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कोविड के साथ टीबी की भी जांच करेंगी ट्रू-नेट मशीनें, पटना के इन अस्पतालों में हो सकेगा टेस्ट

कोविड के दौरान ज्यादा से ज्यादा टेस्ट करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिलों को 170 ट्रू-नेट मशीनें मुहैया कराई गई थीं। अब जबकि कोविड के नए मामले कम होने लगे हैं स्वास्थ्य विभाग ने कोविड के साथ टीबी की जांच भी इन मशीनों से करने की अनुमति दी है।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Tue, 13 Jul 2021 07:52 PM (IST)Updated: Tue, 13 Jul 2021 07:52 PM (IST)
कोविड के साथ टीबी की भी जांच करेंगी ट्रू-नेट मशीनें, पटना के इन अस्पतालों में हो सकेगा टेस्ट
पटना में अब ट्रूनेट मशीने से टीबी की जांच हो सकेगी। प्रतीकात्मक तस्वीर।

राज्य ब्यूरो, पटना: कोविड के दौरान ज्यादा से ज्यादा टेस्ट करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिलों को तकरीबन 170 ट्रू-नेट मशीनें मुहैया कराई गई थीं। अब जबकि कोविड के नए मामले कम होने लगे हैं स्वास्थ्य विभाग ने कोविड के साथ टीबी की जांच भी इन मशीनों से करने की अनुमति दे दी है। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने मंगलवार को बताया कि कोविड काल में टीबी के मरीजों की पहचान करना अब और भी आसान हो गया है।

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इन अस्पतालों में मिलेगी सुविधा

स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स पटना, पटना मेडिकल कालेज व अस्पताल और दूसरे मेडिकल कालेजों को ट्रू-नेट मशीनों के जरिए टीबी जांच की अनुमति दे दी गई है। इस संबंध में प्राचार्य और सिविल सर्जनों को निर्देश भेज दिए गए हैं।  

170 ट्रू-नेट मशीनों की व्यवस्था की गई थी

मंत्री पांडेय ने बताया कि कोविड के दौरान बिहार स्वास्थ्य सेवाएं आधारभूत संरचना निगम और कई संस्थानों से सामाजिक दायित्वों के तहत 170 ट्रू-नेट मशीनों की व्यवस्था की गई थी। इन मशीनों से अब तक कोविड टेस्ट हो रहे थे। स्टेट टीबी सेंटर और जिला टीबी केंद्रों में टीबी और रिफाम्पिसिन रेजिडेंट टीबी जांच के लिए पर्याप्त संख्या में चिप मौजूद हैं, लेकिन विभाग ने महसूस किया कि राज्य में कोविड की पुष्टि के लिए पर्याप्त आरटीपीसीआर लैब हैं।

मोबाइल वैन के जरिए भी हो रहे टेस्ट

मोबाइल वैन के जरिए भी टेस्ट हो रहे हैं। जिसके बाद टीबी के मरीजों की पहचान के लिए टू्र-नेट मशीनों के उपयोग का फैसला लिया गया है। उन्होंने कहा इन मशीनों का सही प्रकार से और ज्यादा से ज्यादा उपयोग हो इसके लिए चीफ मेडिकल अफसर, संचारी रोग, प्रखंड स्तर के पदाधिकारियों और माइक्रोबायोलाजी विभाग के अध्यक्ष को उत्तरदायी बनाया गया है। 


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