तीन बार निशाने पर थे अधिवक्ता, चौथी बार में पीछे से मारी गोली
हाईकोर्ट के अधिवक्ता जितेन्द्र कुमार सिंह की हत्या की साजिश छह माह पूर्व रची गई थी। इस बात का खुलासा पुलिस ने शनिवार को किया।
पटना । हाईकोर्ट के अधिवक्ता जितेन्द्र कुमार सिंह की हत्या की साजिश छह माह पूर्व रची गई थी। वारदात को अंजाम देने के लिए छह लाख की सुपारी चार शूटरों को दी गई थी। शूटरों ने एडवांस में एक लाख रुपये लिए थे। वारदात को चार दिसंबर को ही अंजाम देना था, लेकिन शूटरों के निशाने से अधिवक्ता तीन बार बच गए। पांच दिसंबर को चारों शूटरों ने तीन लाइनर का इस्तेमाल कर शास्त्रीनगर थाना क्षेत्र के राजवंशीनगर स्थित जल पर्षद ऑफिस के पास घटना को अंजाम दिया और फरार हो गए। इस बात का खुलासा एसआइटी के हत्थे चढ़े चारों शूटर गोपालपुर निवासी सूरज यादव उर्फ सुरजा, रामकृष्णानगर निवासी लक्ष्मण, गोपालपुर निवासी प्रद्युम्न कुमार उर्फ बाबा और रामकृष्णनगर निवासी अविनाश ने किया। लाइनर की भूमिका निभाने वाले तीन बदमाशों सहित अन्य नामजद अभियुक्तों की तलाश में एसआइटी छापेमारी कर रही है।
दिनदहाड़े अधिवक्ता की हत्या के बाद जोनल आइजी नैय्यर हसनैन खान ने डीआइजी राजेश कुमार के नेतृत्व में एसआइटी का गठन किया था। डीआइजी राजेश कुमार की टीम ने 72 घंटे के अंदर हत्या में संलिप्त शूटरों सहित आठ लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। शनिवार को डीआइजी ने हत्याकांड का पर्दाफाश करते हुए बताया कि इसका मास्टरमाइंड गर्दनीबाग निवासी प्रॉपर्टी डीलर ताजुद्दीन है। अधिवक्ता के नाम से खगौल में एक बीघा जमीन है। इसकी कीमत करीब बीस करोड़ रुपये है। अधिवक्ता की पत्नी नीतू सिंह और उसका साला पंसुजित उर्फ मिथुन दोनों मिलकर उस जमीन को ताजुद्दीन को बेचना चाहते थे। इस जमीन को लेकर ताजुद्दीन ने जमीन के इकरारनामे पर पावर ऑफ अटॉर्नी करा ली थी। हत्या में नीतू की भूमिका को लेकर डीआइजी ने बताया कि पत्नी ने इस जमीन के बदले ताजुद्दीन से 20 लाख रुपये भी ले लिए थे। फिर ताजुद्दीन उस जमीन को बिल्डर को बेचने वाला था और बदले में 90 लाख रुपये भी लिए थे। ताजुद्दीन लगातार अधिवक्ता की पत्नी और साले पर जमीन को लेकर दबाव बना रहा था, लेकिन अधिवक्ता बीच में रोड़ा बन रहा था। इसके बाद नीतू, मिथुन और ताजुद्दीन ने मिलकर अधिवक्ता की हत्या की साजिश रच डाली।
तीनों शूटरों के असफल रहने पर सूरज ने साधा निशाना :
प्रॉपर्टी डीलर ताजुद्दीन 15 साल पहले हॉकर था। तब उसकी पहचान शूटर लक्ष्मण से हुई थी। इसी बीच लक्ष्मण दो हत्या के केस में जेल चला गया। आठ साल बाद जेल से छूटकर बाहर आया तो उसकी मुलाकात फिर ताजुद्दीन से हुई। तकतब ताजुद्दीन लैंड ब्रोकर बन चुका था। दोनों का मिलना जुलना जारी रहा। प्रॉपर्टी डीलर ने लक्ष्मण को अधिवक्ता की हत्या के लिए छह लाख रुपये सुपारी दी। अधिवक्ता की जमीन मिलने के बाद लक्ष्मण को दो फीसद रकम देने का वादा किया। लक्ष्मण ने इस काम के लिए सूरज, प्रद्युम्न उर्फ बाबा और अविनाश से संपर्क किया। चार दिसंबर को अविनाश और प्रद्युम्न ने अधिवक्ता को गोली मारने का तीन बार प्रयास किया, लेकिन असफल हो गए। पांच दिसंबर को बाबा और सूरज तमंचा लेकर निकल गए। बाबा बाइक चला रहा था और सूरज उसपर बैठा था। गिरोह में सूरज के खिलाफ चार हत्या का मामला पहले से दर्ज है। जल पर्षद ऑफिस के पास पहुंचते ही सूरज अधिवक्ता को पीछे से एक गोली मारकर फरार हो गया।
वेटनरी कॉलेज के बाकी रकम लेने आए थे शूटर
घटना के बाद चारों शूटर अपने-अपने घर चले गए। इसी बीच पुलिस को सूचना मिली कि चारों शूटर वेटनरी कॉलेज के पास सुपारी की बाकी रकम लेने आने वाले हैं। पुलिस ने चारों शूटरों को गिरफ्तार कर लिया। इनके पास से दो बाइक, एक तमंचा और दस हजार कैश बरामद किया गया। सूरज और लक्ष्मण के खिलाफ सदर कोर्ट पटना में हुए हरवंश राय हत्याकांड, केदार राय हत्याकांड जगनपुरा, छोटू हत्याकांड जगनपुरा और जहानाबाद में लाखों रुपये लूट कांड में मामले दर्ज हैं। हत्याकांड में अब तक खगौल निवासी राकेश, रीतेश, रुपेश और अधिवक्ता की पत्नी घटना के दिन ही गिरफ्तार कर जेल भेजी जा चुकी है। इस मामले में चार नामजद सहित तीन लाइनर फरार हैं।