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बिहार में लगातार आ रहे ये ‘एलियन’, एक महीने में तीसरे का जन्म

इन दिनों बिहार में लगातार ‘एलियन’ जैसे बच्‍चों का जन्‍म हो रहा है। एक महीने में ऐसा तीसरा मामला प्रकाश में आया है। डॉक्‍टरों के अनुसार ये बच्‍चे एक दुर्लभ बीमारी से ग्रस्‍त हैं।

By Amit AlokEdited By: Published: Sat, 25 Feb 2017 11:03 AM (IST)Updated: Sun, 26 Feb 2017 11:55 PM (IST)
बिहार में लगातार आ रहे ये ‘एलियन’, एक महीने में तीसरे का जन्म
बिहार में लगातार आ रहे ये ‘एलियन’, एक महीने में तीसरे का जन्म

पटना [जेएनएन]। बिहार में इन दिनों एलियन जैसे बच्चों का लगातार जन्म हो रहा है। ताजा घटना भागलपुर के एक निजी नर्सिंग होम का है। इसके पहले 30 दिनों के भीतर पूर्वी चंपारण के चकिया और पटना के पालीगंज में भी ऐसे बच्चों का जन्म हो चुका है। अजीब शक्ल व चमड़ी वाले इन बच्चों को देखकर उनकी माताएं तक डर गईं। डॉक्टर इसे दुर्लभ बीमारी बता रहे हैं। 

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भागलपुर के तातारपुर स्थित एक नर्सिंग होम में दोनो गांव की एक महिला ने बीते 21 फरवरी को एक 'एलियन बेबी’ काे जन्म दिया। इस अजीबोगरीब बच्चे को देखने के लिए अस्पताल में भीड़ उमड़ पड़ी। बच्चे को लेकर परेशान मां-बाप इस भीड़ से और परेशान हो गए। नर्सिंग होम की डॉ. इमराना ने शनिवार को वे बच्चे को लेकर अपने गांव चले गए हैं।

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इसके पहले पूर्वी चंपारण के बांसघाट पंचायत के नोनिया टोला की निवासी एक महिला ने अस्पताल में एक अजीब बच्चे को जन्म दिया। बच्चे को देखकर अस्पताल कर्मी हतप्रभ थे तो मां भी डर गई। बच्चे का सिर नहीं था। चेहरा व आंखें काफी बड़ी थीं। उसके जन्म के बाद यह चर्चा फैल गई कि अस्पताल में दूसरे ग्रह के जीव का जन्म हुआ है। फिर तो उसे देखने के लिए भीड़ जमा हो गई ।


हाल ही में पटना के पालीगंज अस्पताल में भी एक महिला ने एलियन जैसे बच्चे को जन्म दिया था। महिला पालीगंज के आजिम नगर कॉलनी की रहने वाली है। उस बच्चे का रंग हरा था तो शरीर पर कछुए की तरह धरीदार आकृति बनी हुई थी। इस बच्चे के अजीबोगरीब शक्ल व शरीर को भी देखकर मां डर गई थी। मुंह काफी बड़ा था, लेकिन कानों व आंखों का विकास नहीं हुआ था।

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जानिए, बीमारी और उसके कारण

चकिया अस्पताल के चिकित्सक डॉ. राजीव रंजन एवं डॉ. आरएन मल्लिक ने बताया कि बच्चों में ऐसा परिवर्तन मां-बाप के जीन में हुए म्यूटेशन के कारण हुआ हो सकता है। ऐसे बच्चे ज्यादा दिन जीवित नहीं रह पाते हैं। भागलपुर की डॉ. इमराना बताती हैं कि मेडिकल साइंस में इस बीमारी को 'हर्लेक्विन इचथाइयोसिस' कहते हैं। यह त्वचा की बीमारी है, जो किसी बच्चे को मां-बाप की जीन से मिलती है।


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