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पटना में प्रीपेड मीटर लगवाने वाले परेशान, अचानक माइनस में बैलेंस दिखा काट दी जा रही बिजली

Electricity Smart Meter बिजली कंपनी के तर्क से उपभोक्ता संतुष्ट नहीं हो रहे हैं। स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगने के बाद उपभोक्ताओं को मीटर रीचार्ज कराने पर बिजली मिलती है। बैलेंस समाप्त होने के बाद बिजली स्वत कट जाती है।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Sun, 24 Oct 2021 10:12 PM (IST)Updated: Sun, 24 Oct 2021 10:12 PM (IST)
पटना में प्रीपेड मीटर लगवाने वाले परेशान, अचानक माइनस में बैलेंस दिखा काट दी जा रही बिजली
पटना वाले स्मार्ट प्रीपेड मीटर से परेशान हैं। सांकेतिक तस्वीर.

जागरण संवाददाता, पटना : नई तकनीक पर आधारित प्रीपेड स्मार्ट बिजली मीटर में अचानक पैसा कटने की शिकायतें भी सामने आ रही हैं।  बिजली कंपनी के तर्क से उपभोक्ता संतुष्ट नहीं हो रहे हैं। स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगने के बाद उपभोक्ताओं को मीटर रीचार्ज कराने पर बिजली मिलती है। बैलेंस समाप्त होने के बाद बिजली स्वत: कट जाती है। कंकड़बाग के सूरज कुमार ने बताया कि स्मार्ट मीटर ऐप पर 1200 रुपये बैलेंस दिखा रहा था। पांच दिनों के बाद मैसेज आया- आप रीचार्ज कराएं, माइनस 300 रुपये हो गया है। यह कैसे हो गया? बिजली कंपनी ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगा दिए हैं पर अपनी व्यवस्था स्मार्ट नहीं बना पाया है। स्मार्ट प्री-पेड मीटर से जुड़ी शिकायत का निदान करने की भी व्यवस्था बिजली कंपनी के पास नहीं है। बिना बिजली के नहीं रहा जा सकता है, इस कारण मीटर रीचार्ज कराना पड़ जा रहा है। मोबाइल की तरह इस व्यवस्था को भी स्मार्ट बनाना चाहिए। 

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पुनाईचक के चंद्रमणि का कहना है कि बिजली कंपनी पहले सभी तरह की तकनीकी खामियां दूर कर लें, तब तक स्मार्ट प्री-पेड लगाने पर रोक लगा देनी चाहिए। पीएंडटी कालोनी के विजय कुमार का कहना है कि उपभोक्ताओं को तकनीकी रूप से जागरूक किया जाए। बैलेंस कटने की जानकारी पलभर में मिल जाए। बेली रोड के हरेंद्र कुमार ने बताया कि उनके घर का लोड दो किलोवाट है। किसी माह ज्यादा लोड का इस्तेमाल हो गया। दो किलोवाट का डबल फिक्स चार्ज दंड के रूप में लगा दिया गया। सिस्टम मजबूत बनने तक ज्यादा खपत पर दंड की वसूली नहीं की जानी चाहिए। पटना विद्युत आपूर्ति प्रतिष्ठान के महाप्रबंधक दिलीप कुमार सिंह का कहना है कि माह में एक बार बिजली कंपनी बिल जारी करती है। उस समय पूरे माह में खर्च बिजली का आकलन किया जाता है। उपभोक्ताओं की इस तरह की शिकायतें मिलती हैं। जांच के बाद उपभोक्ता संतुष्ट हो जाते हैं। एक रुपये भी अधिक नहीं लिया जाता है। ज्यादा राशि निकलने पर साफ्टवेयर आटोमैटिक रूप से राशि वापस कर देता है। 


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