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नालंदा में छात्रा से गंदा काम करने वाले ट्यूटर को मिली सजा, छह वर्ष पुराने मामले में कोर्ट ने सुनाया फैसला

नालंदा जिले के एक ट्यूटर को छात्रा से छेड़खानी के मामले में कोर्ट ने छह वर्ष की सजा सुनाई है। साथ ही उसपर जुर्माना भी लगाया है। कोर्ट ने पीड़‍िता को डेढ़ लाख रुपये राहत राशि देने का आदेश भी दिया है।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Fri, 18 Jun 2021 09:41 AM (IST)Updated: Fri, 18 Jun 2021 09:41 AM (IST)
नालंदा में छात्रा से गंदा काम करने वाले ट्यूटर को मिली सजा, छह वर्ष पुराने मामले में कोर्ट ने सुनाया फैसला
छात्रा से छेड़खानी मामले में कोर्ट ने सुनाई सजा। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

बिहारशरीफ, जागरण संवाददाता। जिला न्यायालय के षष्ठम एडीजे सह पाक्सो स्पेशल न्यायाधीश आशुतोष कुमार ने आठ वर्षीय छात्रा से छेड़खानी के छह वर्ष पुराने मामले में दोषी को छह वर्ष के कारावास और 10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माने की राशि अदा न करने पर छह माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। इसके अलावा पीड़िता को डेढ़ लाख रुपये राहत राशि देने का आदेश दिया। ट्यूटर मो. अब्दुल रहमान को 14 जून को कोर्ट ने दोषी करार दिया था।

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किराये के मकान में रहकर ट्यूशन पढ़ाता था रहमान 

घटना करीब छह वर्ष पुरानी है। महिला थाना में घटना की प्राथमिकी पीड़िता के मां के फर्द बयान पर आरोपित ट्यूटर पर दर्ज की गई थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि छह अगस्त 2015 को अब्‍दुल रहमान ने उनकी आठ वर्षीय पुत्री के साथ आपत्तिजनक हरकत की। दर्ज शिकायत के अनुसार रहमान सिलाव थाना क्षेत्र के हैदरगंज कड़ाह में किराये पर रहकर बच्‍चों को ट्यूशन पढ़ाने का कार्य करता था।

रहमान से पढ़ने गई थी आठ वर्ष की बच्‍ची 

उस दिन अपनी सहेली के साथ उनकी बच्‍ची भी उसके घर सुबह आठ बजे ट्यूशन पढ़ने गई थी। वहां उसने गलत नीयत से बच्‍ची के साथ छेड़खानी की। घटना से डरी सहमी बच्‍ची ने घर आकर मां को इस बाबत बताया तो वे सन्‍न रह गईं। इसके बाद मामले की प्राथमिकी दर्ज कराई गई। पुलिस ने त्‍वरित कार्रवाई करते हुए रहमान को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद एक वर्ष तक वह न्यायिक हिरासत में रहा। कोर्ट में भी पीड़िता ने अब्‍दुल रहमान के खिलाफ बयान दिया था। सजा निर्धारण पर पाक्सो स्पेशल पीपी जगत नारायण सिन्हा ने अभियोजन पक्ष की ओर  से बहस की थी। जबकि बचाव पक्ष से अधिवक्ता एन परवेज ने बहस की। इसके पूर्व मामले की सुनवाई के दौरान पक्ष विपक्ष के अधिवक्ताओं ने छह साक्षियों का परीक्षण एवं प्रतिपरीक्षण किया था। 


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