गर्भ में भी संभव है बच्चों के हार्ट का इलाज, तो फिर क्यों करें इसकी अनदेखी
गर्भ में पल रहे बच्चों को यदि हार्ट की समस्या उत्पन्न हो जाती है तो इसका इलाज गर्भ में संभव है। उस बच्चों गर्भ से बाहर आने पर हार्ट जैसी समस्या नहीं हो सकती है।
पटना [जेएनएन]। अमूमन देखा जाता है कि जब बच्चे का जन्म हो जाता है तब पता चलता है कि बच्चे को हार्ट की समस्या है या फिर बच्चे के दिल में छेद है। यदि डॉक्टर चाहे तो बच्चे को गर्भ से बाहर आने पहले ही हार्ट में उत्पन्न समस्या से निजात दिला सकते है। बशर्ते इसकी जानकारी समय रहते मिल जाए। बच्चे की हार्ट के बारे में जानकारी अल्ट्रासाउंड के मदद से भी मिल सकती है।
बच्चों में हार्ट की बीमारी तेजी से बढ़ रही है। इसके प्रति लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। वर्तमान में बच्चों के हार्ट की बीमारी के इलाज में नई तकनीक बेहद कारगर साबित हो रही है। उक्त बातें राजधानी पटना में आयोजित सातवां कार्डियोलॉजी एण्ड कार्डियक सर्जरी समिट-2018 में दिल्ली से आए हार्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रमोद कुमार ने कहीं।
समिट के आयोजन समिति के सचिव डॉ. अजीत प्रधान ने कहा कि बच्चों में बढ़ रही हार्ट की बीमारी का इलाज नई तकनीक से की जा रही है। अब तो गर्भ में पल रहे बच्चों के हार्ट की बीमारी का भी इलाज संभव हो गया है। जैसे ही विशेषज्ञों को गर्भ में पल रहे बच्चों के हार्ट में बीमारी का संकेत मिलता है, इलाज शुरू कर दिया जाता है। महावीर वात्सल्य अस्पताल के बच्चों के हार्ट विशेषज्ञ डॉ. प्रभात कुमार ने कहा कि सूबे में कई बच्चों में हार्ट की बीमारी पाई जा रही है। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं कि बच्चे के हार्ट का इलाज संभव नहीं है। मेडिकल साइंस ने बहुत तरक्की हासिल कर ली है और अब बच्चों को हार्ट की समस्या से बचाया जा सकता है। इस अवसर पर डॉ. अरविंद कुमार एवं डॉ. आलोक कुमार सहित कई डॉक्टरों ने भाग लिया।