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बिहार में पर्यटन के अच्छे दिन, सैलानियों को आकर्षित कर रही गांधी की सत्याग्रह भूमि

हाल के वर्षों में विदेशी पर्यटकों का ध्यान भी बिहार ने काफी खींचा है। पटना, गया, बोधगया, राजगीर, वैशाली और नालंदा के साथ-साथ चंपारण की ओर भी सैलानी रुख करने लगे हैं।

By Kajal KumariEdited By: Published: Thu, 27 Sep 2018 12:21 PM (IST)Updated: Thu, 27 Sep 2018 11:27 PM (IST)
बिहार में पर्यटन के अच्छे दिन, सैलानियों को आकर्षित कर रही गांधी की सत्याग्रह भूमि
बिहार में पर्यटन के अच्छे दिन, सैलानियों को आकर्षित कर रही गांधी की सत्याग्रह भूमि

पटना [अरविंद शर्मा]। महात्मा गांधी से जुड़ी बिहार की स्मृतियों ने सैलानियों को भी काफी प्रभावित किया है। चंपारण समेत बिहार में जहां-जहां गांधी के चरण पड़े हैं, वहां-वहां पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। शराबबंदी के बाद यह आम धारणा बन गई कि सैलानियों की संख्या घट जाएगी, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि देश-विदेश के लोगों के बिहार आने का सिलसिला साल दर साल बढ़ रहा है। 

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हाल के वर्षों में विदेशी पर्यटकों का ध्यान भी बिहार ने काफी खींचा है। पटना, गया, बोधगया, राजगीर, वैशाली और नालंदा के साथ-साथ चंपारण की ओर भी सैलानी रुख करने लगे हैं। विदेश पर्यटकों के मामले में बिहार छलांग लगाकर छठे से आठवें स्थान पर पहुंच गया है, जबकि घरेलू पर्यटकों के मामले में 13वां स्थान है। प्रकाश पर्व और बोधगया में कालचक्र पूजा के लिए प्रति वर्ष बड़ी संख्या में पर्यटक आ रहे हैं। 

चंपारण समेत गांधी से जुड़े स्थलों की ओर सैलानियों के बढ़ते कदम ने भी राज्य सरकार को प्रोत्साहित किया है। यही कारण है कि स्वदेश दर्शन योजना के तहत राज्य सरकार की ओर से चालू वित्तीय वर्ष में सिख-जैन एवं बौद्ध सर्किट के साथ-साथ गांधी सर्किट के विकास को भी प्राथमिकता दी गई है। इससे जुड़े स्थलों भितिहरवा, चंद्रहिया एवं तुरकौलिया आदि का विकास किया जा रहा है। इसके लिए 44.65 करोड़ रुपये की योजना पर काम चल रहा है। 

महात्मा गांधी की स्मृतियों से जुड़े देश में दो प्रमुख आश्रम हैं, साबरमती और वर्धा। किंतु चंपारण के श्रीरामपुर भितिहरवा का महत्व भी किसी कम नहीं है। 27 अप्रैल 1917 को बापू चंपारण के किसान राजकुमार शुक्ल के बुलावे पर यहां अंग्र्रेजों के अत्याचार से किसानों को मुक्त करने के लिए आए थे। कई दिन रुके और 16 नवंबर 1917 को अपने लिए एक कुटिया भी बनाई। बाद में यहां एक पाठशाला भी खोली।

इसके लिए महंथ रामनारायण दास ने जमीन दी थी। 20 नवंबर 1917 को भितिहरवा में कस्तूरबा गांधी का भी आगमन हुआ। गांधी का यहां रहना ब्रिटिश अधिकारियों को नागवार गुजर रहा था। इसलिए एक दिन कुटिया में साजिश के तहत आग लगा दी गई। बाद में इसे ईंट से बनाया गया। 

कहा-पर्यटन मंत्री ने 

बिहार सरकार ने रोडमैप बनाकर पर्यटन का विकास करने की कोशिश की है। इसके जरिए रोजगार और राजस्व बढ़ाने की कवायद है। सूफी, जैन, सिख, बौद्ध सर्किट के साथ-साथ गांधी सर्किट ने भी उम्मीद जगाई है। हाल के वर्षों में देश-विदेश के पर्यटक चंपारण की ओर भी रुख कर रहे हैं। 

प्रमोद कुमार, पर्यटन मंत्री बिहार सरकार 

बिहार में सैलानी 

वर्ष : कुल 

2015 : 2.89 करोड़ 

2016 : 2.95 करोड़

2017 : 3.34 करोड़

2018 : 1.21 करोड़ (जुलाई तक)

-बिहार में साल-दर साल बढ़ रही है पर्यटकों की संख्या 

-शराबबंदी के बाद भी नहीं थम रहे सैलानियों के कदम 


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