Move to Jagran APP

कौन है ये महिला और क्‍यों हो रहे हैं इसके चारों ओर चर्चे, आप भी जानकर रह जाएंगे दंग

गोपालगंज जिले में रहती हैं 51 साल की जैबुन्निसा, जो ट्रैक्टर लेडी के नाम से जानी जाती हैं। आज वो खुद आत्मनिर्भर हैं साथ ही उन्होंने गांव की 250 महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Sat, 01 Dec 2018 12:58 PM (IST)Updated: Sun, 02 Dec 2018 10:53 PM (IST)
कौन है ये महिला और क्‍यों हो रहे हैं इसके चारों ओर चर्चे, आप भी जानकर रह जाएंगे दंग
कौन है ये महिला और क्‍यों हो रहे हैं इसके चारों ओर चर्चे, आप भी जानकर रह जाएंगे दंग

पटना, जेएनएन। नौ साल की उम्र में शादी हो गई, बचपन से ही मन में कुछ कर गुजरने की दृढ़ इच्छा शक्ति थी। पढ़ने की इच्छा थी लेकिन, परिवारवालों ने कभी इस ओर ध्यान नहीं दिया और नौ साल की हुईं तो शादी कर दी। शादी के बाद ससुराल आने के बाद खेती पर निर्भर परिवार मिलने के कारण वो भी खेतिहर मजदूर के रूप में कार्य करने लगीं। मजदूरी से मिले पैसों से अपने परिवार की परवरिश करना मुश्किल था।

loksabha election banner

वो नहीं जानती थीं कि एक दिन उनकी जिंदगी इस तरह बदल जाएगी। कहते हैं ना, मन में कुछ कर गुजरने की दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो मुश्किलें भी आसान हो जाती हैं। ऐसे लोग दूसरों के लिए नजीर बन जाते हैं। ऐसी ही प्रेरणादायी और जिंदगी के संघर्ष की अनोखी कहानी है गोपागंज में ट्रैक्टर लेडी के नाम से मशहूर जैबुन्निसा की।

पूरे गांव की बनीं प्रेरणास्त्रोत

गोपालगंज मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर कुचायकोट प्रखंड के बरनैया  गोखुल गांव में रहने वाली जैबुन्निसा ने न सिर्फ कड़ी मेहनत व लगन से अपनी गरीबी का डट कर सामना किया, बल्कि अन्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाकर आज पूरे गांव के लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गईं हैं। लोग उन्हें बहुत प्यार और सम्मान देते हैं। 

कहते हैं उन्हें ट्रैक्टर लेडी, जानिए कैसे बनीं 

जैबुनन्निसा ने जब गांव में पहली बार ट्रैक्टर की स्टीयरिंग पकड़ी तो ये बात पूरे गांव के लोगों के बीच कौतूहल का विषय बन गया। इसकी चर्चा दूर-दूर के गांव में भी होने लगी। जैबुन्निसा जब खेत में ट्रैक्टर चलातीं तो देखने वाले देखते रहते। आज भी वो ट्रैक्टर चलाकर खेतों की जुताई करती हैं, इसीलिए लोग उन्हें ट्रैक्टर लेडी कहते हैं।

छोटी-सी उम्र से दूसरों के खेतों में मजदूरी करने वाली निरक्षर जैबुन्निसा के मजबूत इरादे ने ही आज उन्हें लाखों की मालकिन बना  दिया है। जैबुन्निसा कहती हैं,मुझे पढ़ने का और कुछ अलग करने का बचपन से ही शौक था। मैं किसी काम को करने में पीछे नहीं हटती थी। 

टीवी पर देखा तो सोचा ये कोई मुश्किल तो नहीं

जैबुन्निसा सारण प्रमंडल की पहली महिला हैं जो ट्रैक्टर चलाकर खेती करती हैं। वह बताती हैं कि वर्ष 1998 में अपने एक रिश्तेदार के घर वो हरियाणा गईं थीं और वहां उन्होंने टीवी पर एक कार्यक्रम देखा था जो केरल के किसी गांव के बारे में था, जहां की महिलाएं स्वयं सहायता समूह के बारे में बता रही थीं। टीवी देखने के बाद उन्होंने भी मन मे ठान लिया कि वो भी अपने गांव की महिलाओं के लिए कुछ करेंगी।

फिर गांव आकर गांव की महिलाओं से उन्होंने बात की और उन्हें उस कार्यक्रम के बारे में बताया। कुछ महिलाएं तैयार हो गईं और उन महिलाओं के साथ जैबुन्निसा ने स्वयं सहायता समूह का गठन किया।

ट्रैक्टर खरीदा और खुद से चलाना सीखा

जैबुन्निशा ने स्वयं सहायता समूह के माध्यम से बैंक में खाता खुलवाया और महिलाओं को पैसे जमा करने को प्रेरित करती रहीं और खुद भी पैसा जमा करने लगीं। कुछ दिनों बाद उन्होंने ग्रामीण बैंक सिमरा से कर्ज लेकर एर ट्रैक्टर खरीद लिया।

फिर उन्होंने ठान लिया कि खुद ट्रैक्टर चलाएंगी और फिर जैबुन्निसा ने खुद से ट्रैक्टर चलाना सीखा और खेतों में काम करने लगीं। लोग हैरान हुए लेकिन आज जैबुन्निसा अपने कड़े परिश्रम के बल पर अपने परिवार के खुशहाल जीवन के साथ सैकड़ों परिवारों में खुशहाली लाने में जुटी हुयी हैं।

 

गांव की 250 महिलाओं को किया आत्मनिर्भर

शुरुआती दिनों में गांव की 10 महिलाओं तथा छोटी सी पूंजी से स्वयं सहायता समूह का गठन कर काम शुरू करने वाली इस महिला, जैबुन्निशा ने अब तक बीस से ज्यादा समूहों का गठन कराया है और आज जैबुन्निसा के प्रयासों का ही नतीजा है कि गांव की 250 से ज्यादा महिलाएं आत्मनिर्भर होकर अपने परिवार का पालन-पोषण बेहतर ढंग से कर रही हैं। 

नौ साल की छोटी-सी उम्र में हुई थी शादी

जैबुन्निसा की कहानी कड़े परिश्रम से सफलता पाने की एक मिसाल है। इनकी शादी नौ वर्ष की उम्र में ही बरनैया गोखुल गांव के हिदायत मियां के साथ वर्ष 1967 में हुई थी। नौ साल की जैबुन्निशा आज 51 साल की हैं। इतनी बड़ी जिंदगी में उन्होंने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। वो बताती हैं कि घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण खेत में मजदूरी करनी पड़ी, बच्चों को पालना पड़ा।

हमेशा कुछ नया सीखने की ललक थी

जैबुन्निसा ने कभी स्कूल का मुंह नहीं देखा और न ही घर पर किसी ने पढ़ाई को या उनकी इच्छा को तवज्जो दिया। इसके बावजूद हमेशा कुछ नया सीखने की ललक से अब वह अपना नाम लिखना तथा कुछ शब्दों की पहचान करना सीख गयीं हैं। आज प्रखंड की सैकड़ों महिला जैबुन्निसा की प्रेरणा से समूहों का निर्माण कर एक खुशहाल तथा आत्मनिर्भर जीवन जीने के प्रयास में आगे बढ़ रही हैं। जैबुन्निसा के इस हौसले को सलाम है।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.