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ये है बिहार की कॉकरोच-चूहा ट्रेन : छह दिन बाद होती साफ-सफाई, गंदगी में सफर करने को मजबूर हैं यात्री

पूर्व मध्य रेल की पाटलिपुत्र स्टेशन से खुलने वाली पाटलिपुत्र-कुर्ला एक्सप्रेस में हजारों यात्री हर दिन गंदगी में सफर करने को मजबूर हाते हैं। ट्रेन की बोगियों के कॉकरोच व चूहे घूमते रहते हैं। इसका मुख्‍य कारण ट्रेन की नियमित सफाई का नहीं होना है।

By Amit AlokEdited By: Published: Sun, 17 Jan 2021 06:20 AM (IST)Updated: Tue, 19 Jan 2021 10:58 AM (IST)
ये है बिहार की कॉकरोच-चूहा ट्रेन : छह दिन बाद होती साफ-सफाई, गंदगी में सफर करने को मजबूर हैं यात्री
गंदगी से भरी पाटलिपुत्र-कुर्ला एक्सप्रेस। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर।

पटना,  चंद्रशेखर। पूर्व मध्य रेल की एक ट्रेन ऐसी है जिसकी साफ-सफाई तकरीबन एक हफ्ते में हो पाती है। ट्रेन का अगर नट-बोल्ट भी ढीला है तो उसे कोई देखने वाला कोई नहीं। हैरत यह है कि लंबी दूरी की ट्रेनों की साफ-सफाई व धुलाई का काम हर अंतिम स्टेशन पर ही रुकने के बाद करने का प्रावधान है। ट्रेन का प्राइमरी मेंटेनेंस भले न हो, सेकेंडरी मेंटेनेंस अनिवार्य है। फिर भी दानापुर मंडल के पाटलिपुत्र स्टेशन से खुलने वाली 02142 पाटलिपुत्र-कुर्ला एक्सप्रेस इसके लिए तरस रही है। रोज हजारों यात्री गंदगी में सफर करने को मजबूर हैं।

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पाटलिपुत्र स्टेशन पर व्यवस्था नहीं

दरअसल, कुर्ला से मेंटेनेंस के बाद इसे पाटलिपुत्र रवाना किया जाता है। पाटलिपुत्र से खुलने के बाद तीसरे दिन यह ट्रेन कुर्ला पहुंचती है। इस तरह छह दिन बाद इसका दोबारा मेंटेनेंस किया जा रहा है। ट्रेन लोकमान्य टर्मिनल से रात 23.35 बजे प्रस्थान कर दूसरे दिन 6.20 बजे भुसावल होते हुए तीसरे दिन 3.50 बजे पाटलिपुत्र पहुंचती है। इस तरह लोकमान्य टर्मिनल में मेंटेनेंस के बाद यह खुलती है और तीसरे दिन पाटलिपुत्र पहुंचती है। चूंकि पाटलिपुत्र स्टेशन पर साफ-सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है। इसलिए यह ऐसे ही यहां से वापस हो जाती है।

कॉकरोच और चूहे पल रहे

पाटलिपुत्र स्टेशन पर वाशिंग पिट का निर्माण नहीं होने से ट्रेनों का मेंटेनेंस कार्य नहीं हो रहा है। ट्रेन जब पाटलिपुत्र पहुंचती है तो दो सफाई कर्मी कभी ट्रेन की बोगियों में झाड़ू लगाते हैं तो कभी नहीं। इस दौरान न तो इसके शौचालय की साफ-सफाई की जाती है और न कॉकरोच व चूहों को भगाया जाता है। ट्रेन के अंडर गियर साफ-सफाई अथवा मेंटेनेंस का काम यहां नहीं किया जाता है।

तकनीकी सुविधा भी नहीं

अगर इस ट्रेन का कोई नट-बोल्ट खुला हुआ है तो इसे पाटलिपुत्र में टाइट नहीं किया जा सकता है। कोई भी तकनीकी कर्मचारी के पाटलिपुत्र स्टेशन पर नही रहने के कारण यहां तकनीकी काम नहीं हो पाता है। ट्रेन जब पाटलिपुत्र स्टेशन से खुलकर तीसरे दिन कुर्ला पहुंचती है तब इसका मेंटेनेंस कार्य होता है। दूसरी ट्रेनों के लिए ऑन बोर्ड हाउसकीपिंग की व्यवस्था भी है, परंतु इसमें नहीं की गई है। नतीजा टे्रन के शौचालय गंदे रहते हैं।

रलवे ने बताया, क्‍या है समस्‍या

सवाल यह है कि आखिर समस्‍या है क्‍या? दानापुर के जनसपंर्क अधिकारी पृथ्वी राज बताते हैं कि पाटलिपुत्र स्टेशन पर यार्ड नहीं होने से साफ-सफाई व धुलाई नहीं हो पाती है। यहां ट्रेनों का मेंटेनेंस भी नहीं किया जाता है। केवल ड्राईवाश किया जाता है। इस ट्रेन का प्राइमरी मेंटेनेंस कुर्ला में होता है।


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