बिहार में अंग्रेजों के जमाने से तैनात किए जाते 'जापानी मजिस्ट्रेट', जानकर चौंक गए ना आप?
बिहार में विशेष अवसरों पर प्रशासनिक सेवा के अलावा अन्य संवर्ग के अधिकारी भी मजिस्ट्रेट बनाए जाते रहे हैं। लेकिन अब यह व्यवस्था समाप्त हाे रही है।
By Amit AlokEdited By: Published: Wed, 17 Jul 2019 11:26 AM (IST)Updated: Thu, 18 Jul 2019 10:11 PM (IST)
पटना [रमण शुक्ला]। किसी भी देश में प्रशासन के महत्वपूर्ण पद वहां के नागरिकों को दिए जाते हैं। लेकिन बिहार में अंग्रेजों के जमाने से 'जापानी मजिस्ट्रेट' तैनात किए जाते हैं। चौंकिए नहीं, ये अधिकारी जापान से नहीं आए हैं, इन्हें केवल यह नाम दे दिया गया है। सरकार अब इस व्यवस्था में बदलाव करने जा रही है।
इन्हें कहते हैं 'जापानी मजिस्ट्रेट'
दरअसल, त्योहारों या अन्य विशेष अवसरों पर, जब बड़ी संख्या में मजिस्ट्रेट की आवश्यकता पड़ती है, प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की कमी पड़ जाती है। ऐसे में अन्य सेवाओं के अधिकारियों से मजिस्ट्रेट की डयूटी ली जाती थी। ऐसे अधिकारी सामान्यत: मजिस्ट्रेट से नीचे की श्रेणी के होते हैं। इन्हें हीं जापानी मजिस्ट्रेट कहा जाता था। यह व्व्यवस्था अंग्रेजों के समय से चली आ रही है।
अब बासा के अधिकारी ही संभालेंगे कमान
गृह विभाग ने अब निर्णय लिया है कि विशेष अवसरों पर 'जापानी मजिस्ट्रेट' की तैनाती नहीं होगी। यानि की ईद, दशहरा, दीपावली और रामनवमी जैसे त्यौहारों के अवसर पर अब केवल बिहार प्रशासनिक सेवा (BASA) अधिकारियों को ही मजिस्ट्रेट बनाया जाएगा। अब शिक्षकों और इंजीनियरों आदि की मजिस्ट्रेट के रूप में तैनाती नहीं होगी। बासा अधिकारियों के नहीं रहने पर पुलिस स्वयं व्यवस्था संभालेगी।
निर्णय के पीछे ये हैं तर्क
सरकार के इस निर्णय के पीछे के तर्क भी महत्वपूर्ण हैं। कई मौके पर अनुभवहीन या फिर प्रबंधकीय दक्षता में कमजोर पकड़ वाले इंजीनियरों और शिक्षकों की मजिस्ट्रेट के रूप में तैनाती कर दी जाती है। आपात स्थिति में ऐसे अधिकारी निर्णय नहीं कर पाते हैं और पुलिस की फजीहत होती है। यही नहीं, विधि-व्यवस्था को लेकर विकट स्थिति उत्पन्न हो जाती है। कई अहम मामलों की जांच रिपोर्ट में इसकी पुष्टि भी हुई है।
अभी ये बनाए जाते हैं 'जापानी मजिस्ट्रेट'
शिक्षक, इंजीनियर, लेबर इंस्पेक्टर, फैक्ट्री इंस्पेक्टर के अलावा बिहार सरकार में विभिन्न सेवाओं के कर्मियों की मजिस्ट्रेट के पद पर तैनाती की जाती है। पुलिस में यह व्यवस्था अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही है, लेकिन सरकार ने कई वाकयों से सबक लेकर बदलाव का निर्णय किया है।
इन्हें कहते हैं 'जापानी मजिस्ट्रेट'
दरअसल, त्योहारों या अन्य विशेष अवसरों पर, जब बड़ी संख्या में मजिस्ट्रेट की आवश्यकता पड़ती है, प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की कमी पड़ जाती है। ऐसे में अन्य सेवाओं के अधिकारियों से मजिस्ट्रेट की डयूटी ली जाती थी। ऐसे अधिकारी सामान्यत: मजिस्ट्रेट से नीचे की श्रेणी के होते हैं। इन्हें हीं जापानी मजिस्ट्रेट कहा जाता था। यह व्व्यवस्था अंग्रेजों के समय से चली आ रही है।
अब बासा के अधिकारी ही संभालेंगे कमान
गृह विभाग ने अब निर्णय लिया है कि विशेष अवसरों पर 'जापानी मजिस्ट्रेट' की तैनाती नहीं होगी। यानि की ईद, दशहरा, दीपावली और रामनवमी जैसे त्यौहारों के अवसर पर अब केवल बिहार प्रशासनिक सेवा (BASA) अधिकारियों को ही मजिस्ट्रेट बनाया जाएगा। अब शिक्षकों और इंजीनियरों आदि की मजिस्ट्रेट के रूप में तैनाती नहीं होगी। बासा अधिकारियों के नहीं रहने पर पुलिस स्वयं व्यवस्था संभालेगी।
निर्णय के पीछे ये हैं तर्क
सरकार के इस निर्णय के पीछे के तर्क भी महत्वपूर्ण हैं। कई मौके पर अनुभवहीन या फिर प्रबंधकीय दक्षता में कमजोर पकड़ वाले इंजीनियरों और शिक्षकों की मजिस्ट्रेट के रूप में तैनाती कर दी जाती है। आपात स्थिति में ऐसे अधिकारी निर्णय नहीं कर पाते हैं और पुलिस की फजीहत होती है। यही नहीं, विधि-व्यवस्था को लेकर विकट स्थिति उत्पन्न हो जाती है। कई अहम मामलों की जांच रिपोर्ट में इसकी पुष्टि भी हुई है।
अभी ये बनाए जाते हैं 'जापानी मजिस्ट्रेट'
शिक्षक, इंजीनियर, लेबर इंस्पेक्टर, फैक्ट्री इंस्पेक्टर के अलावा बिहार सरकार में विभिन्न सेवाओं के कर्मियों की मजिस्ट्रेट के पद पर तैनाती की जाती है। पुलिस में यह व्यवस्था अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही है, लेकिन सरकार ने कई वाकयों से सबक लेकर बदलाव का निर्णय किया है।
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