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शीतकालीन सत्र अवसान की ओर, तब भाजपा विधान मंडल दल ने की बैठक; लिया बड़ा निर्णय

बिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र अवसान की ओर है तब भाजपा को विधानमंडल दल की बैठक की याद अाई। सियासत से ज्‍यादा संगठन पर चर्चा हुई। मंडल व जिलाध्यक्ष चुनाव पर लिये गया बड़ा निर्णय।

By Rajesh ThakurEdited By: Published: Wed, 27 Nov 2019 05:47 PM (IST)Updated: Wed, 27 Nov 2019 10:18 PM (IST)
शीतकालीन सत्र अवसान की ओर, तब भाजपा विधान मंडल दल ने की बैठक; लिया बड़ा निर्णय
शीतकालीन सत्र अवसान की ओर, तब भाजपा विधान मंडल दल ने की बैठक; लिया बड़ा निर्णय

पटना, राज्य ब्यूरो। बिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र अवसान की ओर है, तब भाजपा को विधानमंडल दल की बैठक की याद अाई। पांच दिनों के छोटे सत्र के तीन दिन खत्‍म होने के बाद बिहार भाजपा विधानमंडल दल ने मंगलवार की शाम प्रदेश मुख्यालय में बैठक की। उसमें अहम यह रहा कि बैठक विधान मंडल दल की थी, लेकिन अध्यक्षता भाजपा प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने की। इस दौरान सदन की सियासत से ज्यादा पार्टी के धुरंधरों ने संगठन की भावी रणनीति पर विचार-विमर्श किया। सरकार में शामिल पार्टी के मंत्रियों, विधायक और विधान पार्षदों को मंडल व जिलाध्यक्ष चुनाव से दूर रहने नसीहत दी गई।

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महाराष्ट्र में चल रहे सियासी घटनाक्रम पर पार्टी नेताओं ने चिंता जताई। झारखंड विधानसभा चुनाव में पार्टी की किलेबंदी पर दिग्गजों ने मंथन किया। पथ निर्माण मंत्री और झारखंड के सह प्रभारी नंदकिशोर यादव ने बिहार के अनुभवी पार्टी नेताओं को तैनात करने के सुझाव दिए। उन्होंने झारखंड की सियासी गणित को समझने वाले माननीयों से आगे आकर पार्टी की ज्यादा से ज्यादा सीटों पर जीत सुनिश्चित कराने का आह्वान किया।

भाजपा के प्रदेश अध्‍यक्ष संजय जायसवाल और संगठन महामंत्री नागेंद्र नाथ ने जहां संगठन विस्तार की घुट्टी पिलाई, वहीं उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने सरकार की उपलब्धियों को जनता के बीच पहुंचाने की अपील की। सक्रिय सदस्यता अभियान और मंडल अध्यक्षों के चुनाव को लेकर भी चर्चा हुई। संगठनात्मक कार्यक्रमों को तय समय सीमा में पूरा करने और भावी रणनीति पर नेताओं ने सुझाव दिए। 

गौरतलब है‍ कि बिहार विधानमंडल का शीतकालीन सत्र चल रहा है। बुधवार को सत्र का चौथा दिन था। पांच दिनों का यह सत्र शनिवार काे शुरू हुआ है। चारों दिन के सत्र विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ़ गए। गुरुवार को सत्र का अंतिम दिन है। विपक्ष के तेवर देख कहा जा सकता है कि अंतिम दिन भी सत्र शांति से नहीं चलने वाला है।  


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