनों के लिए भी बुक कराते थे। ज्यादा आमदनी के चक्कर में फंसा मामला बताया जा रहा है कि भागीरथ विहार रेस्टोरेंट का कारोबार बेहतर चलता था। अब पर्यटन निगम इस रेस्टोरेंट से आय ज्यादा चाहता है। निगम की ओर से संबंधित ठेकेदार को इस बारे में सूचित किया गया था। दूसरी तरफ ठेकेदार निगम की ओर से पुनर्निर्धारित की गई राशि देने को तैयार नहीं है। उसका कहना है कि ग्राहक नहीं आते हैं। पर्यटन विभाग इसका प्रचार-प्रसार नहीं करता है।
मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव
शहर के महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल गाधीघाट पर मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है। यहा पर प्लास्टिक के डब्बे वाले शौचालय की व्यवस्था की गई है। रेस्टोरेंट के बंद होने के कारण इस शौचालय में पानी की आपूिर्त बंद हो गई है। बदबू से लोग परेशान हैं। मूत्रालय की भी व्यवस्था नहीं है। पहले पानी की व्यवस्था रहती थी तो भी लोग उसमें जाना पसंद नहीं करते थे।
पेयजल के नाम पर एक टंकी
मंदिर के बगल में एक टंकी है। उसमें नल निकला है। पेयजल के नाम पर मात्र यही व्यवस्था है। यहा आने वाले पर्यटक स्थायी शौचालय, मूत्रालय और पेयजल की लगातार माग करते रहे हैं। आज तक व्यवस्था नहीं हो पायी है।
वाहन पार्किंग की नहीं हो सकी व्यवस्था
गाधी घाट ऐसा पर्यटन स्थल है, जहा वाहन पार्किंग की व्यवस्था नहीं है। कई बार वाहन पार्किंग के लिए स्थल चिह्नित करने की बात हुई है, लेकिन परिणाम नहीं निकल पाया।
गंगा महाआरती लोगों को करती है आकर्षित
गाधीघाट पर प्रत्येक शनिवार और रविवार को गंगा महाआरती का आयोजन होता है। पाच पंडित 51 दीपों से मा गंगे के जयघोष के साथ आरती करते हैं। इस विहंगम दृश्य को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है।
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