नीतीश कुमार के कारण कांग्रेस में बवाल, शराबबंदी पर अपने ही विधायक के खिलाफ बोल गए ये नेता
शराबबंदी (Liquor Ban in Bihar) के मुद्दे पर बिहार में खूब घमासान मचा है। सत्ता पक्ष और विपक्ष में बयानबाजी हो रही है। अब इस मुद्दे पर कांग्रेस में ही विवाद शुरू हो गया है। वरिष्ठ विधायक शकील अहमद खां ने इस मुद्दे पर नाराजगी जताई है।
पटना, आनलाइन डेस्क। शराबबंदी (Liquor Ban in Bihar) के मुद्दे पर बिहार में खूब घमासान मचा है। सत्ता पक्ष और विपक्ष में बयानबाजी हो रही है। अब इस मुद्दे पर कांग्रेस में ही विवाद शुरू हो गया है। बिहार के कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा (Congress leader Ajit Sharma) के बयान पर उन्हीं के पार्टी के विधायक शकील अहमद खां (Shakeel Ahmad Khan) ने हैरानी जताई है। कहा है कि उनके बयान के वे खिलाफ हैं। कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करने के दौरान शराबबंदी की शपथ दिलाई जाती है। इसलिए उन्हें पार्टी का सिद्धांत पढ़ लेना चाहिए। विधायक ने कहा कि जिस समय शराबबंदी कानून लागू हुआ था उस समय कांग्रेस सरकार में थी। मद्य निषेध विभाग के मंत्री भी कांग्रेस के ही थे। उस समय हम लोगों ने शपथ ली थी। मानव शृंखला बनी थी। इतना होने के बावजूद शराबबंदी उठाने की बात कहना हास्यास्पद है।
प्रशासनिक तंत्र में भ्रष्टाचार, बड़ी मछली पकड़े सरकार
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि शराबबंदी के फैसले की हम खिलाफत नहीं कर सकते लेकिन सरकार इसे प्रभावी तरीके से लागू करने में नाकाम रही है। बिहार में शराब की बिक्री, तस्करी हो रही है। इसमें प्रशासनिक तंत्र कमजोर है। उसमें भ्रष्टाचार है। शराब माफिया को सारे रास्ते मालूम हैं। इसलिए सरकार को चाहिए कि उनपर कार्रवाई करे। सरकार को बड़ी मछली को पकड़ना चाहिए। शकील अहमद खां ने यह भी कहा कि लोगों को पीने के नुकसान और नहीं पीने के फायदे बताने चाहिए। इसके लिए जनजागरूकता जरूरी है। शराबबंदी के बाद से डोमेस्टिक वायलेंस में कमी आई है। सड़क हादसे में कमी आई है। कई अपराध कम हुए हैं। शराब का मामला कुरीतियाें की तरह है। इसमें समाज का हर पक्ष साथ आए तो बेहतर है। सामाजिक तौर पर बड़ी आबादी को नुकसान हो रहा था। मुस्लिम समाज में तो यह हराम है।
बता दें कि कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा ने कहा था कि बिहार में जहरीली शराब से जिस तरह से मौत हो रही है। सरकार को इस पर सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि शराबबंदी खत्म करिए। उन्होंने तर्क दिया था कि तिगुनी-चौगुनी कीमत पर बेचिए। उससे राजस्व मिलेगा तो बिहार की सेहत सुधरेगी।